दूर वर्षों का अब इंतजार कीजिए विराज गए हैं रामलला अब खूब दुलार कीजिए - विश्वदीप मिश्रा | Door varsho ka ab intezar kijiye viraj gaye hai ramlalaa
दूर वर्षों का अब इंतजार कीजिए विराज गए हैं रामलला अब खूब दुलार कीजिए - विश्वदीप मिश्रा
स्व दुर्गा पाठक की पुण्यतिथि पर दी ऑनलाइन श्रद्धांजलि
मनावर (पवन प्रजापत) - साहित्यकार स्व दुर्गा पाठक की चतुर्थ पुण्यतिथि के अवसर पर देश के साहित्यकारों ने रविवार को कला-साहित्य-संस्कृति मंच के पटल पर ऑनलाइन गोष्ठी में शब्दांजलि दी । कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से महेन्द्र खुराना झाबुआ ने की । श्रीमती पाठक का परिचय संयोजक राम शर्मा परिंदा ने प्रस्तुत किया । इंदौर के कवि मनोहलाल सोनी 'बाबा' ने घनाक्षरी छंद के साथ गोष्ठी का आगाज किया । भारत देश की महिमा का बखान अपने गीत के माध्यम से खरगोन के ओजकवि वीरेंद्र दसौंधी 'वीर' ने किया । जीवन में आगे बढ़ते रहने की सीख देते हुए झाबुआ की कवियित्री भारती सोनी ने कहा कि "हार में जीत में किंचित भी नहीं भयभीत मैं ।" धार के गजलकार महेश शर्मा ने अपनी मधुर वाणी में गजल सुना कर सबका मन मोह लिया । श्रीराम मंदिर के निर्माण पर राम महिमा का बखान करते हुए राम की मर्यादा और आचरण को अपने मन में समाहित करने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए मनावर के व्यंग कवि विश्वदीप मिश्र ने कहा कि "वर्षो का दूर अब इंतजार कीजिए,विराज गए हैं रामलला अब खूब दुलार कीजिए ।" झाबुआ की कवियित्री डॉ गीता दुबे ने नारी की व्यथा को अपने शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया । कुलदीप पंड्या मनावर ने बेटी पर रचना पाठ किया । रामनारायण सोनी 'सहज' इंदौर ने समय के अनुरुप पथिक को चलने की सीख कविता द्वारा दी । कच्छ गुजरात की कवियित्री डॉ संगीता पाल ने "बिन तेरे जिंदगी का रंग बेअसर सुन मेरे हमसफ़र" गीत अपनी मधुर वाणी में पेश कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया । इंदौर के कवि मोहन जोशी 'पीयूष' ने मदिरा पर दोहे सुनाते हुए कहा कि "मदिरालय तो खुल गये देवालय है बंद ।" डॉ रेनू सिरोया कुमुदिनी उदयपुर ने बचपन की चंचलता को अपने शब्दों में पिरोया । प्रदीप कुमार अरोरा झाबुआ ने बालश्रमिक के प्रसंग को मार्मिक भाव से कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया । कार्यक्रम का संचालन प्रवीण कुमार सोनी झाबुआ और आभार दीपेन्द्र पाठक ने व्यक्त किया ।
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