मनगवां तहसील में RTI का खुला उल्लंघन, पारदर्शिता पर हमला – “बिल-वाउचर नहीं देंगे” कहकर भ्रष्टाचार छुपाने का गंभीर आरोप Aajtak24 News

मनगवां तहसील में RTI का खुला उल्लंघन, पारदर्शिता पर हमला – “बिल-वाउचर नहीं देंगे” कहकर भ्रष्टाचार छुपाने का गंभीर आरोप Aajtak24 News

रीवा/मनगवां - तहसील मनगवां में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। आवेदकों को जानबूझकर आधी-अधूरी सूचना देकर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का प्रयास किया जा रहा है, जो सीधे-सीधे जनता के संवैधानिक अधिकारों पर प्रहार है। प्रशासनिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जब आम नागरिकों द्वारा बिल-वाउचर, खर्च विवरण, लॉग बुक और सरकारी वाहन उपयोग का ब्यौरा आरटीआई के तहत मांगा जाता है, तो तहसील कार्यालय द्वारा यह कहकर इंकार किया जाता है कि “बिल-वाउचर की कॉपी देना कानूनन अनिवार्य नहीं है” — जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम में ऐसी कोई रोक नहीं है।

यह न सिर्फ कानून का मजाक है बल्कि भ्रष्टाचार को ढंकने का खुला प्रयास प्रतीत होता है।

सबसे गंभीर आरोप सरकारी वाहन के दुरुपयोग को लेकर सामने आए हैं। सरकारी वाहन (क्रमांक MP-17 श्रृंखला) की लॉग बुक में मनगढ़ंत प्रविष्टियां दर्ज की जा रही हैं। एक ही मार्ग की दूरी कभी 110 किलोमीटर तो कभी 185 किलोमीटर दर्शायी जाती है, जिससे सरकारी ईंधन, मरम्मत और यात्रा भत्ते के नाम पर लाखों रुपये के गबन की आशंका जताई जा रही है। आरोप यह भी है कि तहसीलदार द्वारा नियमित रूप से न्यायालयीन कार्य नहीं किया जा रहा, बल्कि पूरे दिन वाहन भ्रमण को “शासकीय कार्य” बताकर रिकॉर्ड में दर्ज किया जा रहा है, जबकि वास्तविक स्थिति इससे भिन्न बताई जा रही है। यह पूरा मामला सरकारी धन के दुरुपयोग, जनता को गुमराह करने और सूचना का अधिकार कानून को निष्प्रभावी बनाने का संगठित प्रयास माना जा रहा है।

क्षेत्रीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक संगठनों ने राज्य शासन से मांग की है कि - पूरे वाहन उपयोग एवं लॉग बुक की स्वतंत्र जांच कराई जाए आरटीआई के तहत रोकी गई सूचनाओं को सार्वजनिक किया जाए दोषियों के खिलाफ विभागीय व कानूनी कार्यवाही की जाए यदि शीघ्र पारदर्शिता नहीं लाई गई तो नागरिकों द्वारा जनहित याचिका के माध्यम से न्यायालय की शरण लेने की चेतावनी दी गई है।

Post a Comment

Previous Post Next Post