मऊगंज में प्रशासनिक निष्क्रियता का खुलासा: सिंचाई विभाग परिसर से करोड़ों की मिट्टी चोरी की कोशिश नाकाम, JCB जब्त Aajtak24 News

 

मऊगंज में प्रशासनिक निष्क्रियता का खुलासा: सिंचाई विभाग परिसर से करोड़ों की मिट्टी चोरी की कोशिश नाकाम, JCB जब्त Aajtak24 News

मऊगंज - मऊगंज थाना क्षेत्र के न्यू बस स्टैंड स्थित सिंचाई विभाग परिसर में गुरुवार शाम को अवैध उत्खनन माफिया ने एक बड़ी चोरी को अंजाम देने की कोशिश की, जिसे मऊगंज पुलिस की त्वरित सक्रियता ने विफल कर दिया। इस घटना ने न केवल क्षेत्र में खनन माफियाओं के दुस्साहस को उजागर किया है, बल्कि राजस्व और खनिज विभाग जैसे जिम्मेदार शासकीय तंत्र की निष्क्रियता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।

🚧 डंप मिट्टी पर रात के अंधेरे में नज़र

जानकारी के अनुसार, सोहगौरा कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा निर्माणाधीन सड़क की साइट पिचिंग के लिए सिंचाई विभाग परिसर में भारी मात्रा में मिट्टी डंप करके रखी गई थी। गुरुवार शाम ढलते ही, खनन माफियाओं ने इस सरकारी संपत्ति पर हाथ साफ करने की योजना बनाई और चोरी को अंजाम देने के लिए जेसीबी (JCB) मशीन और ट्रैक्टरों का उपयोग करना शुरू कर दिया। जैसे ही कंपनी के साइट इंचार्ज बालेंद्र मिश्रा को इस अवैध गतिविधि की सूचना मिली, उन्होंने बिना कोई देर किए तत्काल मऊगंज थाना प्रभारी संदीप भारती को घटना से अवगत कराया। थाना प्रभारी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए बिना किसी विलंब के पुलिस बल को मौके पर भेजा। पुलिस के पहुँचने की भनक लगते ही अवैध उत्खनन में लगे माफिया मौके से फरार हो गए। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मिट्टी चोरी में प्रयुक्त एक जेसीबी मशीन को जब्त कर थाने में खड़ा कर दिया।

💰 करोड़ों के राजस्व की हानि और अधिकारियों की चुप्पी

इस घटना के बाद अब स्थानीय जनमानस की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या थाना प्रभारी जब्त जेसीबी और माफियाओं पर सख्त वैधानिक कार्रवाई करेंगे, या एक बार फिर खनन माफियाओं का दबदबा कानून पर भारी पड़ेगा। क्षेत्र में लगातार हो रहे अवैध मिट्टी, रेत और पहाड़ उत्खनन से प्राकृतिक संसाधन तेजी से खत्म हो रहे हैं। मऊगंज पुलिस की कार्रवाई के बावजूद, यह सवाल कायम है कि:

  • राजस्व एवं खनिज विभाग की निगरानी कहाँ है? अवैध उत्खनन की लगातार शिकायतें मिलने के बावजूद, पटवारी, राजस्व निरीक्षक (R.I.), तहसीलदार और संबंधित खनिज अधिकारी क्यों खामोश बने हुए हैं?

  • जवाबदेही क्यों नहीं? स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब तक उस क्षेत्र के पटवारी और राजस्व अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराने का सख्त प्रावधान नहीं होगा, तब तक खनन माफिया इसी तरह खुलेआम सरकारी और प्राकृतिक संसाधनों की लूट मचाते रहेंगे, जिससे छत्तीसगढ़ शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है।

यह मामला स्पष्ट संकेत देता है कि अवैध उत्खनन का जाल कितना सक्रिय है। जरूरत है कि जिला प्रशासन, राजस्व और खनिज विभाग संयुक्त रूप से कठोर कार्रवाई करें, ताकि माफियाओं का मनोबल तोड़ा जा सके।


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