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| रीवा संभाग में 'भ्रष्टाचार का चक्रव्यूह': करोड़ों की अनियमितताएँ, जाँच फाइलों में दफन; निष्पक्षता पर बड़ा सवाल Aajtak24 News |
रीवा - मध्य प्रदेश के रीवा संभाग में विभिन्न सरकारी विभागों में गहरे तक फैली कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर गंभीर चिंताएँ और सवाल उठ रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड और विभागीय फाइलें इस बात की पुष्टि करती हैं कि हर वर्ष करोड़ों रुपये की वित्तीय गड़बड़ियों और प्रशासनिक चूकों पर हजारों शिकायतें दर्ज होती हैं, किंतु जाँच प्रक्रिया अक्सर धीमी पड़ जाती है और अधिकांश मामले ठंडे बस्ते में पड़े रह जाते हैं। संभाग में जनता के बीच यह धारणा मजबूत हो रही है कि 'जाँच के नाम पर केवल खानापूर्ति' की जा रही है, जिससे शासकीय राजस्व की भारी हानि हो रही है और प्रशासनिक तंत्र की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।
🏛️ मुख्य विभाग और अनियमितताओं का दायरा
रीवा संभाग में कई महत्वपूर्ण विभाग संदेह के घेरे में हैं:
पंचायत एवं ग्रामीण विकास: स्थानीय विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता का गंभीर अभाव है। बजट खर्च होने के बावजूद कई निर्माण और विकास कार्यों की जमीनी हकीकत रिकॉर्ड से बिल्कुल अलग नजर आती है।
सहकारिता विभाग: यहाँ वर्षों से करोड़ों रुपये के घोटालों की चर्चा है। विशेषकर 'अर्बन बैंक' संबंधी मामलों में, संस्था का पक्ष प्रभावी ढंग से न्यायालय में न रखने के कारण वसूली योग्य राशि डूब गई और कई आरोपी दोबारा कार्य पर लौट आए।
राजस्व विभाग: भू-अभिलेख, नामांतरण और सीमांकन जैसे संवेदनशील मामलों में अनियमितताओं की लंबी फेहरिस्त है। ग्रामीण स्तर पर यह आरोप भी लगते हैं कि अवैध वसूली से इनकार करने वाले अधिकारियों को 'अच्छा स्थान' नहीं मिलता, जिससे निचले से उच्च स्तर तक एक 'प्रेशर सिस्टम' कायम है।
🏘️ दलालों का वर्चस्व और नियमों का उल्लंघन
रीवा जिले में भूमि रजिस्ट्री और क्रय-विक्रय प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने की तमाम सरकारी पहलों के बावजूद, बिचौलियों (दलालों) का वर्चस्व तेजी से बढ़ा है। गाँवों से लेकर शहर तक हजारों की संख्या में सक्रिय ये बिचौलिए रातों-रात लाखों-करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन चुके हैं, लेकिन उनकी संपत्ति की जाँच पर कोई निर्णायक पहल नहीं हुई है।
परिवहन और आबकारी: परिवहन विभाग पर लगातार नए आरोप लगते रहते हैं। वहीं, आबकारी विभाग की 'पाइकारी व्यवस्था' और शराब दुकानों से जुड़ी गड़बड़ियों की शिकायतें भी लंबे समय से उठ रही हैं।
शिक्षा विभाग: एक समय 'पवित्र' माने जाने वाले शिक्षा विभाग में भी अब भर्ती, पदस्थापना, सामग्री खरीद और भवन निर्माण से जुड़े प्रकरणों में अनियमितताओं के आरोप सामने आने लगे हैं।
❓ सरकार ही कर रही है सरकार की जाँच: निष्पक्षता पर बड़ा प्रश्न
जनता के बीच सबसे बड़ी चिंता यह है कि भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे विभागों की जाँच अक्सर उन्हीं विभागों के अधिकारियों या समकक्षों द्वारा की जाती है। इससे जाँच की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न उठना स्वाभाविक है। वर्तमान में सहकारिता और पंचायत विभाग जैसे प्रमुख विभाग लगातार चर्चा में हैं, फिर भी कार्रवाई के स्तर पर ठोस परिणाम नजर नहीं आते हैं। जनता की मांग है कि रीवा संभाग में इन सभी अनियमितताओं की जाँच के लिए एक बाहरी और उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए, ताकि करोड़ों रुपये की गड़बड़ियों का पर्दाफाश हो सके और दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो सके।
