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| रीवा: धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्थाओं की खुली पोल! Aajtak24 News |
रीवा - जिले में धान खरीदी सत्र 2025-26 शुरू होते ही व्यवस्थाओं की कमियां एक बार फिर सामने आने लगी हैं, जिससे किसानों में भारी नाराजगी है। रीवा जिले के कई गोदाम स्तरीय खरीदी केंद्रों में बारदाना, तौल, सिलाई और स्थानाभाव को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। ये खामियां न केवल किसानों को, बल्कि केंद्र कर्मचारियों को भी परेशान कर रही हैं, जिससे पूरी खरीदी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
बारदाना संकट: तौल में आ रही बड़ी अड़चन
किसानों की सबसे बड़ी समस्या बारदानों को लेकर है, जिसकी वजह से काम की गति धीमी हो गई है:
पुराने बारदानों में तौल, पर सिलाई असंभव:
किसानों ने बताया कि पुराने बारदानों में 40 किलो धान की तौल तो पूरी हो जाती है, लेकिन बारदाना फटने लगता है।
फटे हुए बारदानों की सिलाई नहीं हो पाती, जिससे धान बाहर गिरता रहता है। इस कारण केंद्रों पर काम धीमा हो रहा है और किसानों की लंबी लाइनें लग रही हैं।
नए बारदानों में 40 किलो धान भरना मुश्किल:
नए बारदानों की क्षमता को लेकर भी सवाल हैं। किसान शिकायत कर रहे हैं कि नए बारदाने छोटे होने के कारण उनमें 40 किलो धान का वजन पूरा नहीं आ पाता।
बारदाना 37 से 38 किलो में ही भर जाता है, जिससे किसानों को कम तौल की चिंता सता रही है।
'वाहर तौल' का आदेश, पर परिसर ही नहीं
शासन ने खरीदी में पारदर्शिता लाने के लिए गोदाम स्तर पर 'वाहर तौलाई' (बाहर तौल) को अनिवार्य किया है, लेकिन इसका पालन करना मुश्किल हो रहा है:
जगह का अभाव: अधिकांश गोदामों में 'वाहर तौलाई' के लिए निर्धारित और सुरक्षित स्थान उपलब्ध नहीं है।
सड़क पर तौल की मजबूरी: गोदाम परिसर में उचित जगह न होने के कारण तौल बाहर सड़क पर करनी पड़ रही है, जिससे खरीदी की गति बाधित होती है और सुरक्षा संबंधी जोखिम भी बढ़ जाते हैं।
समिति पर बढ़ रहा है अतिरिक्त वित्तीय बोझ
'वाहर खरीदी' करने की अनिवार्यता से समितियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ आ रहा है:
परिवहन, अतिरिक्त श्रमिक और अन्य व्यवस्थाओं के लिए समितियों को ज्यादा राशि खर्च करनी पड़ रही है।
समितियों ने बताया कि खर्च बढ़ने से स्टैकिंग, श्रमिक भुगतान और भंडारण शुल्क का बोझ बढ़ गया है, जिसके लिए कोई स्पष्ट नियमन या भुगतान व्यवस्था नहीं है।
मांग: बुनियादी व्यवस्थाएं सुधारकर ही खरीदी संभव
स्थानीय किसानों ने शासन-प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। किसानों का कहना है कि लाखों टन धान की खरीदी को सुचारू बनाने के लिए सबसे पहले खरीदी केंद्रों में बुनियादी व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएं। यदि समय रहते बारदाना, तौल स्थान और वित्तीय विवादों को नहीं सुलझाया गया, तो रीवा जिले में किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और पूरी खरीदी प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।
