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| रीवा रेंज में बेकाबू नशे का नेटवर्क: IG के आश्वासन हवा हुए? उठने लगी मांग—क्या अब यूपी की तर्ज पर होगी 'जीरो टॉलरेंस' कार्रवाई? Aajtak24 News |
रीवा - मध्य प्रदेश। रीवा संभाग में बीते कुछ महीनों से नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार में अप्रत्याशित वृद्धि ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश स्तर पर सख़्त कार्रवाई के दावों के बावजूद, रीवा रेंज में अवैध गांजा, कोरेक्स, और अन्य नशीले पदार्थों की उपलब्धता पहले की तुलना में और अधिक बढ़ती दिखाई दे रही है। इसका सीधा असर युवाओं पर पड़ रहा है, अपराध का ग्राफ ऊपर जा रहा है और आम नागरिकों में असुरक्षा की भावना गहरी होती जा रही है।
यूपी मॉडल की सख्त कार्रवाई की जरूरत
नशे और माफियाओं पर लगाम कसने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा चलाए गए विशेष अभियानों के मॉडल को अब रीवा रेंज में भी लागू करने की जरूरत महसूस की जा रही है। सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों का मानना है कि यदि यूपी की तर्ज पर सख्ती बरती जाए, तो कई वर्षों से सक्रिय अवैध कारोबारी और उनके संरक्षक स्वतः सामने आ जाएंगे। दावों के विपरीत धरातल पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही, यह सवाल अब जनता पूछ रही है। आईजी के मंच से दिए गए आश्वासनों के बावजूद, नशा विरोधी निर्णायक लड़ाई अभी तक शुरू नहीं हो सकी है।
नशे का नेटवर्क: शहर से बस्तियों तक
जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, शहर में पिछले दो महीनों में गांजा और कोरेक्स की उपलब्धता असामान्य रूप से बढ़ी है। नशे की यह सप्लाई चेन कई स्तरों पर संचालित होती है:
सप्लाई लाइन: थोक आपूर्तिकर्ता
वितरण केंद्र: गली-स्तर की छोटी दुकानें
उपभोक्ता वर्ग: युवा और छात्र
नशा विरोधी कार्रवाई के अभाव में ये सभी स्तर लगातार मजबूत होते जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहर की बस्तियों तक, रात के अंधेरे में नशे की छोटी-छोटी दुकानें सक्रिय रहती हैं, जहाँ कोरेक्स की बोतलें और गांजे के पैकेट आसानी से उपलब्ध हैं।
उच्च अधिकारियों के आश्वासनों पर अमल क्यों नहीं?
उच्च अधिकारियों ने कई मंचों से कठोर कार्रवाई और सप्लाई चेन को ध्वस्त करने का वादा किया था, लेकिन जमीनी हकीकत निराशाजनक है:
शिकंजा ढीला: नशा तस्करों पर प्रभावी शिकंजा नहीं कसा गया।
गश्त की कमी: पुलिस की बीट प्रणाली और रात्री गश्त (नाइट पेट्रोलिंग) सीमित रही।
फाइलों में बंद प्लान: 15 दिनों का ऐक्शन प्लान फाइलों में ही सिमटकर रह गया।
नशे से जुड़ी हिंसक घटनाएं, चोरी, और युवाओं में नशे की लत से हो रही मौतें खतरे की घंटी हैं।
निर्णायक कार्रवाई के लिए आवश्यक कदम
यदि रीवा रेंज को इस संकट से बाहर निकालना है, तो आईजी स्तर पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति लागू करनी होगी। इसके लिए आवश्यक है:
जमीनी सक्रियता: हर थाने में रात्री गश्त और बीट प्रभारियों को सख्त निरीक्षण का जिम्मा सौंपना।
सप्लाई चेन पर प्रहार: थोक आपूर्तिकर्ताओं और सीमा क्षेत्रों में सघन चेकिंग।
जवाबदेही: लापरवाही पाए जाने पर संबंधित पुलिस टीमों पर तुरंत विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित करना।
रीवा रेंज के भविष्य के लिए अब निर्णायक कदम उठाने का समय आ गया है, और सबकी निगाहें पुलिस-प्रशासन की सख्ती पर टिकी हैं।
