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साहब बोले- 'एसडीएम को भी देना है पैसा': सोशल मीडिया पर रिश्वतखोरी का वीडियो वायरल |
मऊगंज - मध्य प्रदेश के नवगठित जिले मऊगंज से शिक्षा विभाग को शर्मसार करने वाली एक बड़ी खबर सामने आ रही है। यहाँ बच्चों के निवाले यानी 'पीएम पोषण योजना' में सेंधमारी का आरोप लगा है जनपद शिक्षा केंद्र के बीआरसी शिवकुमार रजक पर। आरोप है कि मिड-डे मील के संचालन के बदले 70 हजार रुपये की रिश्वत मांगी गई। ताज्जुब की बात यह है कि रिश्वत देते हुए वीडियो वायरल है, पैसे वापसी के डिजिटल प्रमाण हैं, फिर भी प्रशासन की चुप्पी कई बड़े सवाल खड़े कर रही है।
मऊगंज जिले में शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा आप इस वायरल वीडियो से लगा सकते हैं। यह पूरा मामला मऊगंज जनपद शिक्षा केंद्र का है। यहाँ पदस्थ बीआरसी शिवकुमार रजक पर आरोप है कि उन्होंने खुटहा विद्यालय में 'पीएम पोषण' यानी मध्यान्ह भोजन के संचालन के लिए हनुमान स्व सहायता समूह की संचालिका कंचन पटेल और उनके पति बालेंद्र कुमार पटेल से 70 हजार रुपये की मांग की।
शिकायतकर्ता का दावा है कि बीआरसी ने साफ शब्दों में कहा था कि यह पैसा ऊपर एसडीएम तक जाता है, तभी आदेश जारी होगा। काम की आस में पीड़ित ने तीन किस्तों में नवम्बर 2024 में 70 हजार रुपये दे दिए, जिसका वीडियो भी बना लिया गया। लेकिन हद तो तब हो गई जब पैसे लेने के बाद भी न तो आदेश जारी हुआ और न ही पुराना भुगतान किया गया।
मामला तब और दिलचस्प हो गया जब शिकायतें शुरू हुईं। खुद को फंसता देख बीआरसी ने 6 नवंबर 2024 को 30 हजार रुपये 'फोन-पे' के जरिए वापस कर दिए। डिजिटल दौर में यह ट्रांजेक्शन खुद चिल्ला-चिल्ला कर गवाही दे रहा है कि लेनदेन हुआ था। बावजूद इसके, कलेक्टर मऊगंज और कमिश्नर रीवा तक चक्कर काटने के बाद भी पीड़ित को सिर्फ आश्वासन और धमकियां मिल रही हैं।
हैरान करने वाली बात यह भी है कि पीड़ित हाईकोर्ट तक गया, मा न्यायालय से आदेश हुआ लेकिन मऊगंज जनपद शिक्षा केंद्र में माननीय न्यायालय के आदेशों को भी ठेंगे पर रखा जा रहा है। बीआरसी शिवकुमार रजक का कथित तौर पर यह कहना कि 'कहीं भी शिकायत कर दो, कुछ नहीं होगा', प्रशासनिक तंत्र की मिलीभगत की ओर इशारा करता है। अब सवाल यह है कि क्या मऊगंज जिला प्रशासन इस स्पष्ट वीडियो और डिजिटल ट्रांजेक्शन को सबूत मानेगा? क्या बच्चों के भोजन में भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई होगी या फिर शिवकुमार रजक जैसे अधिकारी सिस्टम की नाक के नीचे ऐसे ही वसूली करते रहेंगे?
