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| गांवों का 'स्वास्थ्य' संकट: रीवा-मऊगंज में अवैध चिकित्सा का साम्राज्य, शिविरों की चमक फीकी! Aajtak24 News |
रीवा/मऊगंज - एक ओर मऊगंज जिला प्रशासन शहरी क्षेत्रों में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से 'गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य' का संदेश दे रहा है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में हजारों अवैध चिकित्सकों का नेटवर्क बेरोकटोक संचालित हो रहा है। नीम चौराहा स्वास्थ्य शिविर में 291 मरीजों को मिली उम्मीद की किरण, ग्रामीण स्वास्थ्य तंत्र की उस बदहाल हकीकत पर पर्दा नहीं डाल पाई, जहाँ आज भी बड़े पैमाने पर लोग असुरक्षित ‘झोलाछाप’ इलाज पर निर्भर हैं।
🏥 शहरी पहल: 291 ज़िंदगियों तक पहुंची उम्मीद
सोमवार को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बोदाबाग द्वारा नीम चौराहा परिसर में आयोजित विशाल निःशुल्क आउटरिच स्वास्थ्य शिविर ने साबित किया कि सरकारी तंत्र सक्रिय हो तो परिणाम मिलते हैं। कुल 291 मरीजों ने इस शिविर का लाभ लिया।
शिविर की मुख्य सुविधाएँ:
जांच: गर्भवती महिलाओं की जांच, गैर-संचारी रोगों (NCD) की स्क्रीनिंग, और टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत परीक्षण।
वितरण: आयुष्मान कार्ड और आयुष्मान आरोग्य मंदिर योजना के तहत पैथोलॉजी सेवाएँ प्रदान की गईं।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी-2 डॉ. के.बी. गौतम, पार्षद और जिला कार्यक्रम प्रबंधक राघवेंद्र मिश्रा जैसे अधिकारियों की संगठित कार्यशैली ने इस प्रयास को सफल बनाया। यह पहल नागरिकों को उनके स्वास्थ्य अधिकारों के प्रति जागरूक करने और समय पर निदान सुनिश्चित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
अगला कदम: यह अभियान 09 दिसंबर को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रतहरा के अंतर्गत रतहरा तालाब पार्किंग स्थल में जारी रहेगा, जिससे नागरिकों को व्यापक चिकित्सकीय सुविधाएँ मिल सकें।
ग्रामीण हकीकत: अवैध चिकित्सकों का बढ़ता साम्राज्य
सकारात्मक सरकारी प्रयासों के समानांतर, रीवा-मऊगंज जिले के ग्रामीण अंचलों की वास्तविक स्थिति बेहद चिंताजनक है। गाँवों में स्वास्थ्य व्यवस्था बड़े पैमाने पर अवैध चिकित्सकों, बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर्स और मोटरसाइकिल पर घूम-घूमकर दवा करने वाले झोला छाप डॉक्टरों के भरोसे चल रही है।
अवैधता का विस्तार:
संख्या में इज़ाफा: पूर्व में प्रशासन द्वारा चिन्हित किए गए सैकड़ों अवैध चिकित्सकों की संख्या आज बढ़कर कई हजारों तक पहुँच चुकी है। ये लोग आकर्षक बोर्डों और बड़े-बड़े नामों के साथ बिना किसी वैध चिकित्सा पंजीयन के क्लीनिक चला रहे हैं।
दिखावटी कार्रवाई: स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन समय-समय पर कार्रवाई की घोषणा तो करते हैं और कुछ औपचारिक छापे भी पड़ते हैं, लेकिन ये कार्रवाईयाँ निरंतरता और कठोरता के अभाव में महज औपचारिकता बनकर रह जाती हैं।
प्रभावशाली संरक्षण: अवैध चिकित्सा से जुड़े कई लोग प्रभावशाली राजनीतिक या स्थानीय तत्वों के संपर्क में रहते हैं, जिसके कारण अधिकारियों के लिए लगातार कार्रवाई करना चुनौतीपूर्ण बन जाता है।
डेटा का अभाव: सबसे बड़ी विडंबना यह है कि आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या ब्लॉक स्तर पर यह पूछा जाए कि 'कितने अवैध क्लिनिक संचालित हो रहे हैं?', तो किसी भी विभाग के पास इसका सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं होगा। यह स्वास्थ्य प्रशासन की निगरानी और जवाबदेही की कमी को दर्शाता है।
समाधान की मांग: सशक्तिकरण और सख्ती
रीवा-मऊगंज का स्वास्थ्य तंत्र इस दोहरी चुनौती के बीच फंसा है। शहरी और उपशहरी क्षेत्रों में शिविर आयोजित कर सरकार गुणवत्तापूर्ण सुविधाएँ पहुँचाने का प्रयास तो कर रही है, लेकिन ग्रामीण समाज का बड़ा हिस्सा अब भी अनियमित और असुरक्षित स्वास्थ्य तंत्र पर निर्भर है।
स्वास्थ्य विभाग की पहलें तभी प्रभावी होंगी जब:
अवैध चिकित्सा पर लगाम: अवैध चिकित्सा पर वास्तविक, निरंतर और कठोर कार्रवाई हो, जिसके लिए एक टास्क फोर्स का गठन आवश्यक है।
प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता: ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों की उपलब्धता बढ़ाई जाए, जिससे ग्रामीणों को झोलाछाप डॉक्टरों की ओर न देखना पड़े।
नियमित सेवाएँ: स्वास्थ्य सुविधाएँ केवल 'शिविरों' तक सीमित न रहकर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नियमित रूप से उपलब्ध कराई जाएँ।
सरकार को समझना होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति ही अवैध चिकित्सा के साम्राज्य को ध्वस्त करने का एकमात्र स्थायी तरीका है।

