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| धान खरीदी में 'डेड' फर्जीवाड़ा: मृत किसानों के नाम पर लाखों का खेल! विधानसभा में मुद्दा गरमाते ही रीवा प्रशासन की ताबड़तोड़ जाँच Aajtak24 News |
रीवा - रीवा जिले में धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया बड़े फर्जीवाड़े के जाल में उलझी हुई पाई गई है। लंबे समय से समाचार में प्रकाशित अनियमितताओं और किसानों की निरंतर शिकायतों का असर अब दिखने लगा है। विधानसभा सत्र में यह मुद्दा गंभीर रूप से उठने के बाद, जिला प्रशासन ने धान उपार्जन के सभी पंजीयनों की गहन और त्वरित जांच शुरू कर दी है।
सबसे बड़ा खुलासा: मृत किसानों के नाम पर पंजीयन
प्रारंभिक जांच और समाचार की पड़ताल में जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई है, वह है मृत किसानों के नाम पर पंजीयन कर धान बेचने की तैयारी।
संलिप्त क्षेत्र: सेमरिया, निरघटी और आसपास की कई समितियों में मृत किसानों के नाम पर फर्जी पंजीयन पाए गए हैं।
फर्जीवाड़े का तरीका:
बंजर भूमि को उपजाऊ दिखाकर धान बोनी का फर्जी दावा किया गया।
नकली दस्तावेज और फर्जी शपथ पत्रों का उपयोग कर धान विक्रय की पात्रता प्राप्त की गई।
जांच में अब तक 15 से अधिक मृत किसानों के नाम संदिग्ध पाए गए हैं।
विधानसभा के बाद एक्शन मोड में प्रशासन
धान खरीदी में अनियमितता, फर्जी शपथ पत्र और जमीन की गड़बड़ी का मुद्दा जब विधानसभा सत्र में गूंजा, तो जिला प्रशासन तत्काल हरकत में आ गया। कलेक्टर ने तत्काल संबंधित विभागों को फील्ड सत्यापन के सख्त निर्देश दिए।
प्रशासनिक स्तर पर उठाए गए प्रमुख कदम:
पुनः सत्यापन: किसानों के सभी पंजीयनों का युद्धस्तर पर पुनः सत्यापन शुरू।
जिम्मेदारों की पहचान: मृत किसानों के मामलों में संलिप्त सरकारी अमले, समिति कर्मचारियों, और सत्यापन दल की पहचान की जा रही है।
नोटरी पर कार्रवाई: फर्जी शपथ पत्र जारी करने वाले नोटरी, जिन्होंने मृत व्यक्तियों का शपथ पत्र भी जारी किया, उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की तैयारी।
सिकमी/बटाईदार की जाँच: सिकमी और बटाईदार के नाम पर हुए दुरुपयोग के सभी पंजीयनों का फील्ड सत्यापन किया जा रहा है।
संदिग्ध समितियों पर निगरानी: संदिग्ध गतिविधियों वाली समितियों को विशेष निगरानी में रखा गया है।
वास्तविक किसान परेशान, फर्जी किसान सक्रिय
की जमीनी रिपोर्ट के अनुसार, इस फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा खामियाजा वास्तविक किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
किसानों की पीड़ा: वास्तविक किसान अपनी फसल बेचने के लिए घंटों लाइन में लग रहे हैं और प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है।
फर्जीवाड़े का तंत्र: दूसरी ओर, फर्जी पंजीयन कराने वाले दलाल और व्यापारी सक्रिय रूप से प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं। कई किसानों ने शिकायत की है कि खेत का सत्यापन किए बिना ही उनके नाम जोड़ दिए गए, जिससे अपात्र लोग लाभ ले रहे हैं।
व्यापारियों से सांठगांठ और स्लॉट बुकिंग का खेल
जांच में एक और बड़ा रहस्य उजागर हुआ है: कई पंजीकृत किसान व्यापारियों से सांठगांठ करके अपने घर से कई किलोमीटर दूर स्लॉट बुक कर धान बेच रहे हैं। उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि व्यापारी अवैध रूप से सस्ता अनाज खरीदकर किसानों के नाम पर दूर के केंद्रों से बेचकर लाभ कमा रहे हैं। कलेक्टर ने आश्वासन दिया है कि जाँच पूरी होने के बाद न केवल फर्जी पंजीयन रद्द किए जाएंगे, बल्कि फर्जीवाड़े में शामिल सरकारी कर्मचारियों, नोटरी, दलालों और समिति प्रबंधकों के खिलाफ भी कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
