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| विडंबनाः जन समस्या निवारण शिविर पर विभागों की अनुपस्थिति...आखिर कैसे होगा लोगों की समस्याओं का निराकरण Aajtak24 News |
सारंगढ़ बिलाईगढ़ - सुशासन सप्ताह प्रशासन से गांव की ओर के लिए बुधवार को ग्राम पंचायत गिरहुलपाली जनपद पंचायत बरमकेला में शिविर रखा गया था। शिविर में ग्रामीणों से उनकी समस्याओं व मांगों से संबंधित आवेदन पत्र लिए गए। प्राप्त आवेदनों का जनपद पंचायत स्तर पर पंजिकृत कर संबंधित विभागों को निराकारण हेतु भेजा गया। चूंकि इस शिविर में शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों का कड़ाई से सुनिश्चित करते हुए प्रशासनिक अमला मौजूद रहे। किंतु इस शिविर में सड़क परिवहन विभाग के अधिकारी गायब रहे। इस वजह से पीड़ित ग्रामीणों को भटकना पड़ा।
दोपहर 1.30 बजे पहुंचे ग्राम पंचायत नौघटा के ग्रामीण दिनेश्वर पटेल, पंच गणेश पटेल, सुरेन्द्र पटेल, दुर्गेश पटेल ने मांग पत्र देकर बताया कि नौघटा पीएमजीएसवाई सड़क पर 12 टन से अधिक क्षमता के फ्लाईऐश व अन्य खनिज पदार्थ के लोडेड वाहनों के परिवहन करने से पक्की सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे बनकर आम सड़क में तब्दील हो चुका है। सड़कें खराब हो जाने से ग्रामीणों को आवागमन करने में भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। नौघटा के ग्रामीणों ने पीएमजीएसवाई सड़क पर चल रहे ओवरलोड वाहनों के परिवहन रोक लगाने की शिकायत पत्र को शिविर प्रभारी को क्यों सौंपा गया।
बता दें कि इस सड़क पर ट्रांसपोटरों के द्वारा बेखौफ तरीके से फ्लाईएश से भरे ओवरलोड वाहनों का परिचालन कराया जा रहा है। इससे बोंदामुढ़ा जलाशय व स्कूल संस्थानों तथा एरिया के गांवों को फ्लाईऐश के धूल डस्ट के प्रदूषण से त्रस्त होना पड़ता है और जिससे सबके स्वास्थ्य पर काफ़ी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में ग्रामीणों ने नौघटा पीएमजीएसवाई सड़क पर भारी वाहनों पर रोक लगाने की मांग की है।
नौघटा सड़क पर चल रहे ओवरलोड वाहनों पर रोक लगाने की मांग किसी एक की नहीं है बल्कि पूरा एरिया अब धूल डस्ट से त्रस्त हो चुका है जिससे निजाद पाने के लिए ग्रामीण अपने शिकायतों को दर्ज करवाने के लिए गाँव में लगे सुशासन सप्ताह के इस अल्पकालिक कार्यक्रम में पहुंच आए। पता चला कि यहां सड़क एवं परिवहन विभाग मौजूद ही नहीं था और जिससे ग्रामीणों के मांग पत्र को शिविर प्रभारी को देना पड़ा। फ़िलहाल शिविर प्रभारी के द्वारा ग्रामीणों की समस्याओं की मांग को संबंधित विभाग को कार्रवाई के लिए भेजने की बात कही। फिलहाल सुशासन सप्ताह प्रशासन गांव की ओर अभियान शुरुआती दौर में शिविर में खानापूर्ति की कोशिश करते दिखें।
शिविर में आए 84 आवेदन पत्र
गिरहुलपाली में आयोजित शिविर में आसपास गांव के ग्रामीणों की ओर से पशुधन विभाग के 18 राजस्व विभाग के 13 व अन्य विभाग के मिलाकर कुल 84 आवेदन दिया गया है। वही शिविर में अतिथियों के द्वारा दो महिलाओं को गोद भराई, 3 नवजात शिशुओं का अन्नप्राशन कराया। जबकि 5 हितग्राहियों को आयुष्यान कार्ड, 1 हितग्राही को श्रवण यंत्र व अन्य को मछली पकड़ने का जाल, आईबाक्स का वितरण किया गया। 210 ग्रामीणों के स्वास्थ्य परीक्षण की गई। अब ऐसे में यहां सवाल उठना लाजिमी है कि जब सुशासन सप्ताह प्रशासन गांव की ओर अभियान के तहत आयोजित शिविरों में आमजनों से प्राप्त आवेदन, शिकायत व मांग पत्रों कुछ सुनने और उनका समय से निपटारा करने के लिए वहां आवश्यक विभाग ही मौजूद नहीं है तो आखिर यह जन समस्या निवारण शिविर खोलने का क्या ही लाभ जबकि प्रशासनिक गाइडलाइंस के मुताबिक इन शिविरों में संबंधित सभी विभागों की उपलब्धता और जवाबदेही होनी चाहिए, जिससे लोगों को अपनी समस्याओं का समय पर निराकरण हो सके।
क्या संबंधित अधिकारी इस बात का जवाबदेह नहीं हैं कि विभागों के अनुपस्थित होने का आखिर कारण क्या है? और शिविर में पहुंचने वाले उन मांग पत्रों का आखिर क्या होगा? क्या उनके समस्याओं का समाधान हो पाएगा अथवा नहीं! अब यह तो जिला कलेक्टर पर ही निर्भर करता है की आने वाले समय में अगर ऐसे शिविर का आयोजन किया जा रहा हो, जहां आम लोगों की समस्याओं का निपटारे के लिए संबंधित विभाग जवाबदेही पूर्ण उपस्थित रहें।
