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| लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर 'वर्दी' का प्रहार: ज़ी न्यूज़ के पत्रकार प्रमोद शर्मा पर जानलेवा हमला, चिरायु अस्पताल में भर्ती, मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार Aajtak24 News |
भोपाल - मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की सुरक्षा के दावों की भी पोल खोल दी है। ज़ी न्यूज़ (Zee News) के वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद शर्मा पर कवरेज के दौरान पुलिसिया गुंडागर्दी का काला साया मंडराया, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। फिलहाल वे भोपाल के चिरायु अस्पताल में जिंदगी और दर्द से जूझ रहे हैं।
ग्राउंड जीरो पर 'वर्दी' की गुंडागर्दी: क्या था मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, प्रमोद शर्मा जब एक मामले की कवरेज करने पहुंचे, तो वहां तैनात मध्य प्रदेश पुलिस के जवानों ने सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाईं। पत्रकार को सच्चाई दिखाने से रोकने के लिए पुलिसकर्मियों ने न केवल उनके साथ धक्का-मुक्की की, बल्कि उनके कैमरामैन से कैमरा तक छीन लिया। हद तो तब हो गई जब पत्रकारिता के धर्म का पालन कर रहे प्रमोद शर्मा पर जानलेवा हमला किया गया, जिससे उन्हें शरीर पर गंभीर चोटें आई हैं।
चिरायु अस्पताल में भर्ती, आक्रोश में पत्रकार जगत
हमले के बाद प्रमोद शर्मा को तत्काल चिरायु अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों की टीम उनका उपचार कर रही है। जैसे ही यह खबर फैली, भोपाल सहित पूरे प्रदेश के पत्रकारों में उबाल आ गया। अस्पताल के बाहर सहयोगियों और शुभचिंतकों का तांता लगा हुआ है। पत्रकारों का एक ही सवाल है— "अगर सच्चाई दिखाने पर पुलिस ही हमलावर हो जाएगी, तो आम जनता न्याय की उम्मीद किससे करेगी?"
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से हस्तक्षेप की मांग
इस बर्बरतापूर्ण घटना के बाद प्रदेश के विभिन्न पत्रकार संगठनों और प्रबुद्ध जनों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से कड़े एक्शन की मांग की है।
पत्रकार जगत की मुख्य मांगें:
दोषी पुलिसकर्मियों की तत्काल बर्खास्तगी: जिन वर्दीधारियों ने कानून को अपने हाथ में लिया और पत्रकार पर हमला किया, उन्हें तुरंत सेवा से पृथक किया जाए। न्यायिक जाँच: घटना की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जाँच हो ताकि पर्दे के पीछे छिपे चेहरों को बेनकाब किया जा सके। पत्रकार सुरक्षा कानून: प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून को कड़ाई से लागू किया जाए, ताकि भविष्य में कोई भी पत्रकारिता की आवाज दबाने का साहस न कर सके।
लोकतंत्र पर हमला है यह चुप्पी
वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है। मध्य प्रदेश पुलिस की इस हरकत ने शासन की छवि को भी धूमिल किया है। संगठनों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि 24 घंटे के भीतर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन किया जाएगा।
अब निगाहें मुख्यमंत्री पर
पत्रकार प्रमोद शर्मा आज अस्पताल के बेड पर हैं, लेकिन उनका साहस और सच्चाई के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हर पत्रकार की आँखों में आक्रोश बनकर धधक रही है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस 'वर्दी वाली गुंडागर्दी' पर क्या कड़ा फैसला लेते हैं। क्या लोकतंत्र के प्रहरी को न्याय मिलेगा या वर्दी का रसूख सच्चाई पर भारी पड़ेगा?
