समर्थन मूल्य खरीदी में नियम ताक पर! रीवा-मऊगंज में बिना स्टाफ, बिना शेड वाले केंद्र घोषित Aajtak24 News

समर्थन मूल्य खरीदी में नियम ताक पर! रीवा-मऊगंज में बिना स्टाफ, बिना शेड वाले केंद्र घोषित Aajtak24 News

रीवा - समर्थन मूल्य पर धान खरीदी वर्ष 2025–26 की तैयारियों ने रीवा और नवगठित मऊगंज जिले में शुरू होते ही विवादों का दौर शुरू कर दिया है। खरीदी केंद्रों के निर्धारण से लेकर स्थल चयन तक की पूरी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय किसानों और समितियों का आरोप है कि पारदर्शी नियमों को दरकिनार करते हुए, “जिसकी जितनी सेवा, उसकी उतनी सुविधा” का फार्मूला लागू किया जा रहा है, जिससे भ्रष्टाचार के नए अध्याय शुरू होने की आशंका बढ़ गई है।

केंद्र निर्धारण: नियम-कायदे दरकिनार

केंद्र निर्धारण कमेटी की भूमिका पर सबसे बड़े प्रश्नचिन्ह लगे हैं। आरोप है कि बिना किसी तकनीकी परीक्षण, आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता और समितियों की पात्रता जांचे ही कई खरीदी केंद्र घोषित कर दिए गए हैं।

  • कर्मचारी संकट: कई समितियों में पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध नहीं है, फिर भी केंद्र बनाए गए हैं। किसान पूछ रहे हैं कि "जहाँ स्टाफ ही नहीं, वहाँ तुलाई और रिकॉर्ड कौन संभालेगा?"

  • सुरक्षा का खतरा: कई केंद्र ऐसे खुले मैदानों पर निर्धारित किए गए हैं जहाँ न हार्ड फ्लोर है, न शेड, और केवल कीचड़ और गाद है। यदि बारिश होती है, तो किसानों की मेहनत की फसल नष्ट होने का सीधा खतरा है। 15 किलोमीटर दूर सुरक्षित गोदाम को छोड़कर समीप के असुरक्षित ओपन मैदान को गोदाम स्तर मान लेना भी अव्यवस्था की ओर इशारा करता है।

  • वित्तीय क्षमता की अनदेखी: समितियों की आर्थिक और प्रबंधन क्षमता का परीक्षण किए बिना ही केंद्र बना दिए गए, जिससे खरीदी के सुचारु संचालन पर संदेह है।

अनियमितता का पुराना रोग: तौल और चोरी

किसानों का कहना है कि खरीदी केंद्रों पर तौल कांटे में 5 से 10 क्विंटल तक की ‘सेटिंग’ की शिकायतें हर साल आती हैं। इसके अलावा, परिवहन के दौरान प्रति ट्रैक्टर 4 से 10 बोरियाँ धान चोरी होना और 40 किलो वाली बोरी में अक्सर 37–38 किलो ही धान मिलना अब ‘सिस्टम’ का हिस्सा बन चुका है। इन गंभीर शिकायतों पर अभी तक किसी भी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

दबाव में केंद्र परिवर्तन

केंद्र निर्धारण कमेटी पर यह भी आरोप है कि जनप्रतिनिधियों के आवेदन के आधार पर मनमाने ढंग से केंद्र बदले गए हैं। बिना स्थल निरीक्षण के केंद्र घोषित किए गए, और कई स्थानों पर दो-दो किलोमीटर के दायरे में कई केंद्र खोल दिए गए। किसानों का सवाल है कि यदि पहला निर्धारण सही था, तो परिवर्तन क्यों? और यदि गलत था, तो जिम्मेदार अधिकारी कौन है? यह मनमानी वित्तीय अनियमितताओं की आशंका को और भी बढ़ाती है।

किसानों की मांग: उच्च स्तरीय जांच

इस गंभीर मामले पर विभाग के संबंधित अधिकारियों से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने से किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है। किसानों और स्थानीय संगठनों ने मांग की है कि:

  • सभी घोषित केंद्रों का तत्काल पुनरीक्षण किया जाए।

  • स्थल निरीक्षण की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।

  • तौल कांटे की कैलिब्रेशन जांच करवाई जाए।

  • संपूर्ण अनियमितताओं पर संभागीय स्तर पर उच्च स्तरीय जांच बैठाई जाए।

किसानों को उम्मीद है कि संभागीय आयुक्त इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच करेंगे और यदि आरोपों में सत्यता पाई जाती है तो दोषी अधिकारी, कर्मचारी और संबंधित व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई करेंगे।




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