![]() |
| रीवा यातायात व्यवस्था को लगा भ्रष्टाचार का 'ग्रहण', वसूली में मस्त अमला, जाम में पस्त जनता Aajtak24 News |
रीवा - विंध्य के सबसे प्रमुख शहर रीवा की यातायात व्यवस्था इन दिनों पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। शहर के मुख्य चौराहों से लेकर व्यस्ततम सड़कों तक, जनता रोजाना घंटों भीषण जाम से जूझ रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी सड़कों से नदारद नज़र आते हैं। आरोप है कि यातायात विभाग का पूरा ध्यान व्यवस्था बनाने के बजाय केवल 'वसूली अभियान' पर केंद्रित हो गया है, जिसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है।
वसूली का खेल: बिना कागज दौड़ रहे ऑटो
सूत्रों के हवाले से जो जानकारी सामने आ रही है, वह चौंकाने वाली है। बताया जा रहा है कि शहर और ग्रामीण अंचलों से चलने वाले ऑटो चालकों से मासिक 'एंट्री' के नाम पर मोटी वसूली की जाती है। इस अवैध वसूली के बदले इन ऑटो चालकों को बिना वैध कागजात, बिना लाइसेंस और बिना परमिट के सड़कों पर बेखौफ दौड़ने का 'अभय दान' दिया जाता है। यही कारण है कि शहर की सड़कों पर अनियंत्रित ऑटो का कब्जा है, जो जहां मर्जी वहां वाहन रोक देते हैं, जिससे जाम की स्थिति निर्मित होती है।
एंबुलेंस भी नहीं सुरक्षित, मरीज जूझ रहे जिंदगी की जंग
शहर के मुख्य चौराहों पर लगने वाला जाम इतना भीषण होता है कि कई बार गंभीर मरीजों को लेकर जा रही एंबुलेंस घंटों फंसी रहती हैं। यातायात पुलिस के कर्मचारी चौराहों पर ट्रैफिक संभालने के बजाय कोनों में खड़े होकर चालानी कार्यवाही या वसूली में व्यस्त दिखते हैं। घंटों तक यातायात बाधित होने से न केवल समय की बर्बादी हो रही है, बल्कि लोगों का मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है।
अतिक्रमण और मिलीभगत: सड़कें बनीं दुकानें
जाम का एक बड़ा कारण सड़कों पर फैला अतिक्रमण भी है। शहर के अधिकांश दुकानदार अपनी दुकानों का सामान सड़क तक फैला कर रखते हैं। सूत्रों का दावा है कि नगर निगम और यातायात विभाग की मिलीभगत के चलते इन दुकानदारों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती। सड़क का एक बड़ा हिस्सा दुकानों और अवैध पार्किंग की भेंट चढ़ चुका है, जिससे आवागमन के लिए जगह ही नहीं बचती।
नदारद अधिकारी और पंगु सुशासन
रीवा के नागरिकों का कहना है कि यातायात थाना प्रभारी और उनके सहयोगियों का मुख्य मकसद अब केवल राजस्व या निजी लाभ जुटाना रह गया है। सड़कों पर सुचारू यातायात सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता सूची से गायब है। शहर के प्रमुख स्थल जैसे सिरमौर चौराहा, अस्पताल तिराहा और जय स्तंभ के पास स्थिति सबसे अधिक भयावह होती है।
