शिक्षा का दीप नवयुग की देहरी पर, बैकुंठपुर महाविद्यालय ने जगाई ज्ञान- जागरण की लौ, गाँव- गाँव पहुँच रहा है उच्च शिक्षा का उजास Aajtak24 News

शिक्षा का दीप नवयुग की देहरी पर, बैकुंठपुर महाविद्यालय ने जगाई ज्ञान- जागरण की लौ, गाँव- गाँव पहुँच रहा है उच्च शिक्षा का उजास Aajtak24 News 

रीवा - शिक्षा का दीप नवयुग की देहरी पर, बैकुंठपुर महाविद्यालय का अलख- उच्च शिक्षा मात्र डिग्रियों की गठरी नहीं, बल्कि विवेक, दृष्टि और चरित्र निर्माण की वह अधिष्ठान- शिला है, जिस पर किसी प्रदेश का भविष्य अपनी स्थायी आकृति ग्रहण करता है। इसी उत्तरदायित्व को धारण कर शासकीय महाविद्यालय बैकुंठपुर ने कॉलेज चलो अभियान 2026-27 के माध्यम से वह कार्य किया है जिसकी आवश्यकता आज की पीढ़ी को सर्वाधिक है- शिक्षा का सीधा, निर्बाध और प्रेरक संवाद। 10 दिसंबर 2025 बैकुंठपुर महाविद्यालय के लिए केवल एक तिथि नहीं, बल्कि जन- शिक्षा मिशन के पुनर्जागरण का प्रतीक दिवस बन गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. हरिचरण अहिरवार के विवेकपूर्ण नेतृत्व जिसका एक सिरा अनुशासन के तेज से और दूसरा संवेदनशीलता के मधुर स्पर्श से जुड़ा है- ने इस अभियान को दिशा और गरिमा प्रदान की।

उनके मार्गदर्शन में गठित दल कॉलेज चलो अभियान नोडल अधिकारी डॉ. नितिन बिष्ट, प्रवेश नोडल अधिकारी डॉ. सचिन कुमार श्रीवास्तव, छात्रवृत्ति नोडल अधिकारी डॉ. मानेंद्र सिंह, ने केवल औपचारिकता नहीं निभाई, बल्कि युवा मनों में भविष्य की अग्निशिखा प्रज्वलित करने वाले दीपस्तंभ बनकर विद्यालयों का भ्रमण किया। दल ने पी.एम. श्री उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मझिगवां तथा शासकीय डॉ. आंबेडकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बरौ में पहुँचकर छात्रों के सामने महाविद्यालय में उपलब्ध विविध पाठ्यक्रम, छात्रवृत्ति योजनाएँ, प्रवेश प्रक्रिया, और करियर उन्मुख संभावनाओं का अत्यंत प्रभावी, प्रेरक और विस्तृत प्रस्तुतीकरण किया। यह संवाद केवल सूचना का आदान- प्रदान नहीं था, बल्कि विश्वास और संबल का संचार था- कि उच्च शिक्षा दूर नहीं, आपकी पहुँच में है, उसके द्वार किसी के लिए बंद नहीं। प्राचार्य डॉ. अहिरवार ने स्वयं छात्रों को महाविद्यालय भ्रमण हेतु आमंत्रित कर यह स्पष्ट किया कि उच्च शिक्षा कोई अभेद दुर्ग नहीं, बल्कि अवसर की समानता का विस्तृत मंच है। जब आर्थिक और सामाजिक विषमताएँ शिक्षा के मार्ग पर अवरोध बनती हैं, तब यह आमंत्रण उन तमाम युवाओं के लिए स्वप्न- सिद्धि का साहस प्रदान करता है, जो आगे बढ़ना तो चाहते हैं, परंतु संसाधनों की सीमाएँ उन्हें बाँध लेती हैं।

उक्त दोनों विद्यालयों के प्राचार्य एवं स्टाफ ने जिस उत्साह और सहयोग से इस अभियान का स्वागत किया, वह बताता है कि जब विद्यालय और महाविद्यालय परस्पर सहयोगी बनते हैं तब शिक्षा अपनी पूरी ऊर्जा के साथ समाज को रूपांतरित करती है। शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार किया गया यह भ्रमण बैकुंठपुर महाविद्यालय के परिपक्व शैक्षिक दृष्टिकोण का दर्पण है। जब गाँव- कस्बों के छात्र ऐसे अभियानों से प्रेरित होते हैं, तब शिक्षा अपने वास्तविक स्वरूप, सामाजिक परिवर्तन की धुरी, और भविष्य निर्माण का विराट उपकरण में पुनः प्रतिष्ठित होती है। यह अभियान केवल जानकारी का प्रवाह नहीं, बल्कि संस्कार, संकल्प और सपनों के उदय का यज्ञ है। बैकुंठपुर महाविद्यालय ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि इच्छाशक्ति सच्ची हो तो ज्ञान का प्रकाश किसी भी गाँव के अंधियारे को सहज ही दूर कर सकता है। यह केवल अभियान नहीं- नवभारत के भविष्य का पुनर्जागरण है।



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