![]() |
| मनगवां भाजपा में हड़कंप: विधायक द्वारा नई प्रतिनिधि नियुक्तियाँ जारी होते ही 48 घंटे में 5 कार्यकर्ताओं ने लौटाए दायित्व Aajtak24 News |
रीवा/मनगवां - मनगवां विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के विधायक इंजीनियर नरेंद्र प्रजापति द्वारा जारी नई प्रतिनिधि नियुक्ति सूची ने स्थानीय राजनीति का तापमान बढ़ा दिया है। 09, 10 और 11 दिसंबर 2025 को जारी हुई इस सूची के महज 48 घंटों के भीतर, लगभग 14 नियुक्तियों में से पाँच कार्यकर्ताओं ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपना दायित्व लौटा दिया है। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने मनगवां भाजपा के आंतरिक असंतोष और संगठनात्मक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वरिष्ठ नेताओं के अपमान की चर्चा और असंतोष
मनगवां क्षेत्र में यह चर्चा तेज है कि कार्यकर्ताओं के इस कदम के पीछे अंदरुनी असंतोष के साथ-साथ विधायक द्वारा क्षेत्र के पूर्व दिग्गज नेताओं के प्रति अपनाए गए रुख की नाराजगी भी है। क्षेत्र की जनता और कार्यकर्ता आज भी पंडित श्रीनिवास तिवारी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, नागेंद्र सिंह और प्रदीप पटेल जैसे नेताओं को सम्मान देती है। जनचर्चा है कि विधायक नरेंद्र प्रजापति द्वारा इन प्रमुख नेताओं (या उनके परिवार) का व्यक्तिगत विरोध करना या उन्हें नजरअंदाज करना बड़ी भूल है। मनगवां की जनता पूर्व नेताओं के सम्मान पर किसी प्रकार की चोट बर्दाश्त नहीं करेगी, क्योंकि पंडित श्रीनिवास तिवारी, रुक्मणी रमन प्रताप सिंह, चंद्रमणि त्रिपाठी, यमुना प्रसाद शास्त्री जैसे नेताओं ने इस क्षेत्र का नाम पूरे प्रदेश में रोशन किया है।
त्यागपत्रों की श्रृंखला ने उठाये सवाल
जिन कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उनका दायित्व लौटाना यह दर्शाता है कि संगठन के भीतर सब कुछ सामान्य नहीं है। लगातार पाँच इस्तीफे सामने आने के बाद यह माना जा रहा है कि कार्यकर्ताओं में गुटबाजी और नाराजगी चरम पर है, जो अब खुलकर सामने आने लगी है।
पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप
स्थानीय स्तर पर वर्षों से पार्टी के प्रति समर्पित रहने वाले मूल कार्यकर्ताओं में गहरी निराशा है। उनका आरोप है कि वर्तमान परिस्थितियों में पुराने कार्यकर्ताओं की भूमिका और महत्व लगातार कम किया जा रहा है।
चर्चा है कि नियुक्तियों और लाभ में अधिकतर मौका उन लोगों को मिल रहा है:
जो हाल ही में अन्य दलों से भाजपा में शामिल हुए हैं।
जो स्थानीय ठेकेदारी नेटवर्क या प्रभावशाली समूहों से जुड़े हैं।
अटल-आडवाणी काल से निष्ठा रखने वाले पुराने कार्यकर्ता स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका स्पष्ट मत है कि वे पद के लिए नहीं, बल्कि विचारधारा के प्रति समर्पण के आधार पर जुड़े रहे, लेकिन वर्तमान घटनाक्रम ने उनका मनोबल तोड़ा है।
संगठन की सेहत और गोपनीय समीक्षा की मांग
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि त्यागपत्रों की यह श्रृंखला यदि जारी रही, तो यह पार्टी की जमीनी पकड़ को कमजोर कर सकती है। विशेषज्ञों ने पार्टी नेतृत्व से इस घटनाक्रम को केवल 'व्यक्तिगत कारणों' तक सीमित न मानते हुए पूरे प्रदेश में संगठनात्मक समीक्षा करने की मांग की है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पुराने कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ रही है। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने पार्टी नेतृत्व से गोपनीय जांच कर यह समझने की मांग की है कि संगठन की रीढ़ माने जाने वाले कार्यकर्ताओं का मनोबल क्यों गिर रहा है। फिलहाल, मनगवां में यह घटनाक्रम प्रदेश स्तरीय नेतृत्व का ध्यान भी खींच रहा है। आने वाले दिनों में विधायक या पार्टी की ओर से स्पष्टीकरण अथवा पुनर्गठन प्रक्रिया सामने आने की संभावना है।
