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| खाद्य विभाग की छापेमारी में 1238 बोरी धान, 967 बोरी कोदो और 2200 बोरी बारदाना जब्त Aajtak24 News |
रीवा - समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन की प्रक्रिया शुरू होते ही जिले में अवैध भंडारण, फर्जी बिक्री और बिचौलियों की गतिविधियाँ खुलकर सामने आने लगी हैं। सिरमौर विकासखंड के बैकुंठपुर अंतर्गत मझिगवां में खाद्य विभाग की छापेमारी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि खरीदी केंद्रों के आसपास बिचौलियों का नेटवर्क गहराई तक फैला हुआ है। कार्रवाई के दौरान व्यापारी महेंद्र गुप्ता के घर और दुकान से 1238 बोरी धान, 967 बोरी कोदो तथा 2200 बोरी बारदाना जब्त किया गया। अनाज और बारदाना से संबंधित कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत न कर पाने पर विभाग ने प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है।
योजनाएँ जमीन पर कमजोर, कागजों में मजबूत
यह कार्रवाई इस बात की पुष्टि करती है कि शासन की योजनाएँ भले ही कागजों पर प्रभावी दिखाई दें, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। बड़ी-बड़ी टीमें गठित होती हैं, निर्देश जारी होते हैं, बैठकें होती हैं, परंतु वास्तविक लाभार्थी किसान आज भी व्यवस्था के बीच पिस रहा है। खरीदी केंद्रों पर बिचौलियों का दबदबा इस कदर है कि पंजीकृत किसान अपने नजदीकी केंद्र छोड़कर 30–40 किलोमीटर दूर स्लॉट बुक कर धान बेचने को मजबूर हैं।
मऊगंज ब्रेकिंग: खरीदी केंद्र पर व्यापारी की एंट्री, पुलिस ने रोकी साजिश
इसी कड़ी में मऊगंज जिले के नईगढ़ी विकासखंड अंतर्गत बंधवा धान खरीदी केंद्र पर बड़ी कार्रवाई सामने आई है। एक तथाकथित व्यापारी जब एक साथ दो पिकअप और एक मिनी ट्रक में धान भरकर केंद्र पहुंचा, तो वहां मौजूद किसानों और कर्मचारियों को शंका हुई। गोपनीय सूचना पर नईगढ़ी थाना पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए धान से भरे तीनों वाहनों को थाने में खड़ा कराया। पकड़े जाने के बाद व्यापारी अब धान को किसानों की बताने के लिए एड़ी–चोटी का जोर लगाता नजर आया। हालांकि महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जब धान खरीदी केंद्र पर पहुंची, तब उसे किसी किसान की नहीं बताया गया, बल्कि उपार्जन केंद्र के रजिस्टर में व्यापारी ने अपने नाम से वाहन नंबर सहित धान दर्ज कराया। अब बाद में किसानों को आगे कर धान उनकी बताने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे पूरा मामला और संदिग्ध हो गया है।
सीमावर्ती राज्यों से सस्ता धान, किसानों के नाम पर बिक्री
सूत्रों के अनुसार, रीवा–मऊगंज अंचल में सक्रिय कुछ व्यापारी उत्तर प्रदेश व आसपास के क्षेत्रों से सस्ते दामों पर धान खरीदकर, कुछ किसानों को निश्चित कमीशन देकर उनके खातों के माध्यम से खरीदी केंद्रों में धान बिकवाते हैं। बंधवा केंद्र पर बिक्री से पहले ही धान पकड़े जाने से न केवल यह साजिश नाकाम हुई, बल्कि अन्य खरीदी केंद्रों में ऐसी तैयारी कर रहे व्यापारियों में भी हड़कंप मच गया है।
पहले भी चेताया, फिर भी अनदेखी
समाचार पूर्व में भी कई बार धान खरीदी में सक्रिय बिचौलियों के नेटवर्क को उजागर कर शासन–प्रशासन को चेताता रहा है। इसके बावजूद हालिया घटनाक्रम यह दर्शाता है कि चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया गया। यदि समय रहते ठोस कार्रवाई और सख्त निगरानी होती, तो किसानों का शोषण और अवैध भंडारण जैसी स्थितियाँ पैदा ही नहीं होतीं।
कार्रवाई स्वागतयोग्य, पर स्थायी समाधान जरूरी
खाद्य विभाग और पुलिस की यह कार्रवाई सराहनीय है और इससे बिचौलियों में दहशत भी व्याप्त हुई है, लेकिन यह कुल समस्या का दशमलव दो प्रतिशत भी नहीं मानी जा सकती। जरूरत है कि खरीदी केंद्रों में तौल की पारदर्शिता, पंजीयन–स्लॉट की कड़ी जांच, वाहन–धान मिलान, डिजिटल ट्रैकिंग और निरंतर औचक छापेमारी सुनिश्चित की जाए। तभी समर्थन मूल्य का वास्तविक लाभ सीधे किसानों तक पहुंचेगा और धान उपार्जन व्यवस्था पर उठते सवालों का स्थायी समाधान संभव होगा।
