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| शासन के निर्देशों की धज्जियां: बालक हायर सेकेंडरी स्कूल गढ़ में पेवर ब्लॉक निर्माण में लाखों का घोटाला! Aajtak24 News |
रीवा - जनपद पंचायत गंगेव अंतर्गत आने वाले बालक हायर सेकेंडरी स्कूल गढ़ परिसर में इन दिनों चल रहे पेवर ब्लॉक निर्माण कार्य ने बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। निर्माण की गुणवत्ता, कार्य प्रक्रिया और प्रशासनिक पारदर्शिता को लेकर न केवल गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं, बल्कि स्थानीय लोगों ने यह भी दावा किया है कि इस लाखों रुपये के काम में स्वीकृत राशि का एक बड़ा हिस्सा 'विभिन्न स्तरों पर बांटने' की चर्चाएं आम हैं। यह प्रकरण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि किस तरह सरकारी विकास योजनाएं कुछ अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए 'कमाई का जरिया' बन चुकी हैं।
तकनीकी मानकों को दरकिनार, बेस वर्क अधूरा
किसी भी सरकारी भवन या स्कूल परिसर में पेवर ब्लॉक बिछाने के लिए सिविल इंजीनियरिंग के तहत तीन अनिवार्य चरण होते हैं: मजबूत मुरम की परत, गिट्टी और रेत का संतुलित मिश्रण (कुशल बेसवर्क), और उचित कंपैक्शन (दबाव) व लेवलिंग। इन चरणों में कमी आने पर पेवर ब्लॉक कुछ ही महीनों में उखड़ जाते हैं या धंस जाते हैं।
स्कूल परिसर में हुए निरीक्षण के दौरान यह स्पष्ट रूप से देखा गया कि:
बेस की मोटाई आवश्यक मानकों से काफी कम रखी गई है।
कम्पैक्शन का काम अधूरा है।
कई जगहों पर जल्दबाजी में पेवर ब्लॉक को सीधे मुरम की पतली परत पर बिछा दिया गया है।
यही घटिया बेसवर्क, रीवा जिले और मऊगंज क्षेत्र के कई सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में अतीत में हुए ऐसे कार्यों के विफल होने का मुख्य कारण रहा है। किसानों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब नींव ही कमजोर है, तो यह निर्माण कुछ ही महीनों में टूट कर बिखर जाएगा और सरकारी धन व्यर्थ हो जाएगा।
पारदर्शिता शून्य, Display Board गायब
लाखों रुपये के इस विकास कार्य में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए अनिवार्य सरकारी नियमों का सरेआम उल्लंघन किया गया है। निर्माण स्थल पर कोई भी डिस्प्ले बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिसमें निम्न महत्वपूर्ण विवरण होने चाहिए:
कार्य की कुल लागत और परियोजना की स्वीकृति तिथि।
कार्य प्रारंभ और समाप्ति की निश्चित तिथि।
ठेकेदार/कार्य एजेंसी का नाम।
तकनीकी स्वीकृति प्रदान करने वाले अधिकारी का नाम।
प्राक्कलन की प्रतिलिपि।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब किसी निर्माण कार्य की शुरुआत ही छिपाकर की जाती है, तो यह स्वतः ही भ्रष्टाचार का संकेत होता है। यह दर्शाता है कि विभाग और एजेंसी मिलकर गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं ताकि हिसाब में हेराफेरी की जा सके।
“भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया है”: ग्रामीणों का आक्रोश
इस गंभीर अनियमितता के संबंध में जब संबंधित विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो सभी ने आधिकारिक तौर पर अपना पक्ष रखने से इनकार कर दिया और चुप्पी साध ली। विभागीय चुप्पी ने भ्रष्टाचार के आरोपों को और बल दिया है। क्षेत्रवासियों में विभाग और जनप्रतिनिधियों के प्रति गहरा आक्रोश है। वे खुले शब्दों में कह रहे हैं कि "अब भ्रष्टाचार को रोकने की बात करना गलत लगता है। भ्रष्टाचारियों को ही सम्मान मिलता है और ईमानदारी मज़ाक बनकर रह गई है। उनका मानना है कि पेवर ब्लॉक योजना, जिसका मूल उद्देश्य सरकारी परिसरों को साफ-सुथरा और धूल रहित बनाना था, अब रीवा संभाग में आसान कमाई का जरिया बन गई है, जिसके चलते पिछले वर्षों में लगे ब्लॉक भी जगह-जगह टूटकर या धंसकर गायब हो चुके हैं।
कलेक्टर और संभागीय आयुक्त से उच्च स्तरीय जांच की मांग
जनता की शिकायतों और निर्माण में हो रही खुली अनियमितताओं को देखते हुए, बालक हायर सेकेंडरी स्कूल गढ़ के नागरिकों ने जिला प्रशासन से उच्च स्तरीय हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने जिला कलेक्टर और संभागीय आयुक्त से अपील की है कि इस कार्य की तकनीकी निरीक्षण, वित्तीय ऑडिट, साइट वेरिफिकेशन और सैंपल टेस्टिंग तुरंत कराई जाए। जनता का स्पष्ट मत है कि यदि कार्य की विधिवत जांच होती है, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं और सरकारी धन की लूट में शामिल दोषियों पर कड़ी कार्रवाई संभव हो सकती है।
