![]() |
| 'करोड़ों के प्रदूषण' से मुक्ति की राह: गोदरी ग्राम पंचायत में प्राकृतिक खेती और नरवाई प्रबंधन पर किसानों का महामंथन Aajtak24 News |
रीवा - किसानों को मानव स्वास्थ्य का आधार कही जाने वाली प्राकृतिक खेती और फसल अवशेष (नरवाई) प्रबंधन के महत्व को समझाने के लिए, विकासखंड गंगेव की ग्राम पंचायत गोदरी 27 में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सरपंच श्रीमती कृष्णा पटेल और बी.टी.एम. (आत्मा परियोजना) दीपक कुमार श्रीवास्तव की उपस्थिति में संपन्न हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया।
नरवाई जलाने से स्वास्थ्य को खतरा:
कार्यक्रम में श्री शिवसरण सरल ने नरवाई जलाने से होने वाले गंभीर नुकसानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आग लगाने से होने वाला वायु प्रदूषण मनुष्यों और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके साथ ही, नरवाई जलाने से मिट्टी में मौजूद फायदेमंद सूक्ष्मजीव और केंचुए मर जाते हैं, जिससे मिट्टी कठोर होती है और फसलों की पैदावार घट जाती है। उन्होंने जुर्माना एवं दंड के कानूनी प्रावधानों पर भी चर्चा की।
नरवाई प्रबंधन के दोहरे लाभ:
इसके विपरीत, नरवाई को खेत में छोड़ने के लाभों को वैज्ञानिक तरीके से समझाया गया:
उर्वरता: नरवाई मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ और जल धारण क्षमता को बढ़ाती है।
लागत में कमी: नरवाई की परत नमी बनाए रखती है, जिससे सिंचाई कम लगती है, और जीरो-जुताई से खेत तैयार करने की लागत घट जाती है।
खरपतवार नियंत्रण: नरवाई प्राकृतिक रूप से खरपतवारों के अंकुरण को रोकती है।
आधुनिक प्रबंधन तकनीकें और अनुदान:
कार्यक्रम के दौरान दीपक कुमार श्रीवास्तव ने किसानों को रबी की फसलों के लिए बीज भंडारण और संतुलित व प्राकृतिक खाद के प्रयोग पर मार्गदर्शन दिया। उन्होंने नरवाई प्रबंधन की उन्नत विधियों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया:
सुपर सीडर और हैप्पी सीडर: बताया गया कि ये मशीनें खेत तैयार किए बिना सीधे बुवाई करती हैं और नरवाई को खेत में ही मल्च के रूप में छोड़ देती हैं।
रोटावेटर: इसके माध्यम से नरवाई को बारीक कर मिट्टी में मिलाया जा सकता है, जिससे जैविक खाद बनती है।
अनुदान: कृषि अभियांत्रिकी रीवा से ऑनलाइन पंजीयन के माध्यम से किसान सुपर सीडर निर्धारित अनुदान पर खरीद सकते हैं।
कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व और रबी की बुवाई से पूर्व मिट्टी परीक्षण कराने की सलाह दी गई। अंत में, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत कडुआ रोग प्रतिरोधी JR-206 धान की किस्म का अवलोकन किया गया, जिसने किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित किया।

