मऊगंज की श्रद्धा शुक्ला ने बढ़ाया जिले का मान, सूरत में नेशनल जूडो कराटे में जीता गोल्ड मेडल Aajtak24 News

मऊगंज की श्रद्धा शुक्ला ने बढ़ाया जिले का मान, सूरत में नेशनल जूडो कराटे में जीता गोल्ड मेडल Aajtak24 News

मऊगंज - जिले की बेटी श्रद्धा शुक्ला ने पूरे जिले और प्रदेश का नाम रोशन किया है। हनुमना तहसील के बराँव शुक्ला गांव निवासी श्रद्धा शुक्ला ने गुजरात के सूरत में आयोजित राष्ट्रीय कूडो कराटे प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली 13 वर्षीय श्रद्धा, साई पब्लिक स्कूल शार्दापुरम रीवा की छात्रा हैं। उन्होंने खेल के क्षेत्र में कम उम्र में ही बड़ा मुकाम हासिल किया है। श्रद्धा के पिता प्रद्युम्न शुक्ला मऊगंज में पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं, जबकि दादा बिहारी लाल शुक्ला सामाजिक कार्यों में सक्रिय और प्रतिष्ठित किसान हैं।

श्रद्धा बचपन से ही खेलकूद और ड्राइंग में रुचि रखती हैं। उनकी इसी रुचि को देखते हुए पिता ने उन्हें आयुष कराटे एकेडमी, सरदारपुरम (रीवा) में प्रशिक्षण दिलाने का निर्णय लिया। मेहनत और लगन के बल पर श्रद्धा ने पहले जिला स्तरीय प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, फिर इंदौर में आयोजित राज्य स्तरीय (स्टेट) प्रतियोगिता में भी गोल्ड मेडल जीतकर अपनी पहचान बनाई। इसके बाद सूरत में हुए राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले में श्रद्धा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। प्रतियोगिता में देशभर से आए प्रतिभागियों के बीच श्रद्धा ने आत्मविश्वास और दमखम का परिचय देते हुए मऊगंज जिले का परचम लहराया।

स्वर्ण पदक जीतने के बाद श्रद्धा शनिवार की शाम रीवा रेलवे स्टेशन पहुंचीं, जहां परिजनों और शुभचिंतकों ने उनका स्वागत किया। रविवार को जब वह अपने गांव बराँव शुक्ला पहुंचीं तो समाजसेवियों और ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। पत्रकारों से बातचीत में श्रद्धा ने कहा — “मैंने इस बार नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है। अब मेरा लक्ष्य इंटरनेशनल स्तर पर देश के लिए पदक जीतना है। श्रद्धा की सफलता पर पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है। पिता प्रद्युम्न शुक्ला ने कहा कि बेटी को बचपन से ही खेलकूद में गहरी रुचि रही है और उसने मेहनत व अनुशासन के बल पर यह मुकाम हासिल किया है। मऊगंज की यह होनहार बालिका आज जिले की पहचान बन गई है। श्रद्धा शुक्ला ने साबित कर दिया कि छोटे गांवों से निकलकर भी बड़ा सपना पूरा किया जा सकता है — बस ज़रूरत है मेहनत, लगन और हौसले की।



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