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| रीवा संभाग: नशीली कफ सिरप का 'जाल' बेकाबू; 50% अपराधों की जड़ में 'जहर Aajtak24 News |
रीवा - मध्य प्रदेश के रीवा संभाग में नशीली कफ सिरप, प्रतिबंधित दवाइयों और नशीली गोलियों का अवैध कारोबार एक अप्रत्याशित सामाजिक और कानूनी संकट पैदा कर रहा है। शहर से लेकर दूरस्थ गांवों तक युवाओं के हाथों में यह 'जहर' पहुंच गया है, जिसने न केवल कानून-व्यवस्था बल्कि पूरे सामाजिक ढांचे को झकझोर कर रख दिया है।
⚖️ अपराधों का मुख्य कारक बना नशा
संभाग में नशे का प्रसार इतना खतरनाक हो चुका है कि पुलिस केस स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है:
50% आपराधिक मामले: रीवा संभाग में होने वाले लगभग 50 प्रतिशत आपराधिक घटनाओं (सड़क विवाद, हिंसक संघर्ष, पारिवारिक झगड़े) की पृष्ठभूमि में नशा कारोबार या नशा सेवन सीधे तौर पर जुड़ा मिला है।
हिंसा में वृद्धि: छोटी-सी कहासुनी नशे के प्रभाव में आकर बड़ी हिंसा में बदल जाती है। किशोर और युवा, कफ सिरप व गोलियों के नशे के लिए अपराध की ओर झुक रहे हैं।
🕵️♂️ IG की सख्ती के बावजूद सप्लाई चेन अटूट
रीवा संभाग के आईजी गौरव सिंह राजपूत ने नशे के खिलाफ एक सख्त विशेष अभियान शुरू किया है। उन्होंने सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे मेडिकल दुकानों की निगरानी बढ़ाएं, थोक विक्रेताओं का सत्यापन करें, और संदिग्ध युवाओं पर नजर रखें।
चुनौतीपूर्ण सप्लाई चेन: पुलिस की लगातार छापेमारी और गश्त के बावजूद, सप्लाई चेन इतनी जटिल और संगठित है कि इसे पूर्णतः समाप्त कर पाना चुनौतीपूर्ण है।
कोडवर्ड नेटवर्क: कारोबारी फोन पर बात करने के बजाय कोडवर्ड और ऑफलाइन नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं।
अंतर्राज्यीय तस्करी: उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे पड़ोसी राज्यों से ट्रकों व प्राइवेट वाहनों के जरिए बड़े पैमाने पर खेप रीवा तक पहुंचती है, जहां सीमा क्षेत्रों की निगरानी कमजोर होने का फायदा उठाया जाता है।
🏥 मेडिकल स्टोर्स और मिनी सप्लाई चेन की भूमिका
इस जहर को फैलाने में कुछ मेडिकल स्टोर्स की भूमिका भी संदिग्ध है।
बिना पर्ची बिक्री: कुछ मेडिकल स्टोर्स अधिक लाभ कमाने के लालच में बिना डॉक्टर की पर्ची के कफ सिरप बेच रहे हैं, जो अवैध सप्लायरों के लिए स्टॉक का मुख्य स्रोत है।
गांवों तक पहुँच: छोटे-छोटे गांवों में स्थानीय किशोर और बेरोजगार युवा कमीशन पर बोतलें व गोलियां बेचते हैं, जिससे यह 'मिनी सप्लाई चेन' पुलिस कार्रवाई के बाद भी जल्दी से फिर से तैयार हो जाती है।
💔 सामाजिक ढांचे पर गहरा असर
नशे का यह कारोबार केवल स्वास्थ्य का संकट नहीं है, बल्कि समाज का पतन कर रहा है:
युवाओं में शिक्षा छोड़ने की प्रवृत्ति और घरेलू हिंसा बढ़ी है।
अवैध कमाई के कारण आपराधिक गिरोहों की ताकत बढ़ रही है।
अभिभावक चिंतित हैं क्योंकि उनके बच्चे नशे के शिकार हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल पुलिस कार्रवाई पर्याप्त नहीं है; स्कूल-कॉलेज स्तर पर जन-जागरूकता अभियान और मेडिकल दुकानों पर सख्त नियम ही इस संकट को कम कर सकते हैं। नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि इस नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जाए।
