गलत सुई' लगने के 30 मिनट बाद बुजुर्ग की संदिग्ध मौत; मऊगंज के निजी क्लीनिक में हंगामा Aajtak24 News

गलत सुई' लगने के 30 मिनट बाद बुजुर्ग की संदिग्ध मौत; मऊगंज के निजी क्लीनिक में हंगामा Aajtak24 News

मऊगंज - मऊगंज नगर में मंगलवार को एक दर्दनाक घटना ने स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घुरेहटा वार्ड क्रमांक 13 के रहने वाले 60 वर्षीय मोतीलाल प्रजापति की एक निजी क्लीनिक में इलाज के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर द्वारा लगाया गया एक इंजेक्शन ही बुजुर्ग की मौत का कारण बना।

सुई लगी, तबीयत बिगड़ी, रास्ते में मौत

पीड़ित परिवार के अनुसार, मोतीलाल प्रजापति पिछले दो-तीन दिनों से बुखार और सीने में जलन की समस्या से पीड़ित थे। मंगलवार दोपहर वे अपने परिजनों के साथ संजीवनी पाली क्लीनिक, मऊगंज पहुँचे। वहाँ मौजूद चिकित्सक डॉ. एच.एन. सिंह ने जांच के बाद उन्हें दवा और एक इंजेक्शन लगाया। परिजनों का दर्दनाक बयान है कि इंजेक्शन लगने के करीब आधे घंटे बाद ही मोतीलाल की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। उनके शरीर में तेज झटके आने लगे और सांस लेने में तकलीफ शुरू हो गई। घबराए परिजन उन्हें तुरंत घर ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में ही बुजुर्ग बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें तत्काल आशीर्वाद अस्पताल मऊगंज ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने जांच के बाद मोतीलाल प्रजापति को मृत घोषित कर दिया।

आक्रोशित परिजन पहुंचे थाने, लगे 'हत्या' के आरोप

बुजुर्ग की मौत की खबर सुनते ही परिजनों में चीख-पुकार मच गई और उनका आक्रोश भड़क उठा। गुस्साई भीड़ शव को लेकर सीधे मऊगंज थाने पहुँची और डॉक्टर पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग करते हुए हंगामा किया। थाना प्रभारी की अनुपस्थिति में एसआई संतोष सिंह चौहान ने परिजनों से बात की और उन्हें समझा-बुझाकर स्थिति को नियंत्रित किया।

एसआई संतोष सिंह चौहान ने बताया, “मामले में मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी गई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए मऊगंज सिविल अस्पताल भेजा गया है। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि मौत इंजेक्शन के रिएक्शन से हुई या किसी अन्य कारण से, जिसके आधार पर आगे की वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।”

नगर में बिना लाइसेंस वाले क्लीनिकों पर सवाल

इस दर्दनाक हादसे के बाद मऊगंज नगर में बिना पर्याप्त सुविधाओं, अयोग्य स्टाफ और बिना उचित जांच के संचालित हो रहे निजी क्लीनिकों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। स्थानीय नागरिकों और वरिष्ठ नागरिकों ने इस घटना को "स्पष्ट चिकित्सा लापरवाही" बताते हुए आक्रोश व्यक्त किया है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे सभी निजी क्लीनिकों की व्यापक जांच कराई जाए। जहाँ भी अनियमितताएँ पाई जाएँ, उन संस्थानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भोले-भाले ग्रामीण ऐसी हादसों का शिकार होने से बच सकें।

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