ED का बड़ा प्रहार: कांग्रेस विधायक वीरेंद्र के लॉकर से 40 किलो सोना जब्त, ₹2000 करोड़ के ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट की पोल खुली Aajtak24 News

ED का बड़ा प्रहार: कांग्रेस विधायक वीरेंद्र के लॉकर से 40 किलो सोना जब्त, ₹2000 करोड़ के ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट की पोल खुली Aajtak24 News 

नई दिल्ली/बेंगलुरु - प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़े एक सनसनीखेज मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए कर्नाटक के चित्रदुर्ग से गिरफ्तार कांग्रेस विधायक के.सी. वीरेंद्र पर शिकंजा कस दिया है। ईडी ने छापेमारी अभियान के दौरान विधायक से जुड़े लॉकरों से 40 किलोग्राम सोना बरामद किया है, जिसकी अनुमानित कीमत 50 करोड़ रुपये से अधिक है।

विधायक के लॉकरों से निकला सोने का पहाड़

ईडी की बेंगलुरु जोनल यूनिट ने गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत यह बड़ी कार्रवाई की।

  • बरामदगी का विवरण: ईडी की टीम ने चल्लकेरे में दो लॉकरों की तलाशी के दौरान 24 कैरेट सोने की ईंटों के रूप में करीब 40 किलोग्राम सोना बरामद किया है, जिसकी कीमत लगभग 50.33 करोड़ रुपये आंकी गई है।

  • कुल जब्त संपत्ति: इस ताज़ा बरामदगी के साथ, अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी मामले में ईडी द्वारा अब तक जब्त की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 150 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। इससे पहले, ईडी ने 103 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियां जब्त की थीं, जिनमें लगभग 21 किलोग्राम सोने की छड़ें, नकदी, आभूषण, लग्जरी वाहन और फ्रीज किए गए बैंक अकाउंट शामिल थे।

₹2000 करोड़ का सट्टेबाजी और मनी लॉन्ड्रिंग का जाल

ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि विधायक के.सी. वीरेंद्र इस अवैध कारोबार के मुख्य आरोपी हैं। उन्हें इस साल अगस्त में सिक्किम से गिरफ्तार किया गया था, जहां वे एक कसीनो को लीज पर देने के लिए गए थे। वीरेंद्र वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

  • अवैध वेबसाइट्स: ईडी के मुताबिक, वीरेंद्र अपने परिवार और सहयोगियों के साथ मिलकर King567 और Raja567 जैसे कई गैरकानूनी ऑनलाइन सट्टेबाजी वेबसाइट्स चला रहे थे। इन वेबसाइट्स के जरिए आम जनता को ऑनलाइन गेम और सट्टे के नाम पर ठगा जा रहा था।

  • कारोबार का आकार: ईडी का अनुमान है कि विधायक द्वारा संचालित इन सट्टेबाजी वेबसाइट्स का कुल कारोबार 2000 करोड़ रुपये से अधिक का था।

  • मनी लॉन्ड्रिंग का तरीका: खिलाड़ियों से एकत्र की गई राशि को FonePaisa जैसे पेमेंट गेटवे के माध्यम से हजारों 'म्यूल अकाउंट्स' (किराए के खाते) में भेजा जाता था। ये खाते देशभर के लोगों के नाम पर खोले गए थे, और इस जटिल प्रक्रिया का उद्देश्य पैसों के स्रोत को छिपाना था।

लक्जरी लाइफस्टाइल और साइबर अपराध से संबंध

जांच में सामने आया है कि इस अवैध कमाई का इस्तेमाल वीरेंद्र और उनके सहयोगियों की लक्जरी लाइफस्टाइल पर किया गया।

  • खर्चे: सट्टेबाजी से प्राप्त धनराशि का उपयोग करोड़ों रुपये की विदेश यात्राओं, वीजा, लग्जरी होटलों की बुकिंग और महंगे खर्चों के वित्तपोषण के लिए किया गया था।

  • साइबर अपराध सांठगांठ: ईडी की जांच में यह भी पता चला है कि यह सट्टेबाजी नेटवर्क देशभर में फैले साइबर अपराध गिरोहों से जुड़ा था, जहां मामूली रकम के बदले निर्दोष लोगों के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाए जाते थे, जिन्हें फिर साइबर फ्रॉड के लिए भी इस्तेमाल किया गया।

प्रवर्तन निदेशालय अब वीरेंद्र और उनके करीबियों से जुड़े अपराध से कमाये धन के अतिरिक्त स्रोतों का पता लगाने और अन्य संपत्तियों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। मामले में आगे की जांच जारी है।

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