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| फार्मेसी की फाइलों में फंसी ज़िंदगी: रीवा में दवा घोटाला? हाईकोर्ट तक गुमराह करने वाले गोरखधंधे की बू, इंस्पेक्शन के बाद उठे गंभीर सवाल Aajtak24 News |
रीवा - ग्वालियर में मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत की घटना के बाद राज्य सरकार के निर्देश पर रीवा में मेडिकल स्टोर्स पर अचानक किए गए औचक निरीक्षण ने स्वास्थ्य व्यवस्था की एक गंभीर और भयावह तस्वीर उजागर की है। जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए कई दुकानों को सील कर दिया, जहां पंजीकृत फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति, एक्सपायरी दवाओं का स्टॉक, और लाइसेंस नवीनीकरण में अनियमितताएं पाई गईं। हालांकि, पूर्व पार्षद जयप्रकाश पाण्डेय की शिकायत के बाद अब यह मामला केवल नियमों के उल्लंघन तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, अवैध संपत्ति और सार्वजनिक स्वास्थ्य से खिलवाड़ के गंभीर सवालों के घेरे में आ गया है।
एक्सपायरी दवाओं का रहस्यमय लेखा-जोखा: दस्तावेज़ी सबूत की मांग
बाजार और थोक विक्रेताओं के बीच व्याप्त अनौपचारिक शिकायतों के बाद अब जांच का दायरा केवल सीलिंग तक सीमित न रहकर सप्लाई-चेन और दस्तावेज़ी प्रमाणों तक बढ़ाने की मांग हो रही है। शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया है कि क्या एक्सपायरी दवाओं का पूरा सच सामने आया है?
रिकॉल और रिटर्न-ट्रैकिंग: एक्सपायरी दवाओं को किस तिथि पर और किन अधिकारियों/एजेंसियों की मौजूदगी में कंपनियों को वापस किया गया? क्या कंपनियों ने वापसी-प्रमाण (Return Challan) जारी किया, और उन दवाओं का बैच-आईडी क्या था?
नष्ट करने का प्रमाण (Destruction Certificate): नष्ट की गई दवाओं (खासकर सिरप और गोलियों) के नष्ट करने का प्रमाण पत्र कहाँ है? यह प्रमाण किस अधिकारी या कंपनी प्रतिनिधि की मौजूदगी में तैयार हुआ?
सप्लाई-चैन की जांच: थोक दुकानों ने किन रिटेलर/क्लिनिक को दवा दी और फिर किस डॉक्टर की पर्ची पर यह दवा बिकी? इस पूरे सप्लाई-चेन की कुंजी-कड़ियाँ खोलकर मिलान करना आवश्यक है।
शिकायतकर्ता का तर्क है कि इन बिंदुओं पर दस्तावेज़ीय सबूत की जांच के बिना, केवल दुकानों को सील करना अधूरा न्याय होगा।
लाइसेंसिंग प्रणाली पर गंभीर आरोप: नियमों का दुरुपयोग
जांच रिपोर्ट में मेडिकल लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण की प्रक्रिया में भी गंभीर खामियां बताई गई हैं। शिकायत के अनुसार, कई लाइसेंस धारक ऐसे हैं जो अंग्रेजी नहीं समझते, जबकि उनका लाइसेंस अंग्रेजी में जारी किया गया है। यह विसंगति लाइसेंस जारी करने और सत्यापन मानकों में कमी को दर्शाती है, जिसका सीधा अर्थ है कि लाइसेंस वितरण और नवीनीकरण की प्रक्रिया में लापरवाही या संभावित वित्तीय लेन-देन शामिल है। थोक (Wholesale), खुदरा (Retail) और औषधि निर्माण (Manufacturing) लाइसेंसों के रिकॉर्ड ऑडिट की आवश्यकता है ताकि यह पता चल सके कि नियमों का दुरुपयोग कहाँ किया गया।
डॉक्टर-क्लिनिक-फार्मेसी का अनैतिक गठजोड़
जांच में यह भी सामने आया है कि कई मेडिकल स्टोर क्लिनिकल रूप से संचालित दिखाई देते हैं, जो डॉक्टर, क्लिनिक और फार्मेसी के बीच एक अनैतिक व्यावसायिक गठजोड़ की ओर इशारा करता है।
जांच का मुख्य बिंदु यह होना चाहिए कि किस डॉक्टर की पर्ची पर कितनी दवा बिकती है।
थोक बिक्री, खुदरा बिक्री और डॉक्टर की पर्चियों के मिलान से यह निर्धारित किया जा सकता है कि क्या कोई दवा सीधे अवैध चैनलों में भेजी जा रही थी, जिससे टैक्स चोरी और कालाबाजारी को बल मिल रहा था।
एक्सपायरी दवा की 'रिपैकेजिंग' और 'रि-लेबलिंग' का घातक आरोप
व्यापारी स्रोतों से यह सबसे घातक शिकायत सामने आई है कि केवल कागज़ की परत, डिब्बे या लेबल बदलकर एक्सपायरी दवा को फिर से बाजार में लौटा दिया जाता है। सिरप और गोलियों के मामलों का हवाला देते हुए बताया गया है कि मूल सामग्री वही रहती है, पर पैकिंग और मैन्युफैक्चरिंग डेट बदल दी जाती है। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। प्रशासन को कंपनियों/थोक एजेंसियों से इस बात का प्रमाण मांगना चाहिए कि क्या उन्होंने एक्सपायरी दवाओं का पूरा बैच वापस लिया और क्या उनके पास स्टॉक/डिस्पोजल का प्रमाण है।
आर्थिक विसंगतियाँ और संपत्ति की जांच
स्थानीय चर्चाओं के अनुसार, कई दुकानें ऐसी हैं जिनकी एक-दो वर्ष में संपत्ति में भारी वृद्धि हुई है ("साइकिल से हवाई जहाज़" जैसी चर्चा)। यह संपत्ति-वृद्धि अवैध लाभ, कर चोरी या फर्जी इनकम का संकेत हो सकती है। इसलिए:
इन दुकानों के आय-व्यय और संपत्ति-विकास का फॉरेंसिक ऑडिट आवश्यक है।
GST, बैंक स्टेटमेंट, इनकम-टैक्स रिटर्न और संपत्ति वैल्यूएशन की जांच से अवैध लाभ के स्रोत का खुलासा हो सकता है।
सच्चाई के लिए जांच का दायरा बढ़ाना ज़रूरी
अपर कलेक्टर सपना त्रिपाठी ने नियमों के उल्लंघन पर सख्त रुख अपनाने की बात कही है, लेकिन अब यह मामला केवल अस्थायी सजा का नहीं, बल्कि रिकॉर्ड-बेस्ड तर्क और दस्तावेज़ी ऑडिट का बन चुका है। पूरी सच्चाई सामने लाने के लिए आवश्यक है कि जांच टीमें निम्न-स्तर से लेकर उच्च-स्तर तक दस्तावेज़ और प्रक्रिया-ऑडिट पर ध्यान केंद्रित करें। जब तक एक्सपायरी का मासिक लेखा-जोखा (बैच-लेवल पर), रिटर्न/डेस्ट्रक्शन सर्टिफिकेट और डॉक्टर-फार्मेसी संबंधों की तेज-गति और कठोर जांच नहीं होती, तब तक रीवा के मेडिकल बाज़ार में दबी हुई सच्चाई बाहर नहीं आएगी।
