मध्यप्रदेश में देसी 'पटाखा गन' बनी मौत और अंधेरे का सामान: यूट्यूब से फैला 'कूल ट्रेंड' 200 से अधिक लोगों की आँखें ले गया Aajtak24 News

 

मध्यप्रदेश में देसी 'पटाखा गन' बनी मौत और अंधेरे का सामान: यूट्यूब से फैला 'कूल ट्रेंड' 200 से अधिक लोगों की आँखें ले गया Aajtak24 News

भोपाल/मध्यप्रदेश - इस वर्ष की दीपावली मध्यप्रदेश के लिए एक अभूतपूर्व त्रासदी लेकर आई है। किसानों द्वारा बंदर और चिड़िया भगाने के लिए प्रयोग की जाने वाली एक साधारण 'देसी गन' — जिसे कार्बाइड गन के नाम से जाना जाता है — सोशल मीडिया के माध्यम से एक जानलेवा 'ट्रेंड' बन गई। इस खतरनाक विस्फोटक जुगाड़ की चपेट में आकर पूरे प्रदेश में 200 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 14 मासूमों की आँखों की रोशनी स्थायी रूप से जाने की आशंका है।

भोपाल बना त्रासदी का केंद्र, विदिशा में 14 मासूम प्रभावित

राजधानी भोपाल इस त्रासदी का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट है, जहाँ अकेले 124 लोगों की आँखों को नुकसान पहुंचा है। भोपाल से सटे विदिशा जिले में यह स्थिति और भी भयावह है, जहाँ 14 मासूमों की आँखों की रोशनी चली गई है। पीड़ितों की दास्तानें दिल दहलाने वाली हैं। विदिशा की 17 वर्षीय नेहा ने बताया कि एक जुगाड़ की गन फटने से उनकी एक आँख पूरी तरह झुलस गई। भोपाल के हमीदिया अस्पताल (गांधी मेडिकल कॉलेज), एम्स, बीएमएचआरसी और अन्य अस्पतालों में आँखों के गंभीर रूप से घायल बच्चों और बड़ों का इलाज चल रहा है।

ट्रेंडिंग 'रील' बनी आँखों की दुश्मन

इस त्रासदी की जड़ सोशल मीडिया में छिपी है। दीपावली से कुछ सप्ताह पहले, इंस्टाग्राम और यूट्यूब की रीलों में PVC पाइप से बनी इस गन को 'कूल' और 'ग्रीन पटाखा' बताकर प्रमोट किया जा रहा था। कंटेंट क्रिएटर्स इसे विस्फोटक जुगाड़ के रूप में प्रोत्साहित कर रहे थे, जिसके झांसे में आकर कई लोग इसे घर में बनाने और बाजार में बेचने लगे। कार्बाइड गन बनाने का तरीका अत्यंत खतरनाक है: पानी से भरे पाइप में कार्बाइड और पत्थर के टुकड़े डाले जाते हैं, जिससे एसिटिलीन गैस बनती है, और लाइटर का बटन दबाते ही यह एक बड़ा धमाका करती है। यह विस्फोट इतना शक्तिशाली होता है कि आँखों की रोशनी छीन सकता है।

अस्पतालों में डॉक्टरों की चुनौती

भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर भी चोटों की भयावहता देखकर हैरान हैं। डॉक्टरों की टीम आरिश (13) और प्रशांत (26) जैसे कई मरीजों की आँखों की रोशनी बचाने के लिए एम्नियोटिक झिल्ली प्रत्यारोपण और सेलेक्टिव लिम्बल स्टेम सेल ट्रांसप्लांट जैसी जटिल सर्जरी कर रही है। कई मरीजों की आँखें 30% से 100% तक खराब हो चुकी हैं, और कम से कम छह लोगों को तो प्रत्यारोपण की तत्काल आवश्यकता है।

पहले ही मिली थी चेतावनी, पर प्रशासन मौन

यह दुखद है कि इस त्रासदी की चेतावनी पहले ही दी जा चुकी थी। 17 अक्टूबर को नवदुनिया अखबार ने 'शहर में कार्बाइड पाइप गन का कारोबार, दिवाली से पहले खतरे की घंटी' शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। प्रशासन ने कुछ कार्रवाई की, पर इसे पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं किया। इसका परिणाम यह हुआ कि दीपावली की रात मासूमों को भुगतना पड़ा, जिससे अब पूरे प्रदेश में 200 से अधिक लोग अपनी आँखों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि यूट्यूब के 'ट्रेंड' पर बने इस जानलेवा कारोबार पर लगाम कसने में इतनी बड़ी देरी क्यों हुई।

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