![]() |
मनगवा ब्रिज पर परियोजना अधिकारी को रिवाल्वर की नोक पर लूटा, एफआईआर के लिए भी करना पड़ा मशक्कत Aajtak24 News |
रीवा/मनगवा - रीवा जिले के मनगवा ओवर ब्रिज पर बीती देर रात कानून व्यवस्था की विफलता का एक और शर्मनाक अध्याय जुड़ गया। जब राज्य प्रशासन का एक अधिकारी ही सुरक्षित न हो, तो आम जनता के भरोसे पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। रीवा के परियोजना अधिकारी दीपक मिश्रा को रात के सन्नाटे में बिना नंबर प्लेट की लाल ब्रेज़ा कार सवार तीन पिस्तौलधारी बदमाशों ने रोककर, बंदूक की नोक पर लूट लिया।
लूट की पूरी वारदात:
रात करीब 10:30 बजे परियोजना अधिकारी दीपक मिश्रा अपनी कार (MP 18 ZB 6343) से मनगवा ब्रिज के पास से गुजर रहे थे। तभी पीछे से आ रही लाल ब्रेज़ा कार ने उन्हें ओवरटेक किया और टायर पंचर होने का इशारा किया। जैसे ही मिश्रा रुके, ब्रेज़ा कार से तीन पिस्तौलधारी बदमाश उतरे और तुरंत उनकी कार का फाटक खोलकर भीतर घुस गए। तीनों ने अधिकारी की कनपटी पर रिवाल्वर तान दी और उन्हें बंधक बना लिया। बदमाशों ने रास्ते भर उनसे लूटपाट की। उन्होंने अधिकारी के दोनों कंधों पर लगी रिवाल्वर भी छीन ली। कुछ ही मिनटों में ₹20,400 नकद, मोबाइल फोन और एटीएम कार्ड लूट लिए गए। लूट के बाद, बदमाश चलती कार में ही चाबी, लूटा हुआ सामान लेकर उतर गए और अंधेरे में फरार हो गए।
पीड़ित अधिकारी को न्याय के लिए करना पड़ा संघर्ष:
घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस की कार्रवाई बेहद सुस्त रही। खबर लिखे जाने तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। लेकिन इस आपराधिक घटना से भी अधिक पीड़ादायक रहा पुलिस का रवैया। फरियादी दीपक मिश्रा को पुलिस की धीमी मशीनरी का सामना करना पड़ा। निरीक्षण और औपचारिक उपस्थिति के बाद भी कोई ठोस सुराग नहीं लगा। सबसे बड़ी प्रशासनिक शिथिलता यह रही कि एक राज्य अधिकारी होने के बावजूद पीड़ित दीपक मिश्रा को एफआईआर दर्ज कराने के लिए रात से लेकर अगले दिन दोपहर 2 बजे तक थाने में मशक्कत करनी पड़ी। यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि न्याय व्यवस्था की आत्मा पर एक तमाचा है।
मनगवा ब्रिज बना 'अपराध का केंद्र':
मनगवा ब्रिज के पास लगातार हो रही आपराधिक वारदातें अब केवल संयोग नहीं, बल्कि सिस्टम की सड़ी-गली जड़ों का परिणाम है। यह दिखाता है कि पुलिस चौकियों के बावजूद सड़कें निर्जन हैं और पुलिस की गश्त सिर्फ कागज़ों तक सिमट कर रह गई है। अपराधियों में भय नहीं, बल्कि आत्मविश्वास है कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। पीड़ित अधिकारी के साले, धनपुरी (शहडोल) निवासी शशि भूषण तिवारी, जब दूसरी चाबी लेकर घटनास्थल पर पहुंचे, तब जाकर परियोजना अधिकारी तेओथर के लिए अपनी कार से रवाना हो पाए।
सवाल पुलिस की रात की गश्त पर:
यह घटना साबित करती है कि रीवा पुलिस की गश्त अब सड़कों पर नहीं, बल्कि सिर्फ कागज़ों पर चल रही है। अब सवाल यह है कि रीवा की पुलिस रात में किसकी सुरक्षा के लिए जाग रही थी? इस घटना ने मनगवा ब्रिज को रीवा की कानून-व्यवस्था का 'टूटा हुआ भरोसा' बना दिया है। जब तक पुलिस अपने आचरण में जवाबदेही और तत्परता नहीं लाती, तब तक ऐसे पुल न्याय की नहीं, बल्कि अपराध की राह बनते रहेंगे।