सफेद कोट के पीछे काला कारोबार: रीवा में शासकीय डॉक्टर की पत्नी का अवैध 'संजीवन हॉस्पिटल' सील Aajtak24 News

सफेद कोट के पीछे काला कारोबार: रीवा में शासकीय डॉक्टर की पत्नी का अवैध 'संजीवन हॉस्पिटल' सील Aajtak24 News

रीवा - रीवा की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक और गंभीर कलंक लगा है। समान तिराहे पर चल रहे संजीवन हॉस्पिटल एंड चेस्ट केयर सेंटर पर एसडीएम अनुराग तिवारी की अगुवाई में प्रशासनिक टीम ने देर शाम दबिश दी, जिसके बाद अवैध रूप से चल रहे इस तथाकथित उपचार गृह की भयावह सच्चाई सामने आ गई। प्रशासनिक टीम की कार्रवाई में पाया गया कि इस अस्पताल के पास न तो कोई वैध पंजीयन था, न ही चिकित्सकीय संचालन की अनुमति। इससे भी गंभीर बात यह थी कि अस्पताल परिसर में बिना लाइसेंस का मेडिकल स्टोर भी चलाया जा रहा था, जो मरीजों की जान को किसी भी क्षण संकट में डाल सकता था।

शासकीय चिकित्सक की पत्नी चला रहीं थीं अवैध अस्पताल

कार्रवाई के दौरान यह विडंबना सामने आई कि यह अवैध नर्सिंग होम किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा नहीं, बल्कि एक शासकीय चिकित्सक की पत्नी द्वारा संचालित किया जा रहा था। यह तथ्य चिकित्सा क्षेत्र की पवित्रता को न केवल कलंकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे व्यवस्था से जुड़े लोग ही नियमों को ताक पर रखकर लाभ कमाने में जुटे हैं। एसडीएम अनुराग तिवारी के नेतृत्व में जब संचालक से दस्तावेज पेश करने को कहा गया, तो वे कोई वैध कागजात प्रस्तुत नहीं कर पाए। परिणामस्वरूप, प्रशासन ने अस्पताल को तत्काल सील कर दिया और संचालक को नोटिस जारी किया।

प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल

इस कार्रवाई ने प्रशासन की निगरानी तंत्र पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। सवाल यह है कि यह अवैध नर्सिंग होम इतने लंबे समय तक किसकी 'मौन स्वीकृति' से संचालित हो रहा था? क्या विभागीय निगरानी तंत्र इतने दिनों तक सोया रहा, या फिर यह लापरवाही किसी बड़े 'स्वार्थ-संवर्धन' की कीमत पर खरीदी गई थी? लेख में छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत का उल्लेख करते हुए चेतावनी दी गई है कि रीवा में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ सड़ चुकी है। शहर भर में कई क्लिनिक, पैथोलॉजी और मेडिकल स्टोर ऐसे लोगों के हवाले हैं, जिन्हें चिकित्सा का व्यावहारिक ज्ञान तक नहीं है, फिर भी वे 'रिपोर्ट' और 'प्रिस्क्रिप्शन' के नाम पर लोगों की ज़िंदगियों से खेल रहे हैं। यह घटना प्रशासन के लिए एक बड़ी चेतावनी है। जरूरत है कि केवल एक-दो अस्पताल सील करने से आगे बढ़कर स्वास्थ्य विभाग की जड़ों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को खंगाला जाए, ताकि "संजीवन" जैसे नाम मृत्यु का पर्याय न बनें और चिकित्सा सेवा मुनाफे की मंडी न बनकर रह जाए।



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