रीवा में दवा कारोबार पर उठे गंभीर सवाल: एक्सपायरी स्टॉक, लाइसेंसिंग में खामी और 'रिपैकेजिंग' के आरोप Aajtak24 News

रीवा में दवा कारोबार पर उठे गंभीर सवाल: एक्सपायरी स्टॉक, लाइसेंसिंग में खामी और 'रिपैकेजिंग' के आरोप Aajtak24 News

रीवा - ग्वालियर में हुई दुखद घटना के बाद राज्य सरकार के निर्देश पर रीवा में मेडिकल बाज़ारों के औचक निरीक्षण ने दवा कारोबार में व्याप्त बड़ी अनियमितताओं को सामने ला दिया है। रीवा प्रशासन ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए आधा दर्जन से अधिक दुकानों को सील कर दिया, जहां पंजीकृत फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति, एक्सपायरी दवाओं का स्टॉक और लाइसेंस संबंधी कागजात में गड़बड़ियाँ पाई गईं। हालांकि, दुकानों को सील करने की कार्रवाई के बाद जो परतें खुली हैं, वे बड़े पैमाने पर घोटाले और सार्वजनिक स्वास्थ्य से खिलवाड़ की ओर इशारा करती हैं, जिसने रीवा की सड़कों पर 'कानून और करुणा की जंग' छेड़ दी है।

एक्सपायरी दवाओं का लेखा-जोखा सवालों के घेरे में

बाज़ार में अनौपचारिक रूप से मिली शिकायतों के आधार पर अब जांच का दायरा बढ़ाने की मांग की जा रही है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन केवल सीलिंग करके रुक जाएगा या पूरी सप्लाई-चेन की जाँच करेगा?

  • रिटर्न और डेस्ट्रक्शन का प्रमाण: यह अनिवार्य है कि प्रशासन माहवार एक्सपायरी रिपोर्ट (संख्या और बैच-आईडी सहित) की जांच करे। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एक्सपायरी दवाएं किस कंपनी को किस रसीद के साथ वापस की गईं, और सरकारी अधिकारी की उपस्थिति में नष्ट करने का प्रमाण (Destruction Certificate) कहाँ है।

  • थोक से खुदरा तक ट्रैक: जांच में यह भी शामिल हो कि किस थोक विक्रेता ने किन रिटेलर को दवा दी और फिर किस डॉक्टर की पर्ची पर वह दवा बिकी। इसके बिना, अवैध चैनलों में दवा की सप्लाई का पता लगाना असंभव है।

लाइसेंसिंग प्रक्रिया में गंभीर खामी

निरीक्षण में यह गंभीर तथ्य सामने आया है कि कई लाइसेंस धारक अंग्रेजी नहीं जानते, जबकि उनके लाइसेंस अंग्रेजी में जारी किए गए हैं। यह सीधे तौर पर लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण की सत्यापन प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही को दर्शाता है, जो भ्रष्टाचार और बड़े स्कैम की जड़ बन सकती है।

एसोसिएशन का स्पष्टीकरण और मांग

कार्रवाई के बीच, रीवा जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने 27 अक्टूबर 2025 को कलेक्टर रीवा को पत्र लिखकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। एसोसिएशन ने कहा है कि:

  1. वे केवल पंजीकृत कंपनियों से दवाएं खरीदते और बेचते हैं, वे निर्माता नहीं हैं।

  2. एक्सपायरी दवाओं का रिकॉर्ड नियमित रूप से रखा जाता है।

  3. एसोसिएशन ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि जांच निष्पक्ष और दस्तावेज़ आधारित हो, ताकि निर्दोष दुकानदार बिना भय के अपना व्यवसाय जारी रख सकें।

रिपैकेजिंग और आर्थिक विसंगतियों के गंभीर आरोप

सूत्रों और व्यापारियों ने सबसे गंभीर आरोप यह लगाया है कि कुछ तत्वों द्वारा एक्सपायरी दवाओं की पैकिंग/लेबल बदलकर उन्हें फिर से बाज़ार में लाने की कोशिशें हुई हैं। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक है। इसके अलावा, कुछ दुकानदारों की संपत्ति में अचानक और भारी बढ़ोतरी ("साइकिल से हवाई जहाज़ तक" जैसी) चर्चा का विषय बनी हुई है। इन आर्थिक विसंगतियों की जांच के लिए आय-व्यय, GST, बैंक स्टेटमेंट और इनकम टैक्स रिटर्न का फॉरेंसिक ऑडिट आवश्यक है, ताकि अवैध लाभ के स्रोतों का पता लगाया जा सके।

प्रशासन का तर्क और आगे की राह

अपर कलेक्टर सपना त्रिपाठी ने स्पष्ट किया है कि "सुरक्षा सर्वोपरि है। जनता के जीवन से जुड़ी चीजों पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह स्पष्ट है कि केवल दुकानों को सील करना समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। सच्चाई सामने लाने के लिए अब जांच का दायरा बढ़ाना होगा, जिसमें डेस्ट्रक्शन सर्टिफिकेट को सार्वजनिक करना, कंपनियों के हस्ताक्षर की जांच करना, लाइसेंस सत्यापन को पारदर्शी बनाना, और डॉक्टर-फार्मेसी सप्लाई चेन का कठोर विश्लेषण करना शामिल है।



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