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| रीवा के गढ़ से गंगेव तक जानलेवा सफर, PWD-NHAI की 'शीघ्र कार्यवाही' सिर्फ़ काग़ज़ी आश्वासन Aajtak24 News |
रीवा/मध्य प्रदेश - ज़िला मुख्यालय रीवा से महज़ 50 किलोमीटर दूर स्थित पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग-27 (NH-27) का गढ़ से गंगेव तक का हिस्सा अब सड़क कम और जानलेवा बाधा कोर्स ज़्यादा बन गया है। गड्ढों और कीचड़ से पटी यह सड़क, क्षेत्र के हज़ारों नागरिकों के लिए रोज़ाना की मजबूरी बन चुकी है, जबकि क्षेत्र के विधायक, सांसद और लोक निर्माण विभाग (PWD) तथा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारी इस गंभीर जनहित के मुद्दे पर पूरी तरह मौन साधे हुए हैं।
गढ़ ग्राम पंचायत: विकास की दौड़ में पिछड़ा सबसे बड़ा केंद्र
जनपद पंचायत गंगेव की सबसे बड़ी और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाने वाली गढ़ ग्राम पंचायत के नागरिक वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, 2018 से लेकर 2025 तक सात साल गुज़र चुके हैं, लेकिन गढ़ से गंगेव को जोड़ने वाले इस मुख्य मार्ग पर न तो सड़क का पुनर्निर्माण हुआ, न ही नालियों की व्यवस्था की गई, और न ही जल निकासी का कोई समाधान हुआ। बरसात के दिनों में यह मार्ग बड़े-बड़े गड्ढों के कारण दलदल में तब्दील हो जाता है, जहाँ से छोटे वाहनों का गुज़रना नामुमकिन हो जाता है। वहीं, गर्मी के मौसम में यही गड्ढे भयंकर धूल का गुबार उड़ाते हैं, जिससे अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
स्थानीय नागरिक, श्री दिनेश पटेल (बदला हुआ नाम) का रोष: “यह वही गढ़ है, जिसने हर चुनाव में सत्तारूढ़ दल को भारी बहुमत दिया। हमने मोदी और शिवराज के नाम पर वोट दिया, लेकिन हमें बदले में मिली सिर्फ़ धूल और धोखा। नेताओं ने मनगवां, रायपुर और सोहागी में बाईपास और सुंदर सड़कें बनवा दीं, लेकिन हमारे हिस्से आई सिर्फ़ लापरवाही। क्या हमारी वफादारी ही हमारी सज़ा बन गई है?”
जिम्मेदारों की जवाबदेही शून्य: 'शीघ्र कार्यवाही' एक मज़ाक
स्थानीय लोगों द्वारा बार-बार किए गए आवेदन, शिकायतें और जनप्रतिनिधियों से की गई सीधी गुहारें हर बार अधिकारियों के खोखले आश्वासन की भेंट चढ़ गईं।
PWD और NHAI की टालमटटोल: लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी हर बार एक ही रटा-रटाया जवाब देते हैं—"कार्यवाही प्रक्रिया में है" या "शीघ्र निर्माण कार्य शुरू होगा।" यह प्रक्रिया 2018 से जारी है और सड़क की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
जनप्रतिनिधियों की बेरुखी: गढ़ क्षेत्र के नागरिक इस बात से नाराज़ हैं कि उनके विधायक और सांसद, जिन्हें इस मुद्दे को विधानसभा और संसद में उठाना चाहिए था, पूरी तरह से चुप हैं। स्थानीय प्रशासन और ज़िलाधिकारी कार्यालय ने भी इस राष्ट्रीय राजमार्ग की दुर्दशा को अनदेखा कर दिया है।
दोहरा मापदंड: नागरिकों ने सवाल उठाया है कि रीवा ज़िले में अन्य प्रमुख मार्गों पर तो तत्काल प्रभाव से कार्य होते हैं और ठेकेदारों पर कार्रवाई भी होती है, लेकिन NH-27 जैसे केंद्रीय मार्ग पर शून्य जवाबदेही क्यों है? यह चुप्पी कहीं न कहीं बड़े ठेकेदारों और विभागीय सांठगांठ की ओर इशारा करती है।
'मौत का मार्ग': दुर्घटनाओं का बढ़ता सिलसिला
इस जर्जर मार्ग को अब स्थानीय लोग अनौपचारिक रूप से "मौत का मार्ग" कहने लगे हैं। सड़क की दुर्दशा के कारण दुर्घटनाओं का सिलसिला थम नहीं रहा है।
हादसों की संख्या में वृद्धि: स्थानीय पुलिस रिकॉर्ड और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गढ़ से गंगेव खंड पर ट्रैक्टरों का पलटना, मोटरसाइकिल सवारों का गंभीर रूप से घायल होना और ऑटो रिक्शा का गड्ढों में फँस जाना आम बात हो गई है।
शून्य कानूनी कार्रवाई: गंभीर बात यह है कि इन दुर्घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार किसी भी ठेकेदार या लापरवाह विभागीय अधिकारी के ख़िलाफ़ आज तक कोई कठोर कानूनी कार्रवाई, या यहाँ तक कि एफआईआर (FIR) भी दर्ज नहीं की गई है। यह स्थिति अपराधियों को खुली छूट देती है और ठेका कंपनियों को गुणवत्ता से समझौता करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
जनता का सब्र टूटा: जनआंदोलन की चेतावनी
ग्राम पंचायत गढ़ के नागरिकों ने अब नेताओं के झूठे आश्वासनों पर विश्वास करना बंद कर दिया है और कड़ा रुख अपना लिया है। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि उनका सब्र अब टूट चुका है। नागरिकों ने एकजुट होकर घोषणा की है कि अगर आगामी सप्ताह के भीतर सड़क निर्माण कार्य शुरू करने की ठोस और लिखित कार्ययोजना प्रस्तुत नहीं की गई, तो वे एक जनआंदोलन शुरू करेंगे। यह आंदोलन सीधे मुख्यमंत्री, स्थानीय सांसद और केंद्रीय लोक निर्माण मंत्री को ज्ञापन सौंपकर उनकी निष्क्रियता पर जवाब मांगेगा।
ग्रामवासियों की अंतिम चेतावनी: “हमने सरकार को विश्वास और भारी बहुमत दिया था। अब हम जवाब मांगते हैं। अगर इस बार भी सड़क नहीं बनी, तो आने वाले किसी भी चुनाव में हम सड़क दिखाने वालों को सड़क दिखा देंगे। हमारी वफ़ादारी अब आक्रोश में बदल चुकी है।”
जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को यह समझना होगा कि एक धार्मिक और शिक्षित क्षेत्र की इस प्रकार की दुर्दशा किसी भी सरकार के लिए शर्म का विषय है। पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग-27 का पुनर्निर्माण अब केवल विकास का नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और नेताओं की जवाबदेही का प्रतीक बन चुका है।
