नरवाई प्रबंधन और प्राकृतिक खेती ही मृदा स्वास्थ्य का आधार: देवास पंचायत में किसानों को मिली जानकारी Aajtak24 News

नरवाई प्रबंधन और प्राकृतिक खेती ही मृदा स्वास्थ्य का आधार: देवास पंचायत में किसानों को मिली जानकारी Aajtak24 News

रीवा - ग्राम पंचायत देवास (विकासखंड गंगेव) में हाल ही में नरवाई प्रबंधन एवं प्राकृतिक खेती कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना था। यह कार्यक्रम सरपंच श्री रमेश साकेत, जनपद सदस्य श्री अखिलेश पटेल, प्रगतिशील कृषकों और कृषि विभाग के अधिकारियों—युगल किशोर प्रधान, राज कुमार शर्मा, एवं बी.टी.एम. (आत्मा परियोजना) दीपक कुमार श्रीवास्तव—की उपस्थिति में संपन्न हुआ।

नरवाई जलाने के नुकसान और प्रबंधन के लाभ

कार्यक्रम में श्री राज कुमार शर्मा ने ग्राम स्तरीय 'धरती माता बचाओ निगरानी समिति' के गठन पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने किसानों को नरवाई (फसल अवशेष) जलाने के नुकसान और प्रबंधन के लाभ बताए:

लाभ (प्रबंधन के)नुकसान (जलाने के)
मृदा स्वास्थ्य: कार्बनिक पदार्थ बढ़ाकर उर्वरता और जल धारण क्षमता में वृद्धि।पर्यावरण प्रदूषण: वायु प्रदूषण से मानव और पशु स्वास्थ्य को खतरा।
सिंचाई बचत: खेत की सतह पर नरवाई की परत नमी बनाए रखती है, सिंचाई की आवश्यकता कम होती है।मिट्टी की गुणवत्ता: फायदेमंद सूक्ष्मजीव और केंचुए मर जाते हैं, जिससे मिट्टी कठोर और गुणवत्ताहीन हो जाती है।
लागत बचत: जीरो या हल्की जुताई से बुवाई संभव, समय और लागत में कमी।फसल पैदावार: खेतों की उर्वरता कम होने से अगली फसल की पैदावार घट जाती है।

नरवाई जलाने पर लगने वाले जुर्माना और दंड पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण और जैविक खेती पर जोर

कार्यक्रम के अगले चरण में, कृषि विस्तार अधिकारी श्री युगल किशोर प्रधान ने जनपद सदस्य और सरपंच महोदय की उपस्थिति में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए और इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने रबी की बुवाई से पूर्व मिट्टी परीक्षण कराने की सलाह दी। बी.टी.एम. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने रबी फसलों में बीज भंडारण एवं प्रबंधन की विधियाँ बताईं। उन्होंने संतुलित एवं प्राकृतिक खाद के रूप में जीवामृत के प्रयोग, कोदो के पंजीयन एवं समर्थन मूल्य की जानकारी दी।

आधुनिक प्रबंधन की विधियाँ

नरवाई प्रबंधन की आधुनिक विधियों पर चर्चा करते हुए बताया गया कि:

  • हैप्पी सीडर और सुपर सीडर: ये मशीनें खेत तैयार किए बिना या हल्की जुताई करके सीधे बुवाई करती हैं और नरवाई को खेत में ही मल्चिंग के रूप में छोड़ देती हैं।

  • रोटावेटर: इस यंत्र से नरवाई को बारीक करके मिट्टी में मिलाया जा सकता है, जिससे जैविक खाद बनती है।

  • स्ट्रॉ रीपर: इस मशीन से नरवाई का भूसा बनाकर पशुओं के चारे या अन्य कार्यों में उपयोग किया जा सकता है।

किसानों को बताया गया कि कृषि अभियांत्रिकी रीवा से ऑनलाइन पंजीयन के माध्यम से सुपर सीडर मशीन निर्धारित अनुदान पर खरीदी जा सकती है।


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