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| विनाश की दहलीज पर विंध्य! रीवा-मऊगंज में 'मेडिकल नशा' बना युवाओं का क़ातिल, कारोबार 25% बढ़ा Aajtak24 News |
रीवा/मऊगंज - विंध्य क्षेत्र का भविष्य आज नशे के भयानक जाल में फँसकर अंधकारमय हो रहा है। रीवा और मऊगंज जिले में मेडिकल नशा (नशीली गोलियां और सिरप) का अवैध कारोबार चरम पर है, जिसने हजारों युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। आलम यह है कि हर थाना क्षेत्र में यह धंधा खुलेआम चल रहा है, और प्रशासनिक तंत्र की 'मौन स्वीकृति' या 'मिलीभगत' पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं।
थाने से चंद कदमों पर बिक रहा ज़हर
रिपोर्ट के अनुसार, रीवा-मऊगंज जिले का शायद ही कोई थाना क्षेत्र बचा हो जहाँ यह अवैध कारोबार न पनप रहा हो। गढ़ थाना क्षेत्र इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण है। सूत्रों का दावा है कि थाने से कुछ ही दूरी पर दर्जनों लोग नशीली गोलियों और सिरप की अवैध सप्लाई करते हैं, लेकिन पुलिस की मौजूदगी के बावजूद इसे रोकने की हिम्मत किसी में नहीं है। इन माफियाओं का नेटवर्क 15 से 20 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है, जो शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों तक प्रतिबंधित दवाएं पहुँचा रहा है।
भयावह प्रसार: दवाओं की आड़ में नशा
प्रतिबंधित और घातक नशीली दवाएं—जैसे कोडीन युक्त सिरप, ट्रामाडोल, अल्प्राजोलम और नाइट्राविन—आज 'सर्दी-जुकाम का सिरप' या 'नींद की दवा' के नाम पर बेची जा रही हैं।
इनकी बिक्री सामान्य मेडिकल दुकानों, प्राइवेट क्लीनिकों और यहाँ तक कि कुछ अस्पतालों के आसपास भी धड़ल्ले से हो रही है।
बीते तीन महीनों में नशे के मामलों में चौंका देने वाली 25% तक की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि आधिकारिक प्रशासनिक आँकड़ों में इन मामलों का कोई जिक्र नहीं है, जो यह दर्शाता है कि डेटा को दबाया जा रहा है।
युवा भविष्य पर गहराता संकट
रीवा और मऊगंज की युवा पीढ़ी, जिसमें स्कूल और कॉलेज के छात्र भी शामिल हैं, इस नशे की लत की चपेट में आकर अपना भविष्य खो रहे हैं। एक बार दलदल में फँसने के बाद उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है—न उनकी पढ़ाई बचती है और न ही उन्हें रोजगार मिल पाता है। कई परिवार हताश होकर अपने बच्चों को सुधार गृहों या निजी नशा मुक्ति केंद्रों में भेजने को मजबूर हैं, जबकि नशे की खुली बिक्री पर कोई रोक नहीं लग रही।
जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही पर चुप्पी
इस भयावह स्थिति के लिए जिम्मेदार विभागों की उदासीनता और मिलीभगत पर सीधे सवाल उठाए गए हैं:
क्या ड्रग इंस्पेक्टर अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं?
क्या थाना प्रभारी, ग्राम पंचायत सचिव और पटवारी अपने क्षेत्र की स्थिति से वाकई अनजान हैं?
या फिर यह जानकारी संबंधित उच्च अधिकारियों तक पहुँचने से पहले ही दबा दी जाती है?
रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि यदि जिला प्रशासन और पुलिस पूरी निष्ठा और सख्ती से इन जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय कर दे, तो 24 घंटे के भीतर पूरे जिले को नशामुक्त किया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में ऐसा प्रतीत होता है कि 'सिस्टम' कार्रवाई करने की बजाय अपनी पीठ खुद थपथपा रहा है।
ड्रग माफिया बन रहे कुबेर
इस अवैध और अनैतिक व्यापार से ड्रग माफिया, मेडिकल स्टोर मालिक और भ्रष्ट तंत्र के कुछ लोग दिन-दूनी रात-चौगुनी कमाई कर कुबेर बन बैठे हैं। यदि यही स्थिति जारी रही, तो न केवल समाज की नैतिक, बल्कि आर्थिक नींव भी पूरी तरह ढह जाएगी। जनता अब औपचारिक जांच नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई चाहती है, ताकि रीवा-मऊगंज के युवाओं का भविष्य अंधकार से बाहर आ सके।
