जनता के द्वार पर समाधान- मनगवां की जनसुनवाई बनी जनसंतोष की मिसाल! Aajtak24 News

जनता के द्वार पर समाधान- मनगवां की जनसुनवाई बनी जनसंतोष की मिसाल! Aajtak24 News

रीवा - शासन और जनता के बीच संवाद का सेतु तभी सार्थक होता है जब उसकी नींव विश्वास, पारदर्शिता और तत्परता पर टिकी हो। यही विश्वास बुधवार, 08 अक्टूबर 2025 को गंगेव जनपद पंचायत परिसर में साकार रूप में दिखाई दिया, जहाँ विधानसभा मनगवां-73 में आयोजित विधानसभा स्तरीय जनसुनवाई एवं जनसमस्या निराकरण शिविर जनआशाओं का केंद्र बन गया। इस शिविर में लगभग 103 समस्याएँ पंजीकृत की गईं, जिनमें से 64 समस्याओं का निराकरण तत्काल स्थल पर ही कर दिया गया- यह किसी प्रशासनिक संवेदनशीलता का नहीं, बल्कि सजीव जनसेवा की मिसाल थी। शेष प्रकरणों को संबंधित विभागों के अधिकारियों को तत्काल प्रेषित कर दिया गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि अब जनसुनवाई केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि परिणामपरक प्रक्रिया बन चुकी है।

कार्यक्रम की सबसे उल्लेखनीय विशेषता थी कि सभी प्रमुख विभागों के अधिकारी स्वयं स्थल पर उपस्थित रहे। जनता को अब न दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े, न फाइलों के बोझ तले दबना पड़ा। हर समस्या का समाधान, हर पीड़ा की सुनवाई- एक ही मंच पर, एक ही दिन में। यह आयोजन केवल प्रशासनिक उपक्रम नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा में व्याप्त सेवा- संस्कृति का साक्षात दर्शन था। इस निरंतर जनसुनवाई अभियान के सूत्रधार विधानसभा मनगवां के विधायक इंजीनियर नरेन्द्र प्रजापति ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि राजनीति यदि सेवा से प्रेरित हो, तो वह जन- विश्वास का तीर्थ बन जाती है। वे न केवल जनसुनवाई में उपस्थित रहे, बल्कि हर समस्या को गहराई से सुनते हुए अधिकारियों को तत्काल निर्देशित किया कि कोई भी समस्या बिना समाधान के न रहे। उनका यह व्यवहार उन्हें केवल प्रतिनिधि नहीं, बल्कि जनसमस्या समाधान के अभियंता के रूप में प्रतिष्ठित करता है।

शिविर में जनता की भीड़, समाधान के बाद मुस्कुराते चेहरे और शासन- प्रशासन के प्रति व्यक्त की गई कृतज्ञता इस तथ्य की पुष्टि करती है कि जब व्यवस्था जनकेंद्रित हो जाती है, तब शासन नहीं, सेवा का संस्कार बोलता है। ऐसे सतत आयोजनों ने मनगवां विधानसभा को एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया है- जहाँ हर माह जनता अपनी समस्याएँ लेकर नहीं, बल्कि विश्वास लेकर पहुँचती है। यह विश्वास ही उस नए मध्यप्रदेश की पहचान है, जहाँ समाधान अब दरवाजे पर नहीं, मंच पर मिलता है, जहाँ नेता केवल भाषण नहीं देते, बल्कि सुनते हैं; और जहाँ जनता शिकायत नहीं करती, संतोष लेकर लौटती है।



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