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| नरवाई प्रबंधन एवं प्राकृतिक खेती मृदा स्वास्थ्य का आधार Aajtak24 News |
रीवा - नरवाई प्रबंधन एवं प्राकृतिक खेती कार्यक्रम का आयोजन ग्राम पंचायत सिरसा विकासखंड गंगेव मे सरपंच श्रीमती विनोद सिंह, सचिव श्री अशोक कुमार कुशवाहा, रोजगार सहायक श्री राम निवास पटेल एवं प्रगतिशील कृषको मे श्री सुरेंद्र सिंह अन्य धरती आबा जनजातीय ग्राम के आदिवासी कृषको एवं कृषि विस्तार अधिकारी अभिषेक शर्मा, बी टी ऍम आत्मा परियोजना दीपक कुमार श्रीवास्तव की उपस्थिति मे सपन्न हुआ,कार्यक्रम मे श्री शिव शरण सरल वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी गंगेव दवरा ग्राम स्तरीय धरती माता बचाओ निगरानी समिति पर चर्चा की गयी साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन गेहूं अंतर्गत नरवाई प्रबंधन हेतु रुपए 1650 प्रति एकड़ अनुदान के साथ अन्य लाभ जैसे नरवाई मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ बढ़ाकर उसकी उर्वरता और जल धारण क्षमता को बढ़ाती है। खेत की सतह पर नरवाई की परत नमी को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। नरवाई मिट्टी को ढककर खरपतवारों के अंकुरण को रोकती है। जीरो-जुताई या हल्की जुताई से बुवाई करने पर खेत तैयार करने में लगने वाला समय और लागत कम हो जाती है। नरवाई से भूसा बनाकर उसे पशुओं के चारे या अन्य कामों के लिए बेचा जा सकता है। नरवाई जलाने से नुकसान अंतर्गत पर्यावरण प्रदूषण आग लगाने से वायु प्रदूषण होता है, जो मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। नरवाई जलाने से मिट्टी में मौजूद फायदेमंद सूक्ष्मजीव और केंचुए मर जाते हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता खराब होती है और वह कठोर हो जाती है, खेतों की उर्वरता कम होने से अगली फसल की पैदावार घट जाती है एवं जुर्माना एवं दंड पर चर्चा की गयी,कार्यक्रम के अगले चरण मे श्री अभिषेक शर्मा को रबी की बुवाई से पूर्व मिट्टी परिक्षण पर चर्चा की गयी, कार्यक्रम मे दीपक कुमार श्रीवास्तव दवरा रबी फसलों मे बीज भंडारण एवं प्रबंधन, संतुलित एवं प्राकृतिक खाद अंतर्गत जीवमृत का प्रयोग, कोदो के उपार्जन हेतु पंजीयन साथ ही नरवाई प्रबंधन की विधियाँ मे हैप्पी सीडर और सुपर सीडर की चर्चा की गई एवं बताया गया कि ये मशीनें खेत तैयार किए बिना या हल्की जुताई करके सीधे बुवाई करती हैं और नरवाई को उसी खेत में छोड़ देती हैं एवं रोटावेटर के माध्यम से इस यंत्र से नरवाई को बारीक करके मिट्टी में मिलाया जा सकता है, जिससे जैविक खाद बनती है और स्ट्रॉ रीपर जैसी मशीनों से नरवाई का भूसा बनाया जा सकता है, जिसे पशुओं के चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। नरवाई को अन्य जैविक कचरे के साथ मिलाकर खाद बनाई जा सकती है। कृषि अभियांत्रिकी रीवा से ऑनलाइन पंजीयन के माध्यम से सुपर सीडर, हैप्पी सीडर निर्धारित अनुदान मे क्रय किया जा सकता है।
