आज अखंड सौभाग्य का महापर्व 'करवा चौथ', रोहिणी नक्षत्र और शुभ योगों में पूजा; चंद्रोदय के समय पर विशेष रिपोर्ट Aajtak24 News

आज अखंड सौभाग्य का महापर्व 'करवा चौथ', रोहिणी नक्षत्र और शुभ योगों में पूजा; चंद्रोदय के समय पर विशेष रिपोर्ट Aajtak24 News

नई दिल्ली - देश भर में सुहागिन महिलाएं आज, 10 अक्टूबर शुक्रवार, 2025 को करवा चौथ या कर्क चतुर्थी का पावन पर्व अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मना रही हैं। यह व्रत पति की दीर्घायु, सफलता, उत्तम स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए निर्जला रखा जाता है। सुबह सरगी खाने के बाद शुरू हुआ यह कठोर व्रत, रात को चंद्रमा के दर्शन और उन्हें अर्घ्य देने के बाद ही पति के हाथ से जल ग्रहण कर खोला जाएगा।

करवा चौथ की तिथि और शुभ संयोग

ज्योतिषचार्यों ने स्पष्ट किया है कि करवा चौथ का व्रत आज ही रखा जा रहा है। चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 पर शुरू हुई थी और आज 10 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 38 मिनट तक रहेगी।

  • तिथि का महत्व: शास्त्रों के अनुसार, व्रत के लिए चतुर्थी तिथि का सूर्योदय से लेकर संध्याकाल तक होना जरूरी है, जो केवल 10 अक्टूबर को ही है। इसलिए तिथि और चंद्रोदय का शुभ संयोग आज ही बन रहा है।

  • अखंड सौभाग्य का योग: इस बार करवा चौथ का व्रत कई शुभ संयोगों में मनाया जा रहा है, जो व्रती महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला है। आज के दिन कृतिका नक्षत्र, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।

  • चंद्रमा की विशेष स्थिति: शाम 5 बजकर 30 मिनट से सौभाग्यदायक रोहिणी नक्षत्र भी शुरू हो जाएगा। चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में रहेंगे। चंद्रोदय के बाद व्रत पारण के समय रोहिणी नक्षत्र और उच्च राशि के चंद्रमा का यह अद्भुत संयोग व्रत को अत्यंत फलदायी बना रहा है।

  • पूजा का शुभ मुहूर्त: संध्याकाल में पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:27 बजे से शाम 7:31 बजे तक रहेगा। कथा श्रवण और पूजन के लिए दोपहर 12:06 मिनट से 01:33 मिनट के बीच शुभ चौघड़िया भी मौजूद है।

पूजा का विधान और करवा का महत्व

करवा चौथ के व्रत में शिव परिवार की पूजा का विशेष विधान है। माता पार्वती ने यह व्रत सबसे पहले भगवान शिव को पाने के लिए किया था। इसलिए आज व्रती महिलाएं लाल कपड़े पहनकर शाम को भगवान श्री गणेश, माता पार्वती और शिव परिवार की पूजा करती हैं। गणेश जी को मोदक का भोग लगाया जाता है।

  • सरगी की परंपरा: निर्जला पर्व को आरंभ करने से पहले सूर्योदय से पूर्व सरगी (सूखे मेवा, फल और पारंपरिक पोषण युक्त पदार्थ) ग्रहण करने की परंपरा है।

  • करवा का विशेष महत्व: पूजा में मिट्टी का करवा (घड़ा) प्रयोग किया जाता है, जिसे भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है। करवा में लगी नली गणेश जी की सूंड का प्रतीक है। मान्यता है कि मिट्टी का करवा एवं करवा चौथ का विधि-विधान, पति-पत्नी के नश्वर शरीर को उनकी अजर-अमर आत्मा से जन्म-जन्मान्तरों तक जोड़े रखता है।

  • पूजा सामग्री: पूजन में लकड़ी का आसन, देसी घी, पान, सींक, कलश, हल्दी, रोली, मौली, मिठाई, छन्नी, मिट्टी/तांबे का करवा और व्रत कथा किताब का होना आवश्यक है। पूजा में सींक का होना बेहद जरूरी है, जो करवा मां की शक्ति का परिचायक है।

चांद देखकर ही व्रत पारण

करवा चौथ के व्रत में महिलाओं को चंद्रमा के निकलने की प्रतीक्षा रहती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है, जिन्हें लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। महिलाएं चांद को देखकर यही कामना करती हैं कि चांद में समाहित लंबी आयु, सुंदरता, शीतलता और प्रेम जैसे गुण उनके पति में आ जाएं।

प्रमुख शहरों में चंद्रोदय का समय:

शहर का नामचंद्रोदय का समय
दिल्लीरात 08:13 बजे
मुंबईरात 08:55 बजे
लखनऊ/प्रयागराजरात 08:02 बजे
भोपालरात 08:26 बजे
इंदौररात 08:34 बजे
जयपुररात 08:23 बजे
रायपुररात्रि 08:01 बजे
अहमदाबादरात 08:47 बजे

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