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25 बच्चों की मौत पर केंद्र का कड़ा एक्शन: 'जहरीले' कफ सिरप पर देशव्यापी शिकंजा, 3 कंपनियों के लाइसेंस रद्द Aajtak24 News |
नई दिल्ली - मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से 25 बच्चों की दुखद मौत के बाद केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने देशभर में कफ सिरप बनाने वाली फार्मा कंपनियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तीन संदिग्ध कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं और देश के सभी राज्यों से सिरप निर्माता कंपनियों की पूरी सूची मांगी है, ताकि गुणवत्ता और सुरक्षा की जांच के लिए देशव्यापी ऑडिट किया जा सके।
तीन कंपनियों के लाइसेंस रद्द, एक का डायरेक्टर गिरफ्तार
जांच में तीन कफ सिरप में हानिकारक केमिकल डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की भारी मात्रा पाई गई है, जिसके बाद CDSCO ने त्वरित एक्शन लिया है:
लाइसेंस रद्द: गुजरात की रेडनेक्स फार्मास्यूटिकल्स (रेस्पिफ्रेश टीआर), तमिलनाडु की श्रीसन फार्मा (कोल्ड्रिफ), और गुजरात की शेप फार्मा (रीलाइफ) के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं। इन दवाओं को बाज़ार से तुरंत वापस लिया जा रहा है।
गिरफ्तारी: कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली चेन्नई स्थित श्रीसन फार्मा के डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन को मध्य प्रदेश की SIT टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। तमिलनाडु सरकार की जांच कमेटी को भी इस फैक्ट्री में 350 से ज्यादा गंभीर गड़बड़ियां मिली थीं।
WHO को सूचना: CDSCO ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भी इन तीन सिरप के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने की जानकारी दी है।
केंद्र ने शुरू किया देशव्यापी ऑडिट
बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अब कड़े कदम उठाने का फैसला किया है:
सूची की मांग: सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सिरप बनाने वाली कंपनियों की पूरी सूची मांगी है।
संयुक्त ऑडिट: सभी कंपनियों की पहचान होने के बाद केंद्र और राज्य की टीमें मिलकर अगले एक महीने में देशव्यापी ऑडिट करेंगी।
DGCI का निर्देश: ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सभी राज्यों को सख्त निर्देश दिया है कि दवा बनाने से पहले कच्चे माल और तैयार दवाओं की टेस्टिंग अनिवार्य रूप से की जाए। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि समय पर जाँच होती तो इस त्रासदी से बचा जा सकता था।
नए सख्त नियम और SC में सुनवाई
केंद्र सरकार अब कफ सिरप में DEG जैसे हानिकारक केमिकलों के इस्तेमाल को रोकने के लिए सख्त सजा का प्रावधान करने वाले नए नियम लागू करने जा रही है, जिसका असर अगले 10 दिन में दिखना शुरू हो जाएगा। इस बीच, मामले की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है। याचिका में इस मामले की जांच CBI या राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के जरिए विशेषज्ञों की समिति बनाकर कराए जाने की मांग की गई है। सरकार चाहती है कि दवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए राज्यों द्वारा CAPA गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाए।