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| मध्य प्रदेश में कृषि क्रांति! वाटरशेड मिशन से 9,000 और किसान होंगे मालामाल, सब्सिडी और तकनीक से ₹50,000 तक बढ़ी आय |
भोपाल/मध्य प्रदेश -मध्य प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है, जो उन्हें परंपरागत खेती से बाहर निकलकर समृद्धि की नई राह दिखा रही है। राज्य सरकार ने वाटरशेड विकास घटक के तहत संचालित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 (वाटरशेड मिशन) का व्यापक विस्तार करने का निर्णय लिया है। इस पहल से आगामी सीजन में लगभग 9,000 और किसान लाभान्वित होंगे, जिससे यह योजना प्रदेश के 36 जिलों तक पहुँच जाएगी।
वाटरशेड मिशन: किसानों के लिए वरदान
वाटरशेड मिशन उन किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है, जो अपनी आय में बढ़ोतरी के रास्ते तलाश रहे थे। यह योजना पहली बार जल संरक्षण को सीधे ग्रामीण आजीविका से जोड़कर एक महत्वपूर्ण नवाचार प्रस्तुत कर रही है।
आय में शानदार बढ़ोतरी: वर्तमान में, प्रदेश के 14 जिलों (धार, रतलाम, खरगोन, बड़वानी, सागर, गुना, इंदौर, श्योपुर आदि) के 3,000 किसान इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। ये किसान क्लस्टर आधारित सब्जी उत्पादन से जुड़कर अब ₹40 हजार से ₹50 हजार तक की मासिक आय अर्जित कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में अभूतपूर्व सुधार आया है।
उदाहरण: इसकी सफलता की बानगी रतलाम जिले के नौगांवाकला गांव के किसान तेजपाल की कहानी में देखी जा सकती है। जो किसान पहले सिर्फ अपने परिवार के खाने लायक सब्जी उगा पाते थे, वे अब इस योजना की मदद से आधा एकड़ जमीन पर टमाटर और मिर्च की व्यावसायिक खेती कर रहे हैं।
अनुदान और तकनीक का ट्रिपल सपोर्ट
योजना को सफल बनाने के लिए सरकार किसानों को आर्थिक मदद, वैज्ञानिक प्रशिक्षण और उन्नत संसाधन का ट्रिपल सपोर्ट दे रही है:
₹30,000 की सब्सिडी: योजना के तहत प्रत्येक किसान को ₹30 हजार तक का अनुदान (सब्सिडी) दिया जा रहा है। इस राशि से किसानों को खाद, बीज, दवाइयों और अन्य जरूरी संसाधनों की खरीद में काफी आसानी हो रही है।
वैज्ञानिक प्रशिक्षण: प्रत्येक परियोजना में सिंचाई की सुविधा वाले 100 से 150 किसानों का चयन किया गया है। इन्हें उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण देने के लिए 835 लीड वेजिटेबल फार्मर चिन्हित किए गए हैं। ये लीड फार्मर मास्टर ट्रेनर के रूप में चयनित किसानों को गांवों में सब्जी उत्पादन की वैज्ञानिक पद्धति सिखा रहे हैं।
शेड नेट नर्सरी की स्थापना: उन्नत किस्म की पौध किसानों को समय पर उपलब्ध हो सके, इसके लिए गाँवों में 50 से 60 किसानों के बीच शेड नेट नर्सरी तैयार की जा रही है। इन नर्सरियों के लिए सरकार द्वारा ₹1.30 लाख तक की वित्तीय सहायता भी दी जा रही है।
9,000 नए किसानों को मिलेगा लाभ
योजना की सफलता को देखते हुए, राज्य सरकार ने इसे बड़े पैमाने पर विस्तारित करने का निर्णय लिया है।
विस्तार योजना: आगामी रबी सीजन में इस योजना को प्रदेश के 36 जिलों की 85 परियोजनाओं में विस्तारित किया जा रहा है।
नए लाभार्थी: इस विस्तार के तहत, वर्तमान 3,000 किसानों के अलावा, लगभग 9,000 और किसान लाभान्वित होंगे।
वाटरशेड संचालक श्री अवि प्रसाद के अनुसार, यह पहल किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब किसान केवल मौसम पर निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि तकनीक और योजना पर आधारित खेती के दम पर अपनी आय और समृद्धि को बढ़ा सकेंगे। यह पहल प्रदेश के किसानों को सतत और लाभकारी कृषि की ओर प्रेरित करती है।
