जिला मुख्यालय से 50 KM दूर 'गढ़-गंगेव' मार्ग पर चलना जानलेवा, 2018 से लेकर अब तक सिर्फ आश्वासन Aajtak24 News

जिला मुख्यालय से 50 KM दूर 'गढ़-गंगेव' मार्ग पर चलना जानलेवा, 2018 से लेकर अब तक सिर्फ आश्वासन Aajtak24 News

रीवा - रीवा जिला मुख्यालय से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग-27, जो कभी आवागमन का मुख्य साधन था, आज 'मौत का मार्ग' बन चुका है। गढ़ से गंगेव तक यह सड़क नहीं, बल्कि गहरे गड्ढों, उखड़ी गिट्टियों और धूल-मिट्टी का ऐसा दलदल बन गई है, जिस पर चलना हर दिन सैकड़ों लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। स्थानीय नागरिक, जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार विभागों (PWD और NHAI) की उदासीनता और शर्मनाक चुप्पी पर अपना प्रचंड रोष व्यक्त कर रहे हैं।

गढ़: विकास की दौड़ में पिछड़ा एक प्रमुख ग्राम पंचायत

जनपद पंचायत गंगेव की सबसे बड़ी और प्रमुख पंचायतों में से एक गढ़ ग्राम पंचायत, जहाँ से होकर यह राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरता है, वर्षों से सड़क निर्माण की गुहार लगा रही है। ग्रामवासियों का कहना है कि वर्ष 2018 से लेकर 2025 तक — सात साल बीत जाने के बावजूद — न तो सड़क का नव-निर्माण हुआ है, न ही नालियों की कोई व्यवस्था है और न ही जल निकासी का कोई पुख्ता इंतजाम। बरसात के मौसम में यह मार्ग दलदल में तब्दील हो जाता है, जिससे पैदल चलना भी दूभर हो जाता है, और गर्मियों में धूल का ऐसा गुबार उठता है कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

जिम्मेदारों की आपराधिक चुप्पी – जनता का बढ़ता रोष

स्थानीय लोगों ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि उन्होंने कई बार लोक निर्माण विभाग (PWD) और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारियों को आवेदन दिए हैं और अनगिनत शिकायतें की हैं। लेकिन हर बार उन्हें केवल एक ही जवाब मिला है — "शीघ्र कार्यवाही होगी।" यह 'शीघ्र कार्यवाही' कभी धरातल पर नहीं उतर पाई। ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि स्थानीय विधायक और सांसद दोनों ही इस गंभीर समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं, और जिला प्रशासन तो मानो 'आँखें मूंदे बैठा' है। ग्रामवासियों ने भाजपा के प्रति अपनी नाराज़गी खुलकर व्यक्त की है। उनका कहना है, "यह वही गढ़ है, जिसने हर चुनाव में भाजपा को भारी बहुमत दिया। लेकिन अब लगता है कि हमारा गढ़ उनकी प्राथमिकता में नहीं है। जहां ताकतवर नेताओं का प्रभाव है — मनगवा, रायपुर, सोहागी, कटरा — वहां बाईपास, नालियां, सुंदर सड़कें बन गईं। लेकिन हमारे हिस्से आई सिर्फ धूल, गड्ढे और लापरवाही।" यह बयान जनप्रतिनिधियों के दोहरे मापदंडों पर सीधा सवाल खड़ा करता है।

दुर्घटनाओं का सिलसिला और जिम्मेदारी से भागते अधिकारी

इस मार्ग की खस्ताहालत के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। ट्रैक्टर, बाइक और ऑटो पलटने की घटनाएँ अब आम हो चुकी हैं, जिससे कई लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। दुखद बात यह है कि इन गंभीर दुर्घटनाओं के बावजूद, आज तक न तो किसी ठेकेदार के खिलाफ और न ही किसी विभागीय अधिकारी के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रीवा जिले में छोटे ठेकेदारों पर तो कभी-कभी कार्रवाई हो जाती है, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग-27 की दुर्दशा पर सबकी खामोशी कई सवाल खड़े करती है कि आखिर कौन इस जानलेवा लापरवाही के लिए जिम्मेदार है।

जनता का सब्र टूटा – नेताओं से सीधे जवाब की मांग

गढ़ ग्राम पंचायत के नागरिकों ने अब आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। उन्होंने कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया तो वे जनआंदोलन करेंगे। ग्रामवासियों ने मुख्यमंत्री, सांसद और लोक निर्माण मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप और ठोस जवाब की मांग करने का भी ऐलान किया है। स्थानीय नागरिकों का आक्रोश चरम पर है। उनका कहना है, "हमने मोदी और शिवराज के नाम पर वोट दिया था, अब दोनों के नाम पर शर्म महसूस हो रही है। गढ़ जैसे धार्मिक और शिक्षित क्षेत्र की यह दुर्दशा हमारे कर्मों का नहीं, नेताओं की बेरुखी का परिणाम है।"

एक ग्रामीण ने सख्त लहजे में कहा, "अगर इस बार भी सड़क नहीं बनी, तो आने वाले चुनाव में हम सड़क दिखाने वालों को सड़क दिखा देंगे।" यह बयान नेताओं के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि जनता अब केवल आश्वासनों से संतुष्ट होने वाली नहीं है। अब देखना यह होगा कि इस जनआक्रोश के बाद प्रशासन और जनप्रतिनिधि कब तक अपनी चुप्पी तोड़ते हैं और कब इस 'मौत के मार्ग' को 'जीवन का मार्ग' बनाते हैं।



Post a Comment

Previous Post Next Post