![]() |
एमपी में जहरीले कफ सिरप का तांडव: 21 मासूमों की मौत, 500% अधिक ज़हर मिलने पर सुप्रीम कोर्ट से जाँच की माँग Aajtak24 News |
भोपाल - मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में दूषित कफ सिरप 'कोल्डड्रिफ' के कारण मची तबाही थमने का नाम नहीं ले रही है। बीते 24 घंटों के भीतर चार और मासूमों—छिंदवाड़ा के जायूशा यदुवंशी (2), धानी डेहरिया (1.5), वेदांत पंवार (2.5) और वेदांश काकोडिय़ा (3)—की मौत के बाद, इस जहरीले सिरप से जान गंवाने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है। 19 मौतें अकेले छिंदवाड़ा से हुई हैं, जबकि दो बैतूल के बच्चे भी इसकी भेंट चढ़े हैं। इस भयावह त्रासदी ने राज्य भर में हड़कंप मचा दिया है, वहीं कई परिवारों में दहशत का माहौल है क्योंकि अभी भी कई बच्चे मौत से जूझ रहे हैं।
मौत का कारण: 500 गुना ज्यादा डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG)
बच्चों की मौत का मुख्य कारण सिरप में मिला अत्यधिक जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) है, जिसने उनकी किडनी फेल कर दी और दिमाग को गंभीर नुकसान पहुँचाया। डॉक्टरों के अनुसार, यह ज़हर दिमाग के ऊतकों से चिपक गया है, जिससे इसका इलाज लगभग नामुमकिन हो गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिरप में DEG की मात्रा 48.6% पाई गई है, जबकि सुरक्षित सीमा केवल 0.1% है—यानी तय सीमा से लगभग 500 गुना ज़्यादा ज़हर। नागपुर के विभिन्न अस्पतालों में अभी भी 11 बच्चे गंभीर हालत में हैं, जिनमें से पाँच की हालत बेहद नाजुक है। बैतूल का साढ़े तीन साल का हर्ष यदुवंशी भी किडनी फेल होने के बाद वेंटिलेटर पर है।
सुप्रीम कोर्ट से जाँच की माँग, राष्ट्रीय आयोग ने लिया संज्ञान
इस बड़े स्वास्थ्य संकट को देखते हुए, यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर पहुँच गया है। इस त्रासदी की गहन और निष्पक्ष जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है। वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश और राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिवों को नोटिस जारी कर दवाओं की व्यापक जाँच की ज़रूरत बताई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाला राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), दिल्ली भी जाँच के लिए जल्द ही नागपुर के लिए एक विशेष टीम रवाना कर सकता है।
सियासत गर्म: इलाज का खर्च सरकार उठाएगी, विपक्ष का नशे के कारोबार पर आरोप
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस त्रासदी पर दुख जताते हुए पीड़ितों के परिवारों के साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि दूषित सिरप से पीड़ित सभी बच्चों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। नागपुर में इलाज करवा रहे बच्चों के लिए कार्यपालक दंडाधिकारी और चिकित्सकों की एक संयुक्त टीम भी तैनात की गई है। दूसरी ओर, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने आरोप लगाया है कि राज्य में कफ सिरप का बड़े पैमाने पर नशे के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि 2022 से अब तक नशीली कोडीन युक्त लाखों बोतलें जब्त की गई हैं और सतना में एक राज्य मंत्री के रिश्तेदार को भी नशे के कफ सिरप की तस्करी में पकड़ा गया था।प्रशासन अब इस जानलेवा सिरप को बाज़ार से हटाने की कोशिशों में जुटा है। नवनियुक्त नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने प्रदेश भर में जाँच शुरू करने के निर्देश दिए हैं, जबकि स्थानीय प्रशासन बिक चुकी बोतलों का पता लगाने के लिए घर-घर जाकर सर्वे कर रहा है।