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| मध्यप्रदेश में 'किसान संबल' का नया अध्याय: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में रिकॉर्ड-तोड़ राहत राशि का वितरण Aajtak24 News |
भोपाल - मध्य प्रदेश के अन्नदाताओं ने इस वर्ष मानसून में अतिवृष्टि, विनाशकारी बाढ़, और फिर पीला मोजैक एवं कीट व्याधि के अप्रत्याशित प्रकोप का सामना किया है। फसलें बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त हुईं, जिससे किसानों की साल भर की अर्थव्यवस्था डगमगा गई। इन कठिन हालातों में, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने किसानों को संबल देने में ऐतिहासिक तत्परता दिखाई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गुरुवार को आधिकारिक घोषणा करते हुए बताया कि प्रदेश के 23 लाख 81 हजार से अधिक प्रभावित किसानों को अब तक लगभग 1802 करोड़ रुपये की राहत राशि वितरित की जा चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों की हर कठिनाई में सरकार उनके साथ खड़ी है और यह सहयोग आगे भी जारी रहेगा।
राहत वितरण का नया कीर्तिमान स्थापित
मुख्यमंत्री ने राहत राशि के वितरण को 'ऐतिहासिक' बताते हुए कहा कि यह राशि किसानों को फिर से खड़ा होने में बड़ी मदद करेगी। उन्होंने तुलनात्मक आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि आरबीसी 6(4) के तहत वितरित की गई यह ₹1802 करोड़ की विशाल धनराशि, पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में बांटी गई ₹660.57 करोड़ की राशि से करीब तीन गुना अधिक है। यह वृद्धि केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि आपदा के समय किसानों को त्वरित और निर्णायक संबल प्रदान करने की सरकार की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
किसानों को मिला दोहरी क्षतिपूर्ति का लाभ:
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, ₹1802 करोड़ की कुल राहत राशि का वितरण अत्यंत पारदर्शी तरीके से किया गया है, जिसमें दोहरी आपदा के शिकार किसानों को भी सुनिश्चित राहत मिली है:
फसल नुकसानी: अतिवृष्टि/बाढ़ एवं पीला मोजैक/कीट व्याधि से फसल हानि झेलने वाले 23,81,104 प्रभावित किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में ₹1623.51 करोड़ की राहत राशि अंतरित की गई है।
प्राकृतिक आपदा क्षति: जनहानि, पशुहानि और मकान क्षति जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से हुई अन्य क्षतियों की पूर्ति के लिए भी ₹178.45 करोड़ की अतिरिक्त राशि वितरित की गई है।
मुख्यमंत्री का भावपूर्ण आश्वासन और भविष्य की रणनीति
डॉ. मोहन यादव ने किसानों के साथ अपनी सरकार के गहरे भावनात्मक जुड़ाव को व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "किसान हर मौसम में फसल नुकसानी का जोखिम उठाते हैं। फसल नुकसानी हुई, तो घर की साल भर की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाती है। हमारी सरकार किसानों को ऐसे हालात में कभी अकेला नहीं रहने देगी। किसानों का दु:ख पूरे प्रदेश का दु:ख है और किसानों के सुख से ही प्रदेश का सुख है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अन्नदाता किसानों के लिए सरकार के खजाने में धन की कोई कमी नहीं है और हर जरूरतमंद किसान को तत्परतापूर्वक सहयोग दिया जा रहा है।
वितरण की निरंतरता और कल्याणकारी योजनाएं:
मुख्यमंत्री ने बताया कि राहत वितरण की प्रक्रिया में निरंतरता बनाए रखी गई है। पिछले वर्षों में भी बड़ी राशियाँ वितरित की गईं, लेकिन इस वर्ष का वितरण सबसे बड़ा है: (2021-22 में ₹1590.74 करोड़, 2022-23 में ₹726.15 करोड़, 2023-24 में ₹758.62 करोड़)।
राहत राशि के अलावा, सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कई बहुआयामी कदम उठाए हैं। इनमें कृषि क्षेत्र को मजबूती देने के उद्देश्य से सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी और बिजली की उपलब्धता, शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण की सुविधा, फसलों पर समर्थन मूल्य और फसल बीमा की राशि का समय पर अंतरण सुनिश्चित करना शामिल है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विश्वास व्यक्त किया है कि सरकार के इन समेकित प्रयासों से प्रदेश के किसान भाइयों के मन में एक नया विश्वास और एक नई उम्मीद जगी है। यह रिकॉर्ड वितरण राशि एक स्पष्ट संकेत है कि किसान कल्याण वर्तमान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है।
