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| राष्ट्रीय राजमार्ग-30 पर कलवारी मोड़ में गुंडागर्दी का तांडव — राहगीरों में दहशत, कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल Aajtak24 News |
रीवा - राष्ट्रीय राजमार्ग-30 के कलवारी–लाल गांव मोड़ (थाना गढ़ क्षेत्र) पर 20 नवंबर 2025 की शाम लगभग 4 बजे हुई मारपीट की घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सड़क पर खुलेआम लाठियों से दौड़ा-दौड़ाकर पिटाई की जाती रही और राहगीर भयभीत होकर दूर-दूर से गुजरते रहे। राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऐसी गुंडागर्दी ने स्थानीय नागरिकों को बिहार के ‘जंगलराज’ और कश्मीर की अशांत स्थितियों की याद दिला दी।
घटना स्थल रहा दहशतग्रस्त, पूर्व में भी मिल चुकी हैं संदिग्ध लाशें
कटरा क्षेत्र का यही इलाका वर्षों पहले भी संवेदनशील घटनाओं की वजह से चर्चा में रह चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बरसों पहले समीपवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में अज्ञात शव मिलने की घटनाएँ भी सामने आई थीं, जिससे यह स्थान पहले से भय का केंद्र माना जाता रहा है। अब राष्ट्रीय राजमार्ग पर खुली गुंडागर्दी ने एक बार फिर कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रशासनिक मौन पर नाराजगी
घटना की पुष्टि के लिए पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क किया गया, परंतु घटना को लेकर किसी भी सक्षम अधिकारी ने आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की। स्थानीय जन-चर्चा के अनुसार, इस मारपीट के पीछे जातीय विवाद, दबंगई और अवैध वसूली की बातें सामने आ रही हैं। कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि एक जाति-विशेष से जुड़े कुछ प्रभावी व्यक्तियों द्वारा अन्य लोगों से रुपये वसूले जाने और मुकदमे संबंधी रंजिश को लेकर यह हमला किया गया। हालांकि इन दावों की आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है।
कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल, पुलिस बल की कमी उजागर
रीवा रेंज के आईजी गौरव राजपूत लगातार अपराध, नशा माफिया और अवैध गतिविधियों पर सख्ती की बात करते हैं। पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह चौहान स्वयं थानों का निरीक्षण कर कानून-व्यवस्था को सुधारने में सक्रिय हैं। इसके बावजूद ग्रामीण थाना क्षेत्रों में पुलिस बल की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। कई थानों में कर्मचारियों की संख्या बेहद कम है—कई तो विभागीय डाक व प्रशासनिक कार्यों में ही व्यस्त रहते हैं। इससे वास्तविक जमीनी क्षेत्रों में सक्रिय पुलिस बल का अभाव महसूस होता है।
संवेदनशील थानों में बल बढ़ाने की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि रीवा जिले के ग्रामीण इलाकों में कई थाने कानून-व्यवस्था की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हैं। ऐसे में वरिष्ठ अधिकारियों को प्रत्येक थाना क्षेत्र की संवेदनशीलता का मूल्यांकन कर पुलिस बल को उसी आधार पर बढ़ाना चाहिए। यदि समय रहते सख्ती नहीं बरती गई, तो ऐसी घटनाएँ अपराधियों के हौसले और बुलंद कर सकती हैं तथा ग्रामीण अंचलों में असुरक्षा की भावना और बढ़ सकती है।
