लक्ष्मण बाग संस्थान भूमि विवाद गहराया: हाईकोर्ट में लंबित मामले के बावजूद रजिस्ट्री कराने का प्रयास prayash Aajtak24 News

लक्ष्मण बाग संस्थान भूमि विवाद गहराया: हाईकोर्ट में लंबित मामले के बावजूद रजिस्ट्री कराने का प्रयास prayash Aajtak24 News

रीवा/ मध्य प्रदेश - रीवा स्थित लक्ष्मण बाग संस्थान की भूमि को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जिस भूमि के स्वामित्व का मामला जनहित याचिका क्रमांक 1218/2025 के रूप में उच्च न्यायालय जबलपुर में विचाराधीन है, उसी भूमि की रजिस्ट्री कराने की खबरें सामने आई हैं। इस कथित प्रयास ने न केवल कानूनी विशेषज्ञों को चौंकाया है, बल्कि स्थानीय नागरिकों में भी गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है।

न्यायालय की अवमानना का आरोप

आज, 1 सितंबर 2025 को रीवा के रजिस्ट्री कार्यालय में इस भूमि से संबंधित रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू करने का प्रयास किया गया। इस पर अधिवक्ता बी.के. माला ने तुरंत आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह कदम सीधे-सीधे उच्च न्यायालय की अवमानना है, क्योंकि जब तक कोई मामला न्यायालय में लंबित है, तब तक उस संपत्ति का न तो हस्तांतरण किया जा सकता है और न ही उस पर किसी तरह का निर्माण कार्य किया जा सकता है।

प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल

यह पहली बार नहीं है जब इस भूमि को लेकर विवाद हुआ है। इससे पहले भी संबंधित पक्षों ने आयुक्त रीवा और प्रशासन को लिखित आपत्तियाँ भेजी थीं। इसके बावजूद, प्रशासनिक स्तर पर रजिस्ट्री प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का प्रयास यह दर्शाता है कि नियमों को ताक पर रखकर किसी दबाव में काम किया जा रहा है। कानूनी जानकारों का मानना है कि यदि उच्च न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद रजिस्ट्री की कार्रवाई की जाती है, तो यह न्यायिक व्यवस्था का खुला उल्लंघन होगा और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े होंगे।

नागरिकों का आक्रोश और चेतावनी

लक्ष्मण बाग संस्थान की भूमि की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता के कारण यह मामला स्थानीय लोगों के लिए अत्यंत संवेदनशील है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने प्रशासन से तत्काल रजिस्ट्री प्रक्रिया रोकने की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि नियमों की अनदेखी कर रजिस्ट्री जबरन कराई गई तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि ऐतिहासिक और धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन को अधिक संवेदनशील और पारदर्शी होने की आवश्यकता है।

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