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| बरेली हिंसा: 'आई लव मोहम्मद' के नारों पर बवाल, मौलाना तौकीर रजा पर NSA की तलवार! चार थानों में सैकड़ों उपद्रवियों पर FIR Aajtak24 News |
बरेली - उत्तर प्रदेश के बरेली में शुक्रवार की जुमे की नमाज़ के बाद माहौल एक बार फिर बिगड़ गया। 'आई लव मोहम्मद' के बैनर और नारों को लेकर उपजे तनाव ने शहर को हिंसा की चपेट में ले लिया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा को उनके आवास पर नजरबंद कर दिया, लेकिन उनके आह्वान पर निकली भीड़ ने कई जगहों पर जमकर उपद्रव किया। इस बवाल के बाद मौलाना तौकीर रजा की मुश्किलें कई गुना बढ़ गई हैं, और पुलिस अब उन पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाने पर विचार कर रही है।
चार थानों में सैकड़ों लोगों पर FIR दर्ज
बरेली पुलिस ने उपद्रव के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मौलाना तौकीर रजा सहित सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ शहर के चार थानों (कोतवाली, बारादरी, प्रेमनगर और किला) में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है।
बारादरी थाना: सबसे अधिक कार्रवाई बारादरी थाने में हुई, जहाँ दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
पहले मुकदमे में 28 लोगों को नामजद किया गया है, और लगभग ढाई सौ (250) अज्ञात लोगों को शामिल किया गया है।
दूसरे मुकदमे में 18 लोगों को नामजद किया गया है, और करीब डेढ़ सौ (150) अज्ञात लोगों पर कार्रवाई की तैयारी है।
नामजद लोगों में नदीम, अनीस सकलैनी, वसीम तहसीनी, कलीम खान, बबलू खां, दाउद खा, मुस्तफा नूरी, मोहम्मद आकिब, सलाउद्दीन समेत कई अन्य नाम शामिल हैं।
अन्य थाने: कोतवाली, प्रेमनगर और किला थानों में भी मुकदमे लिखे गए हैं, जिनमें मौलाना तौकीर रजा को भी प्रमुखता से नामजद किया गया है।
पुलिस के मुताबिक, उपद्रवियों ने 3-4 जगहों पर एक साथ हंगामा किया, जिसमें फायरिंग और पथराव किया गया। इस झड़प में 10 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, और 50 से ज्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है।
श्यामगंज में लाठीचार्ज और तनाव
कोतवाली क्षेत्र में हुए लाठीचार्ज के बाद श्यामगंज में भी उपद्रवियों की भारी भीड़ जुटने लगी। मौके पर पहुंची पुलिस और अधिकारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। जब एसएसपी अनुराग आर्य और डीआइजी अजय कुमार साहनी ने मोर्चा संभाला, तो भीड़ में से किसी ने एसएसपी पर फायरिंग कर दी। गनीमत रही कि गोली किसी को नहीं लगी। इसके बाद पुलिस ने तत्काल लाठीचार्ज कर दिया, जिससे चंद मिनटों में पूरा श्यामगंज खाली हो गया। उपद्रवी इस्लामियां ग्राउंड जाने की कोशिश में थे।
मौलाना तौकीर रजा पर NSA लगाने की तैयारी
बवाल के बाद पुलिस प्रशासन ने मौलाना तौकीर रजा के खिलाफ सख्त कार्रवाई का मन बना लिया है। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने शासन को रिपोर्ट भेज दी है, जिसमें उन पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाने पर विचार किया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मौलाना बार-बार शहर का माहौल खराब करने का काम करते हैं, और उनके आह्वान पर भीड़ तीन बार बवाल कर चुकी है। मौलाना तौकीर रजा पर पहले से ही 6 से ज्यादा केस दर्ज हैं, जिनमें जानलेवा हमला, तोड़फोड़ और धर्म विशेष की भावनाएं भड़काने के मामले शामिल हैं। 2010 के दंगों में भी उनका नाम आया था, और हाल ही में कोर्ट ने उन्हें आरोपी मानते हुए समन जारी किया था, जिसके बाद वह भूमिगत हो गए थे।
बच्चों को आगे करने वाले माता-पिता पर भी केस
पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया है कि उपद्रवियों ने बच्चों को आगे कर पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की। IG ने बताया कि अब ऐसे माता-पिता को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा, जो अपने बच्चों को भीड़ में लाए थे, और उन पर भी केस दर्ज किया जा सकता है।
विवाद की जड़: 'आई लव मोहम्मद' पोस्टर
बरेली में हुए इस विवाद का सीधा संबंध कानपुर में 4 सितंबर को बारावफात के जुलूस के दौरान सार्वजनिक सड़क पर कथित तौर पर 'आई लव मोहम्मद' लिखे बोर्ड लगाने के विरोध में दर्ज हुई FIR से है। इस घटना के बाद कई राज्यों के शहरों में 'आई लव मोहम्मद' और इसके विरोध में 'आई लव महादेव' के पोस्टर लगाकर जुलूस निकाले गए, जिससे माहौल तनावपूर्ण रहा। बरेली में भी जुमे की नमाज के बाद तौकीर रजा के बुलावे पर यही पोस्टर और नारेबाजी बवाल का कारण बनी। इस बीच, मऊ, आगरा, लखनऊ और सहारनपुर समेत यूपी के कई अन्य शहरों में भी 'आई लव मोहम्मद' पोस्टर और नारेबाजी को लेकर तनाव की स्थिति रही, जिस पर पुलिस को अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा और कई जगहों पर लाठीचार्ज भी करना पड़ा।
कौन हैं मौलाना तौकीर रजा?
मौलाना तौकीर रजा बरेली के एक प्रभावशाली धार्मिक नेता हैं, जिनका ताल्लुक सुन्नी मुसलमानों के आला हजरत खानदान से है। यह खानदान इस्लाम धर्म के सुन्नी बरेलवी मसलक की शुरुआत के लिए जाना जाता है। उन्होंने 2001 में अपनी राजनीतिक पार्टी इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) बनाई थी। उनका राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है, जिसमें कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का समर्थन शामिल है। वह विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं और नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ आंदोलन और तस्लीमा नसरीन के खिलाफ फतवा जारी करने जैसे मामलों में भी उनका नाम सामने आ चुका है। पुलिस प्रशासन ने शहर में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लोगों से सहयोग की अपील की है और सोशल मीडिया पर किसी भी भड़काऊ सामग्री को साझा न करने की सख्त चेतावनी दी है।
