![]() |
नेपाल में अराजकता का चरम: संसद जलकर खाक, पीएम केपी ओली के विदेश भागने की अफवाहें, राजशाही की वापसी की मांग तेज! Aajtak24 News |
काठमांडू - भारत का पड़ोसी देश नेपाल इस समय अभूतपूर्व राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा के दौर से गुजर रहा है। सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के विरोध में 'Gen-Z' के नेतृत्व में शुरू हुआ प्रदर्शन अब एक बड़े जन आंदोलन में तब्दील हो गया है, जिसने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है। सोमवार को पुलिस की गोलीबारी में 19 लोगों की मौत के बाद से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।
आक्रोश की आग में जलता नेपाल: प्रदर्शनकारियों का गुस्सा अब सरकार और नेताओं के खिलाफ सड़कों पर साफ दिख रहा है। हजारों की संख्या में युवा कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए सड़कों पर उतर आए हैं। इन उग्र प्रदर्शनकारियों ने न केवल कई मंत्रियों के आवासों को आग के हवाले कर दिया है, बल्कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति के आवासों पर भी कब्जा कर लिया है। सबसे भयावह दृश्य राजधानी काठमांडू से सामने आया है, जहां नेपाल की संसद को भी प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया। वह संसद, जो देश के महत्वपूर्ण फैसलों का केंद्र थी, अब राख के ढेर में तब्दील हो चुकी है।
सरकार पर इस्तीफे का दबाव, मंत्रियों का पलायन: इस विनाशकारी स्थिति के बीच, नेपाल सरकार गहरे संकट में घिर गई है। गृह मंत्री सहित कई मंत्रियों ने भारी दबाव के चलते अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि कई वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों को सेना के हेलीकॉप्टरों से सुरक्षित निकालना पड़ रहा है। अफवाहें यह भी हैं कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इलाज का बहाना बनाकर दुबई भाग सकते हैं, हालांकि एयरपोर्ट अधिकारियों ने इन खबरों का खंडन किया है।
राजशाही की वापसी की मांग तेज: आंदोलन के पीछे की राजनीतिक मंशाओं पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह आंदोलन केवल सोशल मीडिया बैन या भ्रष्टाचार के विरोध तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश रची जा रही है। नेपाल में पहले से ही राजशाही की वापसी की मांगें उठती रही हैं, और मौजूदा हालात को देखते हुए ऐसी आशंकाएं तेज हो गई हैं कि इस आंदोलन को राजशाही समर्थकों का गुप्त समर्थन प्राप्त है। यह स्थिति बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों के हालात की याद दिलाती है, जहां बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकारों को उखाड़ फेंका गया था।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता: भारत और संयुक्त राष्ट्र सहित दुनिया भर के देश नेपाल की स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं। दोनों ने ही शांति बनाए रखने और संयम बरतने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र ने नागरिक अधिकारों की रक्षा और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों की अनुमति देने का भी आह्वान किया है। फिलहाल, काठमांडू से लेकर वीरगंज तक उपद्रवियों का कब्जा बना हुआ है। एक अंतरिम सरकार के गठन की भी चर्चाएं चल रही हैं, जो आंदोलनकारियों का भरोसा जीत सके। नेपाल एक अनिश्चित भविष्य की ओर बढ़ रहा है, और यह देखना बाकी है कि क्या देश इस संकट से उबर पाएगा या फिर यह 'तख्तापलट' की ओर बढ़ रहा है।