रीवा में खाद संकट पर फूटा किसानों का गुस्सा, करहिया मंडी में पुलिस का लाठीचार्ज; कई अन्नदाता घायल Aajtak24 News

रीवा में खाद संकट पर फूटा किसानों का गुस्सा, करहिया मंडी में पुलिस का लाठीचार्ज; कई अन्नदाता घायल Aajtak24 News

रीवा/मध्य प्रदेश - कभी विंध्य प्रदेश की राजधानी रहे रीवा में आज एक बार फिर बर्बर पुलिस कार्रवाई देखने को मिली। बुधवार की सुबह, करहिया मंडी में यूरिया खाद के लिए 24 घंटे से लंबी लाइन में खड़े किसानों पर पुलिस ने बेरहमी से लाठियां भांजीं। इस लाठीचार्ज में कई किसान गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना ने पूरे जिले में आक्रोश और तनाव का माहौल पैदा कर दिया है।

भूखे-प्यासे 24 घंटे लाइन में खड़े रहे किसान

पिछले एक महीने से रीवा जिले में यूरिया खाद का भारी संकट बना हुआ है। किसान मजबूरी में शहर से लेकर गांवों तक भूखे-प्यासे कई-कई घंटों तक लाइनों में खड़े रहने को मजबूर हैं। मंगलवार की सुबह से ही महिला और पुरुष किसान करहिया मंडी में खाद पाने के लिए कतार में लगे थे। 24 घंटे बीत जाने के बाद भी जब उन्हें खाद का टोकन नहीं मिला तो उनका धैर्य जवाब दे गया। स्थिति बिगड़ने पर किसानों ने अपनी समस्या सामने रखने की कोशिश की, लेकिन उनकी आवाज सुनने के बजाय पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाना शुरू कर दिया। किसानों का आरोप है कि यह बर्बरता भाजपा सरकार की शह पर हुई है और सत्ता पक्ष के कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में पुलिस ने निहत्थे अन्नदाताओं के साथ दुर्व्यवहार किया।

खाद वितरण में कालाबाजारी और भ्रष्टाचार का आरोप

किसानों ने खाद संकट के पीछे एक बड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश से प्रयागराज होते हुए चाकघाट टोल प्लाजा के रास्ते खाद की बोरियां अवैध रूप से रीवा लाई जा रही हैं। टोल प्लाजा के सीसीटीवी फुटेज में भी मोटरसाइकिल और टेम्पो पर खाद की बोरियां ले जाते हुए देखा गया है। बाजार में यही सब्सिडी वाली खाद 700 से 800 रुपये प्रति बोरी की दर से बेची जा रही है, जबकि सरकारी दर बहुत कम है। किसान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष, नृपेन्द्र सिंह पिंटू ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने बताया कि यूरिया और डीएपी खाद पर सरकार द्वारा भारी सब्सिडी दी जाती है, लेकिन कंपनियों ने खाद कम खरीदी ताकि कालाबाजारी हो सके और सरकार को सब्सिडी न देनी पड़े।

राजनीतिक व प्रशासनिक जिम्मेदारी पर उठे सवाल

इस घटना ने जिले की राजनीति में हलचल मचा दी है। किसान सवाल उठा रहे हैं कि आखिर वे जनप्रतिनिधि कहाँ हैं जो उनकी आवाज उठाने का दावा करते हैं? उन्होंने मांग की है कि इस लाठीचार्ज में शामिल पुलिसकर्मियों पर एक सप्ताह के भीतर कठोर कार्रवाई की जाए। नृपेन्द्र सिंह पिंटू ने चेतावनी दी है कि यदि दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो कांग्रेस पार्टी उग्र आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा, "क्या किसान लाठी या अस्त्र-शस्त्र लिए थे? निहत्थे किसानों के ऊपर इस तरह की कार्रवाई घोर अपमानजनक है।" यह घटना लोकतंत्र में किसानों के साथ हो रहे अन्याय को उजागर करती है।


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