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छत्तीसगढ़ में ईडी का 'ऑपरेशन क्लीन': 575 करोड़ के DMF घोटाले में रायपुर समेत 5 शहरों में ताबड़तोड़ छापे Aajtak24 News |
रायपुर/छत्तीसगढ़ - प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ में एक बड़ी और समन्वित कार्रवाई को अंजाम दिया है। जिला खनिज निधि (DMF) के कथित 575 करोड़ रुपये के महाघोटाले के मामले में ईडी ने राज्य के पांच प्रमुख शहरों- रायपुर, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, चांपा और कोरबा में कई ठिकानों पर एक साथ छापा मारा है। इस बड़े पैमाने पर की गई छापेमारी ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के बीच दहशत का माहौल है।
DMF घोटाले के तार कारोबारियों और अधिकारियों से जुड़े
ईडी की टीम बुधवार सुबह से ही अलग-अलग ठिकानों पर दबिश दे रही है। रायपुर के शंकर नगर में रहने वाले कारोबारी विनय गर्ग और अमलीडीह स्थित लविस्टा में पवन पोद्दार के निवास पर ईडी के अधिकारी पहुंचे हैं। जानकारी के अनुसार, ये दोनों कृषि से संबंधित सामानों की सप्लाई और ट्रैक्टर एजेंसी का काम करते हैं। दुर्ग में, भिलाई-3 के अन्ना भूमि ग्रीनटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक शिवकुमार मोदी के घर भी ईडी की टीम पहुंची है। इस कार्रवाई में 8 से 10 ईडी अधिकारियों की टीम के साथ सीआरपीएफ के जवान भी मौजूद हैं। ईडी का कहना है कि यह पूरा मामला जिला खनिज निधि यानी 'डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड' के दुरुपयोग से जुड़ा है, जो खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास और कल्याण के लिए बनाया गया था। जांच एजेंसी के मुताबिक, इस फंड की एक बड़ी रकम को छत्तीसगढ़ बीज निगम के माध्यम से फर्जी तरीके से और गलत नीतियों का इस्तेमाल कर हड़पा गया।
भ्रष्टाचार के लिए नियम बदले गए, मिले अहम सबूत
जांच में पता चला है कि इस बड़े घोटाले को अंजाम देने के लिए फंड खर्च करने के नियमों को ही बदल दिया गया था। आवश्यक विकास कार्यों को दरकिनार करते हुए ऐसे नए प्रावधान जोड़े गए, जिनसे अधिकतम कमीशन कमाया जा सके। फंड खर्च की नई श्रेणियों में मटेरियल सप्लाई, ट्रेनिंग, कृषि उपकरण, मेडिकल उपकरण और यहां तक कि मनोरंजन से जुड़ी सामग्री भी शामिल कर ली गई थी। इस व्यापक सर्च ऑपरेशन के दौरान ईडी ने कई सरकारी अधिकारियों, निजी ठेकेदारों और बिचौलियों के ठिकानों पर तलाशी ली है। ईडी ने इस दौरान कई महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक सबूतों और दस्तावेजों को जब्त किया है, जो इस घोटाले को उजागर करने में अहम साबित होंगे।
पूर्व आईएएस और कारोबारी का कमीशन नेटवर्क
इस मामले की शुरुआती जांच रायपुर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और एसीबी (ACB) ने की थी, जिसने 6,000 पन्नों की चार्जशीट भी दायर की है। ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि इस घोटाले के तार जेल में बंद कारोबारी मनोज कुमार द्विवेदी से जुड़े हैं। आरोप है कि मनोज ने अपनी एनजीओ उदगम सेवा समिति के नाम पर डीएमएफ फंड के ठेके हासिल किए और तत्कालीन निलंबित आईएएस रानू साहू सहित कई अन्य उच्चाधिकारियों तक कमीशन पहुंचाया। ईडी के अनुसार, अधिकारियों को टेंडर की राशि का 42% तक कमीशन दिया गया था। यह कार्रवाई राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा संदेश है, जिसमें केंद्र सरकार की जांच एजेंसियां बड़े स्तर पर सरकारी योजनाओं में हो रही अनियमितताओं को उजागर कर रही हैं। ईडी का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।