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| रीवा जिले में सरकारी संपत्तियों पर भूमाफियाओं की नजर, जनता में आक्रोश Aajtak24 News |
रीवा - प्रदेशभर में सरकारी जमीनों पर भूमाफियाओं और दबंगों की नजरें गड़ी रहती हैं, और अब यह प्रवृत्ति रीवा जिले के गढ़ ग्राम पंचायत (जनपद पंचायत गंगेव) तक पहुँच गई है। यहाँ गढ़ थाना परिसर सहित कई शासकीय संस्थाओं की बहुमूल्य जमीनों पर कब्जे की कोशिशें तेज हो गई हैं। इस मामले में स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों और प्रभावशाली नेताओं की भूमिका पर भी संदेह जताया जा रहा है, जिससे जनता में गहरा आक्रोश है।
गढ़ थाना की करोड़ों की जमीन खतरे में, विवाद का पुराना इतिहास
सन 1946 में स्थापित गढ़ थाना की जमीन, जो आज बाजार के बीचोंबीच स्थित होने के कारण करोड़ों की है, भूमाफियाओं के निशाने पर है। थाना परिसर के संकुचित होने और पुलिस आवास की आवश्यकता को देखते हुए 1996 में 1 एकड़ 72 डिसमिल अतिरिक्त जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन आज तक न तो पुलिस क्वार्टर बने और न ही पर्याप्त भवन। अब यह पुरानी और आवंटित दोनों जमीनें नेताओं और भूमाफियाओं की लालच का शिकार हो रही हैं।
पंचायत की भूमिका पर गंभीर सवाल, संस्थाओं की जमीन पर कब्जे के प्रयास
कानूनन, ग्राम पंचायत का यह कर्तव्य है कि वह शासकीय संपत्तियों की सुरक्षा करे। लेकिन गढ़ में स्थिति इसके विपरीत है। आरोप है कि समय-समय पर सरपंच और पंचायत पदाधिकारी खुद इन जमीनों पर कब्जे की कोशिशों में शामिल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर:
बालक हायर सेकेंडरी स्कूल की जमीन पर पंचायत भवन का निर्माण कर दिया गया, जिसका मामला अब न्यायालय में है।
पूर्व थाना प्रभारी के कार्यकाल में तत्कालीन सरपंच ने पुलिस की जमीन पर दुकानें बनाने का प्रयास किया, जिसे पुलिस ने रोका।
आयुर्वेद औषधालय और कन्या व प्राथमिक पाठशाला की जमीनों पर भी कब्जे के प्रयास हुए हैं।
राजनीतिक दबाव और जनता की मांग: बने महिला थाना
स्थानीय नेताओं द्वारा पंचायत को थाना की पुरानी जमीन दिलवाने का दबाव बनाया जा रहा है, ताकि वहां दुकानें बनवाई जा सकें। हालांकि, वर्तमान थाना प्रभारी और रीवा पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट किया है कि यह भूमि पुलिस विभाग की है और गृह मंत्रालय की अनुमति के बिना इसका किसी अन्य उपयोग के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। गढ़ क्षेत्र की जनता की प्रमुख मांग है कि इस जमीन पर महिला थाना और पुलिस क्वार्टर का निर्माण किया जाए। उनका कहना है कि यदि यह भूमि अन्यत्र चली गई तो भविष्य में इन आवश्यक सुविधाओं का निर्माण संभव नहीं होगा। वर्तमान में रीवा जिले में केवल एक महिला थाना है, जो क्षेत्र की महिलाओं के लिए लगभग 80 किलोमीटर दूर पड़ता है। गढ़ में महिला थाना बनने से उन्हें न्याय और सुरक्षा सुलभ होगी।
सरकारी संपत्तियां लगातार निशाने पर
गढ़ में केवल थाना ही नहीं, बल्कि बालक हायर सेकेंडरी स्कूल, कन्या पाठशाला, आयुर्वेद औषधालय और पशु औषधालय जैसी अन्य संस्थाओं की जमीनें भी भूमाफियाओं के निशाने पर रही हैं। एक समय तो कांग्रेस पार्टी के नाम से भी स्कूल की जमीन का एक हिस्सा आवंटित कर दिया गया था, जिसे तत्कालीन विधायक गिरीश गौतम के प्रयासों से वापस सरकारी संपत्ति घोषित कराया गया। जनता अब सवाल उठा रही है कि क्या पुलिस और प्रशासन अपनी ही संस्था की जमीन को सुरक्षित रख पाएंगे, या यह भी रीवा शहर की तरह धीरे-धीरे भूमाफियाओं और प्रभावशाली नेताओं की निजी संपत्ति बन जाएगी।
