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सिविल अस्पताल सिरमौर: निरीक्षण से सामने आई सकारात्मकता और साजिश की कहानी Aajtak24 News |
रीवा - सिविल अस्पताल सिरमौर में आज मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. संजीव शुक्ला के औचक निरीक्षण ने अस्पताल की वास्तविक स्थिति को उजागर किया है। यह निरीक्षण न केवल अस्पताल के कामकाज को समझने के लिए था, बल्कि इसके पीछे की एक ऐसी कहानी को भी सामने लाया है, जहाँ निष्ठावान काम और छवि खराब करने की साजिश के बीच का अंतर साफ नजर आता है। निरीक्षण के दौरान, सीएमएचओ ने कुछ कमियाँ पाईं, लेकिन साथ ही कई सकारात्मक पहलुओं की भी सराहना की। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि खंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) डॉ. अंकित कुमार तिवारी के छुट्टी पर होने के बावजूद भी अस्पताल का कामकाज सुचारु रूप से चल रहा था। डॉ. तिवारी पारिवारिक कारणों से अवकाश पर थे, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में भी अस्पताल का कुशल संचालन यह दर्शाता है कि प्रबंधन कितना जिम्मेदार और सक्षम है। वहीं, स्टोर इंचार्ज दीप्ति द्विवेदी के छुट्टी पर होने से स्टोर बंद था, लेकिन प्रभारी के पास दवाइयों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध था, जिससे मरीजों को कोई परेशानी नहीं हुई। यह इस बात का सबूत है कि अस्पताल का प्रबंधन बेहद व्यवस्थित है।
डॉ. अंकित कुमार तिवारी, जिनकी उम्र कम है, ने अपनी लगन और मेहनत से यह साबित कर दिया है कि योग्यता उम्र की मोहताज नहीं होती। उनके नेतृत्व में सिरमौर सिविल अस्पताल की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। उन्होंने स्टाफ के साथ एक सहयोगात्मक माहौल बनाया है, जिससे कार्यक्षमता में काफी वृद्धि हुई है और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल रही हैं। हालांकि, अस्पताल की स्थिति में सुधार होने से कुछ राजनीतिक और स्वार्थी लोगों को यह बात रास नहीं आ रही है। आरोप है कि ये लोग अस्पताल पहुँचकर बिना पूरी जानकारी के वीडियो बना रहे हैं और उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगता है, जिसका मकसद अस्पताल और खास तौर पर डॉ. तिवारी की छवि को धूमिल करना है।
निष्कर्ष यह है कि डॉ. तिवारी के बीएमओ बनने के बाद से सिविल अस्पताल सिरमौर में लगातार प्रगति हो रही है। यह अस्पताल योग्य नेतृत्व और स्टाफ के सहयोग से सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का एक बेहतरीन उदाहरण बन गया है। डॉ. तिवारी और उनकी टीम की मेहनत की सराहना करने के बजाय, उन्हें बदनाम करने की कोशिश करना बेहद निंदनीय है। ऐसे समर्पित पेशेवरों का समर्थन करना हम सभी का कर्तव्य है, जो निस्वार्थ भाव से जनता की सेवा में लगे हैं।