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इंदौर में 'नाम बदलने' का विवाद गहराया: निगम ने 2 कर्मचारियों को किया सस्पेंड, एक की नौकरी छीनी Aajtak24 News |
इंदौर - इंदौर नगर निगम ने शहर के मुस्लिम बहुल इलाके में सड़कों के नाम बदलने और नए साइनबोर्ड लगाने के आरोप में बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में नगर निगम के दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है, जबकि एक अन्य कर्मचारी की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। यह कार्रवाई पूर्व भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय द्वारा निगम को लिखे गए एक पत्र और उनके गंभीर आरोपों के बाद की गई है, जिसमें उन्होंने एक धर्म विशेष के आधार पर सड़कों के नाम बदलने का आरोप लगाया था। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, महापौर पुष्यमित्र भार्गव के निर्देश पर नगर आयुक्त शिवम वर्मा ने मामले की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद इन कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया। पूर्व भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने इंदौर नगर निगम को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि इलाके की सड़कों का नाम एक धर्म विशेष के आधार पर बदला गया है, और बदले हुए नाम साइनबोर्ड पर प्रदर्शित किए गए हैं। इस आरोप के बाद नगर निगम ने 21 अगस्त को चंदन नगर इलाके से लगभग 5 ऐसे साइनबोर्ड हटा दिए थे, जिन पर सड़कों के बदले हुए नाम लिखे थे।
कर्मचारियों पर गिरी गाज
इस कार्रवाई के तहत, नगर निगम के ट्रैफिक विभाग के प्रभारी अधिशासी अभियंता और एक उप-अभियंता को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं, एक अन्य प्रभारी उप-अभियंता की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं, जिससे उनकी नौकरी चली गई है। इसके अलावा, विभाग के प्रभारी अतिरिक्त आयुक्त को भी बदल दिया गया है, जो इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश विजयवर्गीय ने इस मुद्दे पर चेतावनी दी थी कि यदि इन साइनबोर्डों को नहीं हटाया गया तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करेंगे। उनकी इस चेतावनी के बाद ही निगम ने यह त्वरित और सख्त कार्रवाई की है।
'दोहरे नाम' का विवाद और लोगों की परेशानी
इस विवाद की जड़ कुछ ऐसे साइनबोर्ड थे जिन पर एक ही सड़क के दो नाम लिखे थे, जैसे- 'सकीना मंजिल रोड' के साथ 'चंदन नगर सेक्टर-बी वार्ड नंबर 2' और 'रजा गेट' के साथ 'लोहा गेट रोड'। कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि ये सड़कें आमतौर पर दो नामों से ही जानी जाती हैं और ऐसे साइनबोर्डों को हटाने से लोगों को पता ढूंढने में दिक्कतें आ रही हैं। हालांकि, निगम ने आरोपों के मद्देनजर सख्त कदम उठाए हैं ताकि इस तरह के विवादों को रोका जा सके और नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके। यह घटना इंदौर में स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच बढ़ते तनाव को भी उजागर करती है।