राखी बांधने के नियम, सही दिशा और गांठों का महत्व; जानें भाई-बहन के इस पर्व से जुड़ी खास बातें Aajtak24 News

राखी बांधने के नियम, सही दिशा और गांठों का महत्व; जानें भाई-बहन के इस पर्व से जुड़ी खास बातें Aajtak24 News 

भाई-बहन के स्नेह और विश्वास का प्रतीक, रक्षा बंधन का महापर्व इस वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाएगा। हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाए जाने वाला यह पर्व इस बार बेहद शुभ संयोग में आ रहा है, क्योंकि पूरे दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा। ऐसे में बहनें सूर्योदय से ही अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर इस पवित्र बंधन को मजबूत कर सकती हैं। भारतीय संस्कृति में इस पर्व का विशेष महत्व है, जहां एक धागे से बंधा यह रिश्ता भाई-बहन के बीच सुरक्षा और प्रेम के अटूट वादे को दर्शाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राखी बांधते समय कुछ नियमों और परंपराओं का पालन करना बेहद शुभ माना गया है, जिससे इस रिश्ते में और भी अधिक गहराई और मिठास आती है।

राखी बांधने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

रक्षा बंधन के दिन, राखी बांधने से पहले कुछ विशेष तैयारी करनी चाहिए। सबसे पहले एक थाली सजाएं, जिसमें राखी, रोली (कुमकुम), अक्षत (चावल), मिठाई और एक दीपक रखें। भाई को राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें, हालांकि इस बार पूरे दिन शुभ समय है। राखी बांधते समय भाई-बहन दोनों ही स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

राखी बांधते समय कितनी गांठें लगाना शुभ है?

राखी बांधते समय धागे में गांठों की संख्या का विशेष महत्व होता है। यह माना जाता है कि राखी में तीन गांठें लगानी चाहिए, क्योंकि हर गांठ का अपना एक गहरा अर्थ होता है।

  1. पहली गांठ: यह गांठ भाई की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए लगाई जाती है। इसके साथ ही, बहन अपने भाई के जीवन से सभी कष्टों और परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करती है।

  2. दूसरी गांठ: यह गांठ बहन की सुरक्षा और कल्याण के लिए होती है। इस गांठ के जरिए भाई अपनी बहन की आजीवन रक्षा का संकल्प लेता है।

  3. तीसरी गांठ: यह गांठ भाई-बहन के रिश्ते में मिठास, प्रेम और आपसी समझ को बनाए रखने के लिए लगाई जाती है। यह बंधन को और भी मजबूत करती है।

सही दिशा और तरीका

रक्षा बंधन पर राखी बांधते समय दिशा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। राखी बांधते समय बहन का मुख पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जबकि भाई का मुख उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना शुभ माना गया है।

सबसे पहले, बहन अपने भाई के माथे पर रोली और अक्षत का तिलक लगाती है। तिलक लगाने के लिए अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद, भाई के दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधी जाती है। राखी बांधने के बाद बहन भाई को मिठाई खिलाकर उसके जीवन में खुशहाली की कामना करती है। इसके बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी हर मुश्किल में साथ खड़े रहने का वचन देता है। यह परंपरा सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि प्रेम, समर्पण और विश्वास की एक मजबूत डोर है, जो हर साल इस त्योहार के साथ और भी मजबूत होती जाती है।

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