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उत्तरकाशी में कुदरत का महाप्रलय: 150 सुरक्षित, 5 की मौत; 100 से ज्यादा लापता, हर पल जान बचाने की जंग जारी jari Aajtak24 News |
उत्तरकाशी - उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने और भूस्खलन की भयावह त्रासदी ने एक बार फिर कुदरत के रौद्र रूप की तस्वीर पेश की है। धराली गांव में मलबे और पानी के विशाल सैलाब ने घरों, होटलों और बाजारों को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे भारी तबाही हुई है। इस महाप्रलय के बीच, राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं, जहां भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें हर कीमती जिंदगी को बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। अब तक 150 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, लेकिन त्रासदी की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 100 से अधिक लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। आज मलबे से एक और शव बरामद होने के बाद इस आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 5 हो गई है। यह आंकड़ा इस संकट की गंभीरता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने लिया जायजा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए खुद उत्तरकाशी का दौरा किया। उन्होंने आपदा कंट्रोल रूम में अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक की, जिसमें राहत कार्यों को बिना किसी देरी के युद्ध स्तर पर चलाने के निर्देश दिए गए। सीएम ने प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद और आर्थिक सहायता का भरोसा दिलाया है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर सीएम धामी से बात कर हालात की पूरी जानकारी ली। पीएम ने केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है। उन्होंने प्रभावितों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और उनकी सुरक्षा की कामना की।
बचाव कार्यों में बड़ी चुनौतियां
रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीमों के लिए मौसम और रास्ते सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। उत्तरकाशी में पिछले 24 घंटों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश बचाव कार्य में सबसे बड़ी बाधा बन रही है। मौसम विभाग ने आज भी भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे हेलिकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाना और घायलों को सुरक्षित निकालना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा, गंगोत्री नेशनल हाईवे सहित 163 से ज्यादा सड़कें भूस्खलन और मलबे की वजह से बंद हैं। धराली के पास करीब 150 मीटर का सड़क खंड पूरी तरह बह गया है, जिससे कई टीमें मौके तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रही हैं। बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) सड़कों को खोलने के लिए लगातार काम कर रहा है, लेकिन बारिश ने उनकी चुनौतियों को और बढ़ा दिया है।
सेना का कैंप भी चपेट में, 20 करोड़ की राशि जारी
इस आपदा से सिर्फ नागरिक ही नहीं, बल्कि सेना भी प्रभावित हुई है। हर्षिल में स्थित 14 राजपूताना राइफल्स के कैंप पर भी बादल फटने का असर पड़ा है। यहां 11 जवान लापता बताए जा रहे हैं और कैंप का हेलीपैड भी बह गया है। सेना ने तुरंत मोर्चा संभाला और अपने जवानों की खोजबीन के साथ-साथ राहत कार्यों में भी जुट गई है। इस बीच, राज्य सरकार ने आपदा में हुए नुकसान की भरपाई और राहत कार्यों को तेजी से संचालित करने के लिए राज्य आपदा मोचन निधि से 20 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की है। अधिकारियों ने बताया कि इस राशि का उपयोग क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की तत्काल मरम्मत और प्रभावितों को जरूरी सहायता प्रदान करने में किया जाएगा।
रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीमें
इस मुश्किल घड़ी में जिंदगियां बचाने के लिए कई टीमें दिन-रात एक कर रही हैं, जिनमें:
एनडीआरएफ: मनेरा, बटकोट और देहरादून से चार टीमें मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने में जुटी हैं।
एसडीआरएफ: गंगोत्री और भटवाड़ी से टीमें राहत कार्य में सक्रिय हैं।
आईटीबीपी: तीन टीमें हर जान को बचाने के लिए जी-जान से लगी हुई हैं।
भारतीय सेना: 165 जवान और खोजी कुत्तों के साथ दो कॉलम तैनात हैं।
पुलिस और स्थानीय प्रशासन: 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी और विशेष बल मौके पर हैं। ये टीमें ड्रोन, हेलिकॉप्टर और तकनीकी संसाधनों का इस्तेमाल कर रही हैं।
धराली में मलबे और पानी के बीच फंसी जिंदगियों को बचाने की यह जंग अभी भी जारी है। एक तरफ जहां बचाव दल उम्मीद की किरण बनकर काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ खराब मौसम और कमजोर नेटवर्क जैसी चुनौतियां उनके हौसलों की परीक्षा ले रही हैं। पूरा देश इस मुश्किल घड़ी में उत्तराखंड के लोगों के साथ खड़ा है और सभी की सलामती की दुआ कर रहा है।