अमित शाह का विपक्ष को करारा जवाब: 'मैंने खुद इस्तीफा दिया था, गंभीर आरोपों में पद से हटाने वाला विधेयक राजनीति में शुचिता लाएगा' Aajtak24 News

अमित शाह का विपक्ष को करारा जवाब: 'मैंने खुद इस्तीफा दिया था, गंभीर आरोपों में पद से हटाने वाला विधेयक राजनीति में शुचिता लाएगा' Aajtak24 News 

नई दिल्ली - लोकसभा में उस विधेयक पर तीखी बहस देखने को मिली, जिसमें भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों, खासकर पांच साल से अधिक सजा के प्रावधान वाले मामलों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाने का प्रस्ताव है। गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक को पेश किया, जिसका कांग्रेस, सपा, आरजेडी समेत विपक्षी दलों ने पुरजोर विरोध किया। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र विरोधी कदम बताया, वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस पर आपत्ति जताई। हंगामे के बीच, अमित शाह ने विपक्ष को करारा जवाब देते हुए खुद का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि राजनीति में शुचिता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है और कोई भी अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता। शाह ने कहा, "गुजरात में जब मैं मंत्री था, तो मेरे ऊपर आरोप लगे। मैंने तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अदालत के आदेशों का पूरी तरह से पालन किया। मैंने दोबारा जिम्मेदारी तभी संभाली, जब मैं सभी आरोपों से मुक्त हो गया और संविधान के तहत मुझे पद हासिल करने का अधिकार मिला।"

अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह विधेयक देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा और इससे राजनीति में पारदर्शिता और नैतिकता को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने विपक्षी सांसदों द्वारा इस विधेयक को जल्दबाजी में लाए जाने के आरोपों का भी खंडन किया। बहस के दौरान हस्तक्षेप करते हुए शाह ने कहा कि यदि विपक्ष को इस बात से आपत्ति है, तो वह सदन को सूचित करना चाहते हैं कि इस महत्वपूर्ण विधेयक को विस्तृत चर्चा और विचार-विमर्श के लिए संयुक्त समिति के समक्ष भेजा जाएगा। उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने इसे विपक्षी सरकारों के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने की आशंका जताई है। बनर्जी ने कहा कि यह विधेयक देश के लोकतंत्र को स्थायी रूप से समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है और यह 'सुपर इमरजेंसी' की स्थिति पैदा कर देगा। इस दौरान लोकसभा में कुछ विपक्षी सांसदों द्वारा विधेयक की प्रतियां फाड़े जाने की खबरें भी आईं, हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किन सांसदों ने ऐसा किया। हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही को दोपहर 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

अमित शाह और विपक्ष के बीच इस विधेयक को लेकर तीखी नोकझोंक और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। सरकार इस विधेयक को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत हथियार के रूप में देख रही है, जबकि विपक्ष इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बता रहा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि संयुक्त समिति में इस विधेयक पर क्या चर्चा होती है और क्या इसके प्रावधानों में कोई बदलाव किया जाता है।

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